सहरसा . अमेरिका में बॉस्टन के निकटस्थ अर्लिंगटन शहर में ग्लोबल वॉयसेज इन वर्स द्वारा हाइब्रिड मोड में आयोजित हिंदी काव्य गोष्ठी में बिहार के अनेक कवियों ने ऑनलाइन जुड़कर अपनी कविताएं प्रस्तुत की. गोष्ठी भारतीय समयानुसार रविवार सुबह संपन्न हुई. गोष्ठी में टीएनबी कॉलेज भागलपुर के पूर्ववर्ती छात्र रहे देवाशीष, सुषमा कुमारी व सहरसा से शैलेन्द्र शैली व मुख्तार आलम ने काव्य पाठ किया. मुख्य आयोजक परमीत सिंह ने कहा कि विभिन्न भाषाओं के कवियों को अंतर्राष्ट्रीय मंच देना एवं सम्मानित करना उद्देश्य है. उन्होंने राही बस्तवी के गीत अरे रे बाबा ना बाबा के अंशों का पाठ भी किया. इस कार्यक्रम को मैसाचुसेट्स कल्चरल काउंसिल, अर्लिंग्टन कमीशन फ़ॉर आर्ट्स ऐंड कल्चर व विनायक फोरम का सहयोग प्राप्त था. सुषमा जी ने नारी शक्ति शीर्षक कविता के माध्यम से वैदिक काल से आजतक की सफलतम नारियों का ज़िक्र किया एवं अब भी अग्नि परीक्षा जारी रहने की कसक की चर्चा की. देवाशीष ने ये नहीं स्वीकार ओ नभ कविता का पाठ किया. जिसमें स्वास्थ्य, शिक्षा व प्रेम जैसे मानवीय आयामों में क्या वांछनीय हो व क्या अस्वीकार्य इसका वर्णन था. शैलेन्द्र शैली की कविता में हाथघड़ी के धीरे-धीरे अप्रासंगिक होने की टीस व व्यंग्य का उत्तम मिश्रण था. जिसकी सराहना खूब की गयी. मुख्तार आलम की कविता गेंदा और गुलाब में फूलों के बहाने पहले के सम्मानित राजाओं व आज के अधम नेताओं का ज़िक्र व गिरते मानवीय मूल्य पर चुटीला व्यंग्य था. कार्यक्रम की मुख्य अतिथि न्यूयॉर्क की कवयित्री व वकील एलिजाबेथ शनाज थीं. जो मुस्लिम नारीत्व व मिलेनियल चेतना जैसे विषयों पर निरंतर लिखती हैं. उन्होंने जो रचनाएं पेश की उनमें दक्षिण एशियाई संस्कृति व आस्था की झलक थी. लक्ष्य कुमार ने भोजपुरी में कविता पाठ की. मनीषा ने बाबू रघुबीर नारायण के प्रसिद्ध भोजपुरी गीत बटोहिया एवं दुष्यन्त कुमार की कालजयी कविता हो गयी है पीड़ पर्वत सी का गायन प्रस्तुत किया.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

