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… पर, पोड़ा पर नहीं चल रहा प्रशासन का कोड़ा
अवैध गिट्टी पकड़नेवालों को सड़क किनारे नहीं दिखता पोड़ा का अवैध धंधा डेहरी (कार्यालय) : पर्यावरण को लेकर जागरूक जिला प्रशासन द्वारा हर स्तर पर पौधारोपण करने व कराने का प्रयास किया जा रहा है़ लेकिन, उन्हीं अधिकारियों को पोड़ा का काला धुआं नहीं दिखाई दे रहा है़ उन अफसरों को भी नहीं, जो अवैध […]
अवैध गिट्टी पकड़नेवालों को सड़क किनारे नहीं दिखता पोड़ा का अवैध धंधा
डेहरी (कार्यालय) : पर्यावरण को लेकर जागरूक जिला प्रशासन द्वारा हर स्तर पर पौधारोपण करने व कराने का प्रयास किया जा रहा है़ लेकिन, उन्हीं अधिकारियों को पोड़ा का काला धुआं नहीं दिखाई दे रहा है़ उन अफसरों को भी नहीं, जो अवैध गिट्टी लदी गाड़ी की गंध दूर से ही महक लेते हैं.
सांस लेने की तकलीफ से जूझ रहे क्षेत्र के लोग इस बात को ले कर आश्चर्यचकित हैं कि अवैध तरीके से गिट्टी लाद कर जानेवाले वाहनों को जब्त कर अपने कर्तव्यों का सही ढंग से निर्वहन करने की साबूत पेश करने वाली पुलिस की नजर इस अवैध धंधे की तरफ आखिर क्यों कर नहीं जा रही है़ जिले में रहे एसपी शिवदीप लांडे ने अपने समय में अवैध तरीके से पोड़ा का कारोबार करनेवालों के खिलाफ काफी कड़ा कदम उठाया था़ उस समय यह धंधा जड़ से उखड़ गया था़ लेकिन, एक बार फिर उन अवैध कारोबारियों का हौसला बुलंद होता दिख रहा है. लोगों के बीच यह चर्चा है कि इस अवैध धंधे से जुड़े लोगों ने एक चेन बना गया है़ इसमें नीचे से ऊपर तक के अधिकारियों को खुश रखने की व्यवस्था है.
क्या है पोड़ा : साधारण बोल चाल की भाषा में कच्चा कोयला को जला कर उसके धुएं को कम करने की प्रक्रिया के तरत बनाये गये पके कोयले को पोड़ा कहते हैं. पोड़ा बनाने के लिए कुशल मजदूरों द्वारा कोयला की बोझाई की जाती है और उसमें आग जला कर एक तय समय तक रखा जाता है. कोयला पक जाने के बाद पानी से बुझा दिया जाता है. फिर ऊंची कीमत पर उसे ट्रकों पर लाद कर उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों में भेजा जाता है.
बोले अधिकारी
अनुमंडल पदाधिकारी पंकज पटेल कहते हैं कि किसी भी प्रकार के अवैध धंधे को क्षंत्र में फलने फूलने नहीं दिया जायेगा. अवैध कारोबारियों के विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी.
कहां-कहां लगता है पोड़ा
शहर से सटे कोल डिपो के आस-पास के इलाके में पोड़ा बनाने का अवैध धंधा शुरू से ही फल फूल रहा है.हालांकि, पूर्व में पोड़ा लगाने के स्थानों पर कई बार छापेमारी भी की गयी. कई कारोबारी की गिरफ्तारी भी हुई है. बावजूद इस धंधे को कुछ दिनों तक बंद रखने के बाद कारोबारी अधिकारियों से लाइन अप कर शुरू कर देते हैं. इस अवैध धंधे को कई सफेदपोशों का समर्थन प्राप्त होना भी बताया जाता है.
अपनी राजनीति को चमकाने में लगे वैसे राजनेता व चंद रुपयों के फायदे की लालच में कारोबारी यह भूल जाते हैं कि पर्यावरण दूषित होने से उत्पन्न होने वाले खतरा से आने वाले दिनों में उन्हें व उनके बच्चों को भी प्रभावित होना पड़ेगा. इन दिनों गरवट बिगहा, मनौरा, चकिया आदि इलाकों में धड़ल्ले से यह धंधा फल फूल रहा है. चकिया के पास स्थित एक फैक्टरी में सबसे अधिक मात्रा में कायेला पका कर पोड़ा बनाने की चर्चा है.
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