समस्तीपुर. पिछले तीन दिनों के भूकंप के झटकों के सदमे से लोग अभी भी उबर नहीं पाये हैं. लेकिन, अब आमलोगों के चेहरे पर से प्रलय का रौंद्र रूप देखने को नहीं मिल रहा है. लोग धीरे धीरे अपने दिनचर्या से जुड़े कार्यों को अंजाम देने में जुट गये हैं. बावजूद जब आपस में बैठ परिजन बातें करते हैं तो शनिवार व रविवार की दोपहर से जुड़ी यादें तरोताजा हो जाती है. समस्तीपुर जिले में सोमवार की शाम को आये भूकंप का कम्पन शायद अंतिम बार लोगों को महसूस हुआ. इससे पूर्व भूकंप आने के बाद छोटे बड़े कुल 23 झटकें आये. लेकिन, सोमवार की शाम को आये झटकों को आफटर शॉक मानते हुए लोग अब तक के सभी झटकों को इतिहास के पन्ने में समेट चुके हैं. भूकंप के दहशत से घरों के बाहर रतजगा करने वाले लोग अब अपने बिस्तर पर चैन से सो रहे हैं. वहीं भूकंप की चपेट में आकर अपने जीवन को अलविदा कहने वालों के परिजन आज भी सरकारी सहायता के लिए रास्ता ताक रहे हैं. हालांकि कुछेक के परिजनों को सरकार के निर्देश पर सहायता राशि उपलब्ध करायी गयी है. इधर, छोटे छोटे बच्चे जिन्हें भूकंप का प्रथम बार ज्ञान हुआ वे आज भी सहमे सहमे से दिख रहे हैं. जिन भवनों में भूकंप के कारण दरारें आ गयी थी, वे अब मरम्मत कार्य में जुट गये हैं. जिनका आशियाना भूकंप ने छीन लिया, वे तिनका तिनका जुटने में फिर से जुटे थे. वहीं जिला प्रशासन क्षति के आकलन में जुटी है. प्रखंड विकास पदाधिकारियों को विशेष दिशा निर्देश दिये जा चुके हैं.
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मुश्किल में फंसी जान में अब जान आयी
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