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बरसात में स्वच्छता अभियान ठिठुरा

सासाराम कार्यालय : पिछले वर्ष लगा था, मानों पूरा शहर चकाचक हो जायेगा. जिसे देखो, वहीं झाडू लेकर सड़क पर निकल पड़ता था़ झुंड के झुंड तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता व सरकारी अधिकारी सफाई का संकल्प लेते रहते थे. सफाई के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए छात्रों को रैलियों में झोंका जाता था. कुछ […]

सासाराम कार्यालय : पिछले वर्ष लगा था, मानों पूरा शहर चकाचक हो जायेगा. जिसे देखो, वहीं झाडू लेकर सड़क पर निकल पड़ता था़ झुंड के झुंड तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता व सरकारी अधिकारी सफाई का संकल्प लेते रहते थे.
सफाई के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए छात्रों को रैलियों में झोंका जाता था. कुछ दिनों तक सफाई शगल बनी रही. इसके बाद अचानक इसमें मंदी आ गयी है. हालात यह बन गये हैं कि अब कोई सफाई करना, तो दूर लोगों को जागरूक करने के लिए भी सड़क पर नहीं निकल रहा है.
जबकि, उन सूखे के दिनों की बजाय बरसात में गंदगी बढ़ी है. अस्पताल से लेकर शहर के उन तमाम जगहों पर गंदगी है, जहां तथाकथित समाजसेवी शान से झाडू लेकर अपनी फोटो खिंचावाते थे.
सूखे के दिनों में शहर का महात्मा गांधी स्माकर चौक व शेरशाह सूरी के मकबरे का मुख्य द्वारा सफाई का केंद्र बिंदु बना रहा़ अधिकतर सफाई के कार्यक्रम इन्हीं स्थलों पर होते थे़ उस समय भी शेरशाह सूरी मकबरे के द्वार पर सफाई करने वाले मकबरा के उत्तर, दक्षिण व पूरब दिशा की सड़कों की ओर रूख नहीं करते थे.
सरकारी कार्यालयों के सामने भी पानी जमा
वर्तमान में बारिश का मौसम आ चुका है. शहर में जलजमाव व गंदगी से हालात बिगड़ते जा रहे हैं. सफाई के कर्णधार नगर पर्षद कार्यालय के सामने ही जलजमाव है. सफाई के लिए संकल्प लिए जिले के अफसरों का प्रमुख कार्यालय कलेक्ट्रेट की सड़क पर पानी जमा है.
शहर के उत्तरी मुहल्लों में जलजमाव होने से सफाई कर्मी में उसमें जाने से कतराने लगे हैं. परेशान लोग सूखे के दिनों में कर्तव्य का पाठ पढ़ोने वाले तथा कथित बैनर-पोस्टर लेकर चलने वाले उनका हाल भी लेने नहीं पहुंच रहे हैं.
फोटो छपवाने के लिए चल रहे थे झाड़ू
शहर के चंवर तकिया मुहल्ला निवासी शिवपूजन सिंह ने कहा कि सब ढकोसला करते हैं. उन्हें सफाई से कोई मतलब नहीं है. वह अखबार में नाम व फोटो के लिए काम किये थे.
जैसा मेरा मुहल्ला था, आज भी वैसा ही है.
वहीं, शेरगंज निवासी अनिल कुमार ने कहा कि जहां सफाई की जरूरत थी. जहां, सही में लोगों को जागरूक करना था, वहां तो तथाकथित सामाजिक कार्यकर्ता कभी पहुंचे ही नहीं. अब तो बारिश का समय आ गया है. ऐसे में उनसे उम्मीद करना बेमानी होगा. वे झाड़ू लगाये, लेकिन मूल समस्या के निदान के लिए कभी पहल ही नहीं किये. जो गंदगी कल थी, आज भी है.

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