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विराटपुर की घटना के लिए पुलिस प्रशासन के अलावा हमारा समाज भी है जिम्मेदार

सहरसा : बीते बुधवार को सोनवर्षाराज के विराटपुर गांव में एक शादी समारोह के दौरान चले शराब के दौर और अंधाधुंध फायरिंग के बीच एक डांसर की गोली मार हत्या करने की घटना से पूरा जिला शर्मसार हुआ है. इस घटना ने जिले के पुलिस प्रशासन को जितना कटघरे में खड़ा किया है. उससे कहीं […]

सहरसा : बीते बुधवार को सोनवर्षाराज के विराटपुर गांव में एक शादी समारोह के दौरान चले शराब के दौर और अंधाधुंध फायरिंग के बीच एक डांसर की गोली मार हत्या करने की घटना से पूरा जिला शर्मसार हुआ है. इस घटना ने जिले के पुलिस प्रशासन को जितना कटघरे में खड़ा किया है.
उससे कहीं अधिक यहां के समाज पर सवालिया निशान लगा दिया है. पुलिस के बाद समाज को भी इसकी पूरी जिम्मेदारी लेनी होगी. क्योंकि समाज के संरक्षण में ही शादी में आमंत्रित किये गए लोगों के बीच अश्लील डांस परोसे जा रहे थे. उसी समाज के बीच अंधाधुंध फायरिंग की जा रही थी. वैध-अवैध शस्त्रों का प्रदर्शन हो रहा था और लगातार शराब का दौर भी चल रहा था.
ऐसे में कैसे होगी कानून की रक्षा ?
आज समाज का हर एक व्यक्ति सभ्य व अनुशासित समाज की स्थापना चाहता है. सरकार व प्रशासन से ऐसे समाज की स्थापना में मदद की अपेक्षा रखता है. सरकार ने भी लोगों को शांति व सुकून उपलब्ध कराने के उद्देश्य से ही कई कानून बनाये हैं. प्रशासन से अनुमति लेने के बाद निर्धारित अवधि तक ऑरकेस्ट्रा का आयोजन करने का कानून है. ऑरकेस्ट्रा के नाम पर अश्लीलता परोसने को आपराधिक श्रेणी में रखा गया है. बिहार ड्राई स्टेट में शामिल है.
मतलब यहां शराब की खरीद-बिक्री और उपयोग सब अपराध हैं. अवैध हथियार रखना तो संगीन अपराध की श्रेणी में शामिल है ही. वैध हथियार का लाइसेंसी भी आत्मरक्षा के लिए दिया जाता है. किसी को डराने-धमकाने या फिर सार्वजनिक रूप से लेकर घुमने या फायरिंग करने के लिए नहीं. लेकिन विराटपुर में इन सभी कानूनों की धज्जी उड़ायी गयी. आखिर समाज ने इस पर पाबंदी क्यों नहीं लगायी या अवैध कार्यों का विरोध क्यों नहीं किया. समाज के किसी व्यक्ति ने पुलिस को शराब के दौर, अंधाधुंध फायरिंग व अश्लील डांस होने की जानकारी पुलिस को क्यों नहीं दी.
अश्लील डांस, शराब के दौर अंधाधुंध फायरिंग और डांसर की हत्या से शर्मसार हुआ है जिला
बढ़ती जा रही है सामाजिक विकृति, खोता जा रहा है अनुशासन और भटकते जा रहे हैं युवा
चुप्पी से भटकता है समाज
लोगों के बीच भय का माहौल जड़ जमा चुका है. इसीलिए समाज में हो रहे अवैध कार्यों का विरोध करने की परंपरा लगभग समाप्त होती जा रही है. वे सिर्फ और सिर्फ अपनी सुरक्षा और शांति चाहते हैं. यही कारण है कि घटना के अधिकतर मामलों में पुलिस को पीड़ित परिवार के अलावे कोई दूसरा गवाह नहीं मिलता है. इन्हीं कारणों से समाज के बीच अवैध कार्य लगातार बढ़ते जा रहे हैं. न तो कोई विरोध करता है और न ही किसी से शिकायत.
हालांकि लोगों की इस हालत के लिए बहुत हद तक पुलिस को भी जिम्मेदार माना जा सकता है. क्योंकि कई मामलों में यह बात सामने आ चुकी है कि लोगों की शिकायत पर पुलिस संज्ञान नहीं लेती है. वह अक्सर घटना घट जाने के बाद ही मौका-ए-वारदात पर पहुंचती है. कई अवैध कारोबार के मामले में पुलिस की संलिप्तता भी उजागर होती है. लेकिन उसे दबा दिया जाता है. पुलिस का सतत सहयोग नहीं मिलने से भी सामाजिक विकृति बढ़ती जा रही है. समाज का अनुशासन खोता जा रहा है और युवा भटकते जा रहे हैं.
अश्लील डांस, शराब के दौर अंधाधुंध फायरिंग और डांसर की हत्या से शर्मसार हुआ है जिला
बढ़ती जा रही है सामाजिक विकृति, खोता जा रहा है अनुशासन और भटकते जा रहे हैं युवा
अधिक फ्रेंडली हो गयी है पुलिस
मनोचिकित्सक डॉ गणेश प्रसाद ने कहा कि विराटपुर की नृशंस घटना के लिए पुलिस प्रशासन और समाज दोनों बराबर का दोषी है. अवैध कार्यों को अंजाम देने वालों पर न तो समाज का पहरा है और न ही पुलिस प्रशासन का. यदि समाज के किसी भी अमन पसंद व्यक्ति द्वारा शराबबाजी, गोलीबारी और अश्लील डांस की शिकायत पुलिस से की गयी होती और पुलिस द्वारा तत्काल एक्शन लिया गया होता तो अनहोनी को टाला जा सकता था.
जानकारी के अनुसार चौकीदार ने कथित रूप से छुट्टी जाने वाले थानाध्यक्ष को गोलीबारी होने की सूचना दी. लेकिन उन्होंने इसे पूरी तरह नजरअंदाज कर अपनी लापरवाही दिखायी. डॉ प्रसाद ने कहा कि संदिग्ध व अपराधियों में पुलिस का खौफ होना चाहिए, जो पिछले कई वर्षों से नदारद है. पुलिस के जरूरत से अधिक फ्रेंडली हो जाने के कारण ही थानों में शिकायतकर्ता या फरियादी कम और बिचौलिये ज्यादा बैठने लगे हैं. जब तक वर्दी का खौफ कायम नहीं होगा, अपराध में कमी नहीं आ सकेगी.

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