पूसा : डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के अधीनस्थ मात्स्यिकी महाविद्यालय के सभागार में समस्तीपुर जिला के चयनित अनुसूचित जाति के 25 प्रशिक्षणार्थियों के लिए आयोजित तीन दिवसीय व्यावहारिक एवं क्रियाशील प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन सह प्रमाण पत्र वितरण समारोह हुआ. मुख्य अतिथि कीट विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक डॉ पुष्पा सिंह ने कहा कि बिहार राज्य फिलवक्त मछली का हब बन चुका है. इसे वैज्ञानिकी विधि से व्यवसायिक रूप देने के लिए संवारने की जरूरत है. मत्स्यपालन के क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बेहतर व्यवसाय एवं अग्रणी आमदनी का सूचक है. मछली के उत्पादन की तरफ से विभिन्न उत्पादों के निर्माण करने की दिशा में पहल करने की जरूरत है. जिंदा मछली ही हमेशा लोग खाना पसंद करते है. मछली से बने भिन्न भिन्न उत्पादों को वैल्यू एडिशन करने पर अधिक आमदनी संभव है. मछली के अचार एवं कटलेट काफी लोकप्रिय व्यंजनों में शुमार है. मछली से बने उत्पादों को लंबे समय तक रखने के लिए क्षमतावर्धन करने की दिशा में भी सोचने की जरूरत है. फार्मर प्रोड्यूसर संगठन बनकर मत्स्य को बाजारीकरण करने पर बेहतर आमदनी संभव हो सकता है. उच्च कोटि का पैकेजिंग के साथ गुणवत्तायुक्त उत्पादों का निर्माण करना जरूरी है. स्वागत भाषण करते हुए महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. प्रेम प्रकाश श्रीवास्तव ने कहा कि अर्जित तकनीकी ज्ञान से समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े लोगों को भी स्वरोजगार से जोड़कर आमदनी दिलाने की आवश्यकता है. अधिष्ठाता डा श्रीवास्तव ने कुलपति की दूरदर्शिता की प्रशंसा की. संचालन रोशन कुमार राम ने किया. धन्यवाद ज्ञापन वैज्ञानिक एवं प्रशिक्षण संयोजिका डॉ. तनुश्री घोड़ई ने किया. मौके पर महाविद्यालय की वैज्ञानिक व प्रशिक्षण कार्यक्रम की संयोजिका डॉ तनुश्री घोड़ई, वैज्ञानिक डॉ. शिवेन्द्र कुमार, डॉ मुकेश कुमार सिंह, डॉ सुजीत कुमार नायक, डॉ राजीव कुमार ब्रह्मचारी, डॉ अनिरुद्ध कुमार, रोशन कुमार राम अधिष्ठाता के निजी सहायक डॉ.राजेश कुमार, साजन कुमार भारती थे.
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