Education news from Samastipur:दलसिंहसराय : स्थानीय आरबी कॉलेज में भूगोल विभाग की ओर से जलवायु परिवर्तन के तहत हीट वेव्स के स्वास्थ्य प्रभावों का मूल्यांकन जोखिम, अनुकूलन प्रतिक्रियाएं और लचीलापन रणनीतियां विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया. उद्घाटन प्रो. संजय झा के निर्देशन में भूगोल विभाग के असिस्टेंट प्रो डॉ. हरीश समरिया ने आयोजन की रूपरेखा प्रस्तुत किया. सम्मेलन में देश भर के भूगोलवेत्ता, पर्यावरणविद् और आपदा प्रबंधन विशेषज्ञों ने भाग लिया. हीट वेव्स के बढ़ते जोखिम, उनके स्वास्थ्य प्रभाव और अनुकूलन रणनीतियों पर अपने विचार साझा किये. प्रो. संजय झा ने अध्यक्षीय भाषण में भारतीय परंपरा और आधुनिक जलवायु विज्ञान के बीच समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि हीट वेव्स का संकट केवल वैज्ञानिक नहीं, बल्कि जीवनशैली और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी जुड़ा है. हमारे प्राचीन ग्रंथों में ग्रीष्म ऋतु से जुड़ी जीवनशैली और जल संरक्षण के महत्वपूर्ण सूत्र मिलते हैं. जिन्हें आज पुनः अपनाने की जरूरत है. सम्मेलन में अनुष्का श्रीवास्तव, सहायक आपदा प्रबंधन पदाधिकारी ने कहा कि हीट वेव्स एक उभरती स्वास्थ्य आपदा बन चुकी है. भूगोल विभागाध्यक्ष डॉ. जवाहर लाल ने धन्यवाद ज्ञापन दिया. डॉ हरीश समरिया ने पीपीटी के माध्यम से हीट वेव्स के कारण, प्रभाव और उसके अनुकूल व्यवहार को गहराई से समझाया. सम्मेलन में प्राध्यापक डॉ.धीरज पांडेय, डॉ संजय कुमार सुमन, डॉ मुकेश कुमार झा, डॉ कुतुबुद्दीन, डा पूर्णिमा पोद्दार, डॉ निवा कुमारी सिंह, सोनम बाला, उदय शंकर विद्यार्थी आदि उपस्थित थे.
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