New Year Resolution 2026: नया साल आते ही ज्यादातर लोग खुद से कई बड़े बड़े वादे करते हैं. कोई फिटनेस को लेकर संकल्प लेता है, कोई करियर में आगे बढ़ने का, तो कोई अपनी आदतों को सुधारने का. लेकिन अक्सर देखा जाता है कि ये रिजोल्यूशन कुछ ही हफ्तों में टूट जाते हैं. सवाल यह है कि ऐसा क्यों होता है? इस बारे में मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि रिजोल्यूशन टूटने की सबसे बड़ी वजह हमारी सोच और भाषा में छिपी होती है. खासकर दो ऐसे शब्द हैं, जिनका इस्तेमाल हम अनजाने में कर लेते हैं और वही हमारे संकल्प को कमजोर बना देते हैं.
“कल” शब्द सबसे बड़ा दुश्मन
अक्सर लोग कहते हैं, “कल से जिम शुरू करूंगा”, “कल से समय पर उठूंगा” या “कल से पढ़ाई पर ध्यान दूंगा”. यह “कल” शब्द सुनने में भले ही मासूम लगे, लेकिन असल में यही सबसे बड़ा दुश्मन है. विशेषज्ञों का मानना है कि “कल” कहकर हम अपने दिमाग को टालने की आदत सिखा देते हैं. लेकिन हकीकत यह कल कभी आता ही नहीं. नतीजा यह होता है कि रिजोल्यूशन शुरू होने से पहले ही दम तोड़ देता है.
“कोशिश” शब्द भी बड़ा दुश्मन
रिजोल्यूशन लेते समय दूसरा आम शब्द होता है- “मैं कोशिश करूंगा”. यह शब्द खुद में ही अनिश्चितता लिए होता है. कोशिश का मतलब यह नहीं कि काम जरूर होगा, बल्कि यह संकेत देता है कि अगर मन किया तो करेंगे. मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि जब आप “कोशिश” कहते हैं, तो आपका दिमाग एक सुरक्षित रास्ता बना लेता है, जहां असफल होने पर आप खुद को दोषी महसूस नहीं करते. यही वजह है कि कोशिश अक्सर अधूरी रह जाती है.
क्या करें ताकि रिजोल्यूशन कायम रहे?
- अगर आप चाहते हैं कि नया साल सिर्फ संकल्पों का साल न होकर बदलाव का साल बने, तो अपनी भाषा बदलना बेहद जरूरी है.
- कल से” की जगह “आज से” कहें और उसी पल छोटा सा कदम उठाएं.
- “कोशिश करूंगा” की जगह “मैं करूंगा” या “मैं कर रहा हूं” जैसे स्पष्ट शब्दों का इस्तेमाल करें.
- बड़े लक्ष्य की बजाय छोटे-छोटे लक्ष्य बनाएं, जिन्हें रोज पूरा किया जा सके.
- खुद से किये वादों को हल्के में न लें, क्योंकि यही आपके आत्मविश्वास की नींव होती है.
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