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नदी से मिट्टी लाकर बनाया जा रहा चूल्हा

लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा में मात्र कुछ दिन शेष है.

काफी उपयोगी तथा शुद्ध माना जाता है मिट्टी का चूल्हा पतरघट लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा की तैयारी में व्रती महिलाएं पूरी तरह से तैयारी में जुट गयी हैं. महिलाएं जहां घर आंगन की लीपा पोती ओर साफ-सफाई में मशगूल हैं. दिन में खिली धूप की वजह से पर्व के लिए चूल्हा बनाने का काम तेजी से शुरू है. धूप के कारण चूल्हा सूखने में देर नहीं हो, उसके लिए व्रतियों के द्वारा खास तौर पर ध्यान रखा जा रहा है. लोक आस्था के महापर्व खरना के लिए व्रतियों के घर कोसी गंगा तथा नदियों एवं तालाबों के कछारों से लाई गयी गीली मिट्टी से चूल्हा बनाने का काम शुरू हैं. चार दिन पूर्व तक मौसम के ठंडे मिजाज ने व्रतियों के समक्ष परेशानी उत्पन्न कर दिया था. जबकि लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा में मात्र कुछ दिन शेष है. पर्व की पवित्रता को लेकर व्रतियों के घर नहाय खाय ओर खरना पूजन के लिए मिट्टी की नवनिर्मित चूल्हा की खासतौर पर अधिक जरूरत पड़ती है. गांव घरों में वैसे भी मिट्टी के चूल्हे का उपयोग शहरीकरण के दौर के बावजूद भी कम नहीं हुआ है. छठ पर्व में मिट्टी के चूल्हा का उपयोगिता काफी उपयोगी तथा शुद्ध माना जाता है. व्रती कामनी देवी ने बताया कि व्रतियों के द्वारा मिट्टी का चूल्हा बनाने में काफी नियम एवं निष्ठा का ख्याल रखना पड़ता है. उन्होंने बताया कि प्रकृति के इस पावन पर्व में कोसी एवं गंगा से लायी गयी गीली मिट्टी से निर्मित चूल्हे का महत्व पवित्रता के लिहाज से अधिक होता है.

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