समस्या. बिजली के जीरो कट का सपना रहा अधूरा
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बिजली की बदहाली में उलझा विकास का ”तार”
समस्या. बिजली के जीरो कट का सपना रहा अधूरा बिजली आपूर्ति की व्यवस्था बदइंतजामी की शिकार है. जीरो पावर कट का सपना तो फिलहाल दूर ही लगता है. अबाधित बिजली आपूर्ति व हादसों से मुक्त व्यवस्था के निर्माण में ही काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. बांस के सहारे बिजली की आपूर्ति व […]
बिजली आपूर्ति की व्यवस्था बदइंतजामी की शिकार है. जीरो पावर कट का सपना तो फिलहाल दूर ही लगता है. अबाधित बिजली आपूर्ति व हादसों से मुक्त व्यवस्था के निर्माण में ही काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. बांस के सहारे बिजली की आपूर्ति व जगह-जगह जले एवी स्विच व ब्रेक डाउन परेशानी का सबब बने हुए हैं. बदहाली में उलझ कर रह गया है विकास का ‘तार”
समस्तीपुर : शहर में बिजली के जीरो कट का सपना आज भी अधूरा है. इसे लेकर भेले दावे खूब किये गये हों, इतने लंबे समय के बाद भी बिजली आपूर्ति की व्यवस्था में जो सुधार दिखने चाहिए, नहीं दिख रहे हैं. शहरी इलाकों की स्थिति तो कुछ ठीक भी है, परंतु आसपास के इलाके आज भी बिजली व्यवस्था का दंश झेलने को उपभोक्ता विवश है. आज भी शहर के बिजली के तारों का मकड़जाल और उलझे तार ही पहचान हैं. शहर में घूमते हुए आप हर बड़ी आबादी के बीच जर्जर बिजली व्यवस्था और बाधित बिजली आपूर्ति को देख सकते हैं. थोड़ी सी आंधी या बारिश हुई, बिजली आपूर्ति ठप हो जाती है.
शहर के मारवाड़ी बाजार, गुदरी बाजार समेत अन्य इलाके ऐसे हैं, जहां बिजली के तार मकड़े के जाल की तरह अव्यवस्थित ढंग से लगाये गये हैं. ये गर्मी और बरसात के समय शॉर्ट सर्किट होने की स्थिति में रहते हैं. उलझे तारों के कारण दुर्घटनाएं होती रहती हैं. शहर के कुछेक मोहल्ले में उपभोक्ता सौ मीटर की अधिक दूरी पर स्थित पोल से तार खींच बांस के सहारे अपने घर तक बिजली ले जाने के लिए मजबूर हैं. उपभोक्ताओं का कहना है कि अधिकारी राजस्व वसूली को ज्यादा तरजीह देते हैं. सुविधा की ओर ध्यान कम देते हैं.
कभी समस्या देखने भी निकले अधिकारी : बिजली कंपनी के अधिकारी परेशानी जानने कभी भी क्षेत्र में नहीं निकलते हैं. निकलते हैं तो सिर्फ कार्रवाई करने व राजस्व वसूलने. कंपनी को चलाने व लोगों को सुविधा देने के लिए यह भी जरूरी है, लेकिन गलत लोगों को छोड़ विभाग जिस उपभोक्ता से राजस्व की वसूली करते हैं. उन्हें सुविधा मिल रही है या नहीं, इस पर भी ध्यान देना विभाग के अधिकारियों का कर्तव्य है. लेकिन, विभागीय अधिकारी राजस्व वसूली को ही ज्यादा तरजीह देते हैं. ताकि वरीय अधिकारी व विभाग में उसकी पहचान कायम रह सके.
ट्रांसफाॅर्मर की ऊंचाई कम, बना रहता है खतरा : शहर के कुछेक क्षेत्रों में जो ट्रांसफॉर्मर घरों में बिजली देने में सहायक बने हुए है उनसे खतरा भी अधिक है. शहर के शिक्षा भवन रोड़, श्री कृष्णापुरी, वीर कुंवर सिंह कॉलोनी में लगे ट्रांसफॉर्मर की ऊंचाई भी कम है और कुछ ट्रांसफॉर्मर के नीचे दुकानें और घर भी बनाये गये हैं. यह हमेशा ट्रांसफॉर्मर बम की तरह आम लोगों के इलाके में मौजूद हैं.
ट्रांसफॉर्मर लगे इलाके में सुरक्षा के लिए किसी प्रकार की घेराबंदी या उपाय नहीं किये गये हैं, जो सामान्य रूप से देखने में ही खतरे को आमंत्रित करना वाला दिखता है.
भगवान भरोसे कर्मियों व मानव बल की सुरक्षा : 33 केवीए हो या फिर 11 हजार केवीए तार की मरम्मत में जुटे मानव बलों की जान की सुरक्षा ठेंगे पर है. न हैंड ग्लब्स है और न सेफ्टी बेल्ट. पैर फिसलने पर इन्हें बचाने वाला कोई नहीं है. अगर, कोई अनहोनी हो जाये, तो परिवार भी हो जायेगा बेसहारा और ठेकेदार भी दो-चार पैसा देकर पल्ला झाड़ लेंगे. दो जून की रोटी के लिए खतरे में जान डालकर काम कर रहे इन मानव बलों का दर्द कौन समझेगा.
10 से चार नहीं रहेगी बिजली : टाउन फीडर में 11 केवीए विद्युत संचरण व्यवस्था में सुधार के लिए मंगलवार को टाउन वन फीडर की बिजली 10 से 4 बजे तक बंद रहेगी. वहीं बुधवार को पूसा फार्म फीडर की भी बिजली आपूर्ति 33 केवीए को दुरुस्त करने के लिए 12 से दो बजे तक बंद रहेगी.
अनुमंडलवार प्राप्त राजस्व
समस्तीपुर से 10 करोड़ 74 लाख 41 हजार, दलसिंहसराय से चार करोड़ 97 लाख 75 हजार व रोसड़ा से तीन करोड़ 50 लाख 11 हजार
जिले में बिजली आपूर्ति दुरुस्त करने के लिए काफी व्यापक कार्य किये जा रहे हैं. आनेवाले समय में गुणवत्तापूर्ण बिजली मिलेगी. कई जगहों पर सब-स्टेशन निर्माण और कॉवर केबल बिछाने का कार्य भी जारी है. इन सभी कामों के लिए वर्ष 2018 तक समय सीमा रखी गयी है.
एसपी सिंह, इएसइ, समस्तीपुर अंचल
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