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प्रदर्शनी देख बच्चे उत्साहित

खतरे में समुद्र, वनों पर संकट, क्या जैव विविधता खतरे में, लुप्त हो रहीं प्रजातियों आदि विषयों पर जागरूकता फैलाने की कोशिश समस्तीपुर : समस्तीपुर स्टेशन पर साइंस एक्सप्रेस क्लाइमेट एक्शन स्पेशल ट्रेन गुरुवार की सुबह पहुंची़ साइंस एक्सप्रेस ट्रेन को जंकशन के प्लेटफॉर्म संख्या एक पर आम लोगों के अवलोकनार्थ रखा गया. 16 वातानुकूलित […]

खतरे में समुद्र, वनों पर संकट, क्या जैव विविधता खतरे में, लुप्त हो रहीं प्रजातियों आदि विषयों पर जागरूकता फैलाने की कोशिश
समस्तीपुर : समस्तीपुर स्टेशन पर साइंस एक्सप्रेस क्लाइमेट एक्शन स्पेशल ट्रेन गुरुवार की सुबह पहुंची़ साइंस एक्सप्रेस ट्रेन को जंकशन के प्लेटफॉर्म संख्या एक पर आम लोगों के अवलोकनार्थ रखा गया. 16 वातानुकूलित बोगी में साइंस, पर्यावरण, शौर्य ऊर्जा, जंगली प्राणी संरक्षा आदि तरह की जानकारी देने के लिए साइंस एक्सप्रेस यहां आयी. समस्तीपुर रेलमंडल के डीआरएम सुधांशु शर्मा व महिला रेल संगठन की अध्यक्षा मीनाक्षी शर्मा ने फीता काटकर साइंस एक्सप्रेस ट्रेन का उद्घाटन किया. उसके बाद वे स्वयं साइंस एक्सप्रेस का अवलोकन किया़
उन्होंने बच्चों से जानकारी ली़ कहा कि यह ट्रेन बच्चों के लिए लाभकारी होगी़ ट्रेन में एक कोच में तीन से पांचवीं तक के छात्रों के लिए किड्स जोन स्थापित किया गया है. इस कोच में छात्रों को दिमागी कसरत कराने वाले एवं पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाने वाले खेल खेलने तथा विज्ञान व गणित के माॅडल बनाने का अवसर दिया जा रहा था. इसके अलावा जय अॉफ साइंस प्रयोगशाला भी आकर्षण का केंद्र था. प्रयोगशाला में छात्र विभिन्न प्रयोगों व गतिविधियों द्वारा एक रोचक ढंग से जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण, विज्ञान व गणित की अवधारणाओं को समझ सकते थ़े साथ ही पर्यावरण, विज्ञान व गणित के शिक्षकों की क्षमता निर्माण के लिए एक चर्चा सह प्रशिक्षण केंद्र की सुविधा भी ट्रेन में प्रदान की गयी थी़
बोगी में प्रवेश को लगी रही लंबी कतार : ऐसे तो साइंस एक्सप्रेस ट्रेन में प्रवेश करने के लिए 10 बजे का समय निर्धारित किया था, लेकिन कई निजी विद्यालय के प्रबंधक अपने-अपने बसों से बच्चों को लेकर सुबह नौ बजे स्टेशन परिसर में पहुंच गये. फिर बच्चों को लाइन में खड़ा कराया गया.
बच्चे प्रदर्शनी को देखने के लिए काफी उत्साहित थ़े बारी-बारी से बच्चों को एक द्वार से प्रवेश कराया गया़ दूसरे द्वार से निकाला गया़ साइंस एक्सप्रेस में प्रवेश करने से पहले बच्चों व उनके अभिभावकों का विशेष जांच-पड़ताल से गुजरना पड़ा़ मेटल डिटेक्टर से प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति की जांच पड़ताल हुई़ साथ ही बच्चों के पास बैग को बाहर रखने का निर्देश दिया गया है़
क्या है बोगी के अंदर : साइंस एक्सप्रेस के साथ चल रहे गाइड ने बच्चों व उनके अभिभावकों को यह बताने के प्रयास किया गया कि देश में प्रदूषण बहुत तेजी से बढ़ रहा है़ प्रदूषण बढ़ने के कारण मानव के साथ-साथ पशु-पक्षी को भी काफी परेशानी हो रही है़ हर व्यक्ति को पौधा रोपण करना चाहिए. साथ ही कोशिश करना चाहिए कि साइकिल का उपयोग अधिक-से-अधिक करने की सलाह दी गयी.
इससे स्वास्थ्य भी रहेंगे. यहां के जंगल से शेर, भालू सहित कई प्राणी विलुप्त हो रहे हैं. कारण जंगलों की कटाई हो रही है़ पशुओं की तस्करी हो रही है़ उन्हें बचाने के लिए प्रयास करना चाहिए़ वायुमंडल का संघटन, भालू संकट, जल संकट, वनों पर संकट, जलवायु परिवर्तन, शहरों के प्रयास परिस्थितियां सेवाएं, भारत में मूंगा, पेडल पावर (साइकिल का उपयोग), राष्ट्रीय संवर्धित ऊर्जा क्षमता, मिशन सौर ऊर्जा, पुरानी किताबों को जूनियर को दें, डायनासोर, जंगली जानवरों की संरक्षा़
जल व वायु संकट से जूझ रहा मानव : आये दिन देखा जाता है कि पीने के लिए शुद्ध पानी नहीं मिल रहा है़ समय पर बारिश नहीं हो रही है़ मानव व पशु दोनों के लिए पानी बहुत जरूरी है़ बच्चों को पानी की महत्ता के बारे में जानकारी दी गयी. जरूरत के अनुसार, पानी का उपयोग करें. अगर कोई पानी बरबाद करता है, तो उसे रोके वायु मंडल में प्रदूषण फैल रहा है़ इसका सीधा प्रभाव के बारे में डिसप्ले के बारे में जानकारी दी गयी.
आरसीएफ कपूरथला में तैयार : पूर्णत: वातानुकूलित विज्ञान एक्सप्रेस में कदम रखते ही ऐसा लगता ही नहीं है कि यह कोई रेलगाड़ी है़ आकर्षक डिजाइनिंग और एक से बढ़कर एक मॉडल, एनिमेशन से सुसज्जित ट्रेन का हर हिस्सा लोगों को आकर्षित व जागरूक करता है़
एक्सप्रेस ट्रेन के प्रबंधक राघव पंडया के मुताबिक इस ट्रेन का निर्माण आरसीएफ कपूरथला में किया गया़ इसके बाद अहमदाबाद, गुजरात में लीव नलेज पार्टनर्स की 40 सदस्यीय टीम ने ट्रेन में विभिन्न मॉडल बनाकर इसे साइंस ट्रेन बना दिया. इन मंडलों में गैस उत्सर्जन, आजीविका संकट, जलवायु परिवर्तन में अनुकूलन, क्यों गायब हो गये डायनासौर, हिस्ट्री ऑफ टाइगर, पृथ्वी को बुखार जैसे मॉडल बेहद ज्ञान वर्धक व प्रेरणास्पद हैं. विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग ने इस चरण के लिए रेलवे को 15 करोड़ का भुगतान भी किया है.

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