प्रखंड की आधी आबादी को बेहतर स्वास्थ्य सेवा का नहीं मिल पाता लाभ बनमा ईटहरी. आधुनिक संसाधनों से लैस नवनिर्मित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में विभाग द्वारा शिफ्ट करने की कवायद प्रारंभ कर दी गयी है. लेकिन स्वास्थ्य कर्मियों की घोर कमी से स्वास्थ्य विभाग का कोई काम ठीक से नहीं हो पाता है. प्रखंड की आधी आबादी को बेहतर स्वास्थ्य सेवा का लाभ नहीं मिल पाता है. स्थिति यह है कि संसाधन के अभाव में प्रसव के लिए यहां आने वाली गर्भवती महिलाओं व उनके नवजात दोनों की जान आफत में ही रहती है. बावजूद स्वास्थ्य विभाग लापरवाह बना हुआ है. महिला चिकित्सक, एएनएम समेत अन्य स्वास्थ्य कर्मियों की कमी के कारण महिलाओं में होने वाली छोटी मोटी बीमारी को लेकर भी परेशानी होती है. उन्हें सहरसा, मधेपुरा या पटना जाना पड़ता है, जबकि महिला चिकित्सक व एएनएम की मांग काफी समय से की जा रही है. प्रखंड क्षेत्र में महिलाओं की आबादी करीब 50 हजार है. स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए बनमा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र 30 बेड वाला अस्पताल है. अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्रों की संख्या एक व स्वास्थ्य उपकेंद्रों की संख्या 7 है. लेकिन इनमें से ज्यादातर जगहों पर स्वास्थ्य कर्मियों की घोर कमी है. अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र मुरली बोरबा में भी एएनएम व कर्मी की कमी है. बनमा प्रखंड के स्वास्थ्य उपकेंद्र प्रियनगर, ईटहरी को अपना भवन है. जबकि अन्य जगहों पर दूसरे के दरवाजे पर स्वास्थ्य विभाग का काम काज एएनएम द्वारा संचालित किया जाता है. प्रियनगर हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर क्षतिग्रस्त है. सुगमा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर अतिक्रमित है. पहलाम सामुदायिक भवन में हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर वर्तमान समय में संचालित है. वह भी जर्जर अवस्था में तब्दील हो गया है. सरबेला, समसुद्दीनपुर में भी अपना भवन नसीब नहीं है. किसी पर कोई महिला चिकित्सक व एएनएम नहीं है. चिकित्सकीय रिकार्ड पर गौर करें तो 30 बेड वाले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी समेत कुल दो एमबीबीएस चिकित्सक, एक आयुष चिकित्सक व एक भ्रमणशील चिकित्सा पदाधिकारी हैं. इन पदस्थापित चिकित्सक व 12 स्टाफ नर्स के सहारे प्रतिदिन एक सौ से डेढ़ सौ रोगी व सात से आठ प्रसव कराए जाते हैं. इसमें कभी-कभी तो गर्भवती महिलाओं की जान पर भी बन आ जाती है. ऐसे में आनन-फानन में एएनएम प्रसूताओं को अन्यत्र रेफर कर दिया जाता है. एक एंबुलेंस से चल रहा है काम प्रखंड के लगभग एक लाख 20 हजार लोगों पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक एंबुलेंस उपलब्ध है, जबकि चार की संख्या में एंबुलेंस की आवश्यकता है. ऐसे में मात्र एक एंबुलेंस के सहारे जननी समेत इमरजेंसी सेवा चल रहा है. इसके अलावा सामुदायिक स्वास्थ केंद्र में रोगियों को जांच के बाद उचित दवा उपलब्ध कराने की कोई व्यवस्था नहीं है. इस कारण रोगियों को प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें सदर अस्पताल सहरसा रेफर कर दिया जाता है. ज्यादातर जगहों पर रिक्त है पद मिली जानकारी के अनुसार एक लाख 20 हजार की आबादी में मात्र 12 एएनएम पदस्थापित है. बनमा पीएचसी में जरुरत के अनुसार विशेषज्ञ चिकित्सक, जनरल सर्जन, फिजिशियन, स्त्री रोग, शिशु रोग कुल चार पद स्वीकृत है. इसमें मात्र कार्यरत एक है व तीन रिक्त है. सामान्य चिकित्सा की संख्या चार, एक दंत व एक आयुष चिकित्सक रिक्त है. यहां एएनएम की संख्या शून्य है. लिपिक एक है. फार्मासिस्ट की संख्या शून्य है. प्रयोगशाला प्राविधिक एक, स्वास्थ्य प्रशिक्षक शून्य, परिधापक शून्य, चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी दो में एक महिला स्वास्थ्य परिधापक शून्य है. मालूम हो कि पीएचसी बनमा ईटहरी में रत्तन मणि मड़की, प्रियनगर हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में अगाथा होरो व सोनी कुमारी, सुगमा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में सेलिना संतोषणी, प्रिया भारती, सहुरिया में नमन कुमारी व साधना कुमारी दो, पहलाम एसडब्ल्यूसी में साधना कुमारी एक व रिंकू कुमारी, सरबेला एचएससी में लक्ष्मी कुमारी, एचएससी ईटहरी में प्रतिमा कुमारी, समसुद्दीनपुर एचडब्ल्यूसी में बेबी कुमारी पदास्थापित है.
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