कार्य एजेंसी का नगर आयुक्त ने किया कंट्रेक्ट रद्द , कार्य एजेंसी ने इसे असंवैधानिक बताते विभागीय सचिव को भेजा पत्र अधिकारी बनाम जनप्रतिनिधि में बदल गया मामला शहरी क्षेत्र में कचरे का लग रहा अंबार, बदबू से लोग हो रहे परेशान सहरसा नगर निगम में पिछले छह दिनों से सफाई कर्मचारियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल से सफाई व्यवस्था पूरी तरह ठप पड़ गयी है. मुख्य बाजार सहित सभी चौक चौराहे एवं घरों में कचरों का ढेर लग गया है. जिससे उठने वाले बदबू से जहां बाजार में निकलना मुश्किल हो गया है. वही घरों में भी लोगों को अब जमा कचरे से कठिनाई हो रही है. इधर हड़ताल के तुड़वाने की व्यवस्था के बीच निगम अधिकारी एवं निगम जनप्रतिनिधियों के बीच ही विवाद शुरू हो गया है. जबकि इस बीच जिला मुख्यालय स्थित ईस्ट एन वेस्ट ट्रेनिंग कॉलेज में गुरुवार को राज्यपाल का कार्यक्रम निर्धारित है एवं सफाई व्यवस्था पूरी तरह फेल है. सफाई व्यवस्था में लगे सफाई कर्मी भी दो गुटों में बंट गये हैं. निगम से वेतन लेने वाले लगभग 266 सफाई कर्मी हड़ताल से लौट गये हैं. जबकि एजीओ के तहत कार्य करने वाले कर्मी बुधवार को भी निगम कार्यालय के बाहर अपने वेतन की मांग को लेकर डटे हैं. वहीं नगर आयुक्त सुशील कुमार मिश्रा ने कार्य में लापरवाही एवं अन्य कारणों को दर्शाते एजीओ का तत्काल प्रभाव से कांट्रैक्ट रद्द कर दिया है. इसकी प्रतिलिपि कार्य एजेंसी को भेज दी है. इसको लेकर कार्य एजेंसी ने नगर आयुक्त के मनमाने कार्रवाई को असंवैधानिक बताते विभागीय सचिव को पत्र प्रेषित किया है. इधर सफाई व्यवस्था के हालात से निगम वासी परेशानियों का सामना कर रहे हैं. वहीं मिल रही जानकारी के अनुसार प्रमंडलीय आयुक्त राजेश कुमार बुधवार की संध्या निगम में चल रहे हड़ताल को लेकर अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक करेंगे. जिसके बाद ही इस बड़ी समस्या के समाधान होने की संभावना है. अब सफाई कर्मी बन गये हैं मोहरा पिछले छह दिनों से सफाई कर्मियों की जारी हड़ताल दो गुटों में बांटता दिख रहा है. निगम द्वारा वेतन मिलने वाले 266 कर्मी इससे बाहर निकल गये हैं. जबकि कर्य एजेंसी के माध्यम से कार्य करने वाले 400 से अधिक सफाई कर्मी आज भी अपने वेतन भुगतान की मांग को लेकर निगम कार्यालय में हड़ताल पर डटे हैं. इन सफाई कर्मियों के वेतन भुगतान को लेकर नगर निगम आयुक्त एवं नगर निगम के जनप्रतिनिधि दो गुटों में बंटते नजर आ रहे हैं. निगम आयुक्त ने जहां कार्रवाई करते सफाई कार्य एजेंसी के टेंडर को तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है. वहीं निगम जनप्रतिनिधि शहर में जमा कचरे की हालत को देखते तत्काल समस्या समाधान को लेकर एकजुट दिख रहे हैं. अधिकारी बनाम जनप्रतिनिधि के बीच अब सफाई कर्मी मोहरा बनते नजर आ रहे हैं. आयुक्त ने कांट्रेक्ट किया रद्द सफाई व्यवस्था में लापरवाही एवं अन्य मामलों को लेकर नगर आयुक्त सुशील कुमार मिश्रा ने तत्काल प्रभाव से मेसर्स एओपी एंड यूईएस प्राइवेट लिमिटेड की निविदा को रद्द कर दिया है. इसको लेकर उन्होंने जारी पत्र में कहा कि आपको पूर्व में सफाई कार्य बहाल करने के लिए पत्र दिया गया था. लेकिन सफाई कार्य शुरू करने के बजाय हड़ताल जैसी अवांछित प्रेशर टेक्निक का प्रयोग करना जारी रखते सफाई कार्य को ठप रखा. जो कांट्रेक्ट की मूलभूत भावना की अवहेलना है. वहीं अन्य आरोप तय करते कांट्रैक्ट को पूर्ण रूप से तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया. साथ ही निगम के सारे संसाधन, जिसका प्रयोग गलत ढंग से निशुल्क किया जा रहा था, को अविलंब सही हालत में निगम को लौटाना सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. कार्य एजेंसी ने कार्रवाई को बताया एकतरफा सफाई कार्य एजेंसी मेसर्स एओपी एंड यूईएस प्राइवेट लिमिटेड के सत्येंद्र कुमार ने इस कार्रवाई पर ही सवाल खड़ा कर दिया है. उन्होंने इसको लेकर सचिव नगर विकास एवं आवास विभाग को पत्र प्रेषित कर नगर निगम आयुक्त पर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि नगर आयुक्त के रूप में सुशील कुमार मिश्र के प्रभार ग्रहण करने के बाद से ही लगातार तंग तबाह एवं दवाब डालकर वसूली के लिए परेशान करने की नियत से बारंबार धमकी दिया जाने लगा. नगर निगम क्षेत्र में साफ सफाई संबंधित कार्यों का बिल पिछले दिनों कार्यालय में समर्पित किया गया था एवं मौखिक रूप से भी बिल भुगतान के लिए अनुरोध किया गया. दो महीने बीत जाने के बाद भी भुगतान नहीं होने के कारण सफाई कर्मियों एवं अन्य कर्मियों को भुगतान नहीं कर पा रहे थे. जिसके कारण सफाई कार्य में लगे कर्मियों के समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गयी. जिसके कारण सफाई कर्मियों तथा सफाई कार्य में लगे कर्मियों में आक्रोश व्याप्त है. नगर आयुक्त द्वारा अनैतिक दवाब बनाने एवं अनैतिक कार्य में सहयोग नहीं करने पर बीड क्वालिफाइंग एटीसी को आधार बनाकर भुगतान रोका जा रहा है एवं धमकी दी गयी है. उन्होंने कहा कि नगर आयुक्त बौखलाहट में अवैधानिक रूप से बिना सशक्त स्थायी समिति, सामान्य बोर्ड की बैठक में निर्णय लिए अपने आवास से कांट्रैक्ट रद्द करने का पत्र निर्गत किया गया है. जमा कचरे से बढ़ रही परेशानी सफाई कर्मियों की हड़ताल से शहरी क्षेत्र से कचरा उठाव नहीं होने से जगह जगह कचरे के ढ़ेर लग गया है. जिससे उठने वाली बदबू से लोग परेशान ही नहीं बीमारी की अब आशंका बन गयी है. शहर के मुख्य बाजार में जहां तहां कचरे के ढ़ेर लगे हैं. इसपर आवारा जानवरों के मडराने से जहां लोगों को खतरा महसूस हो रहा है. वहीं इससे उठ रहे बदबू से लोगों में बीमारी का भी भय सताने लगा है. शहर के हृदयस्थली शंकर चौक से लेकर पूरे मुख्य बाजार डीबी रोड़, महावीर चौक, कपड़ा पट्टी, गांधी पथ, थाना चौक सहित अन्य मुख्य चौक चौराहे पर कचरा जमा होने से लोग परेशान हो रहे हैं. निगम द्वारा कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने से यह परेशानी का सबब बनता जा रहा है. वहीं स्कूलों के आगे भी कचरे के जमा होने से बच्चों के स्वास्थ्य पर असर होने की संभावना भी दिख रही है. जबकि गुरुवार को राज्यपाल का जिला मुख्यालय में कार्यक्रम होना है एवं शहर कचरे से पटा है. घरों में लग रहे कचरे के ढ़ेर पिछले छह दिनों से निगम क्षेत्र में सफाई व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो गयी है. कचरा अब घर घर जमा हो गया है. जिससे आम लोग भी परेशान हो उठे हैं. सफाई कर्मियों की हड़ताल का अब पूरी तरह असर निगम क्षेत्र वासियों पर भी होने लगा है. घर से कचरा उठाव नहीं होने से परेशानी बढ़ गयी है. लोग रात के अंधेरे में आस पड़ोस में कचरा फेंकने लगे हैं. जिससे गली मोहल्लों की स्थिति भी खराब हो रही है. लोगों को सुबह होते ही सफाई कर्मियों की तलाश होने लगी है. मजबूर होकर लोग घर से जमा कचरा लेकर सड़क किनारे फेंकने पर विवश हैं. वहीं निगम कार्यालय में अधिकारी एवं जनप्रतिनिधियों के बीच ही विवाद गहरा रहा है.
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