जलालगढ़. जैसा शरीर है वैसा ही शरीर की छाया है. जब शरीर है तब छाया है, शरीर नहीं रहे तो छाया का अस्तित्व नहीं. ज्ञान के बिना सब अधूरा है और सत्संग ही सत्य ज्ञान है. उक्त बातें संतमत कुप्पाघाट के गुरुसेवी स्वामी भागीरथ बाबा ने जलालगढ़ के एन डी रुंगटा उवि स्टेडियम में अपने प्रवचन के माध्यम से कही. जलालगढ़ के स्टेडियम में पूर्णिया जिला के संतमत का 66 वां वार्षिक अधिवेशन के समापन सत्र में में रविवार को स्वामी भागीरथ बाबा ने कहा कि मिट्टी विभिन्न रूप को धारण करती है, जिसे हम घड़ा, सुराही आदि आकृति के नाम से बोध करते हैं. जबकि यह मिट्टी के अलावे कुछ नहीं है. ठीक उसी प्रकार नाम रूपात्मक जगत में ब्रह्म के अलावे कुछ नहीं है. अनेकता भासित होती है, अनेक दिखाई पड़ते हैं लेकिन सभी एक ही है. प्रवचन के माध्यम से गुरुसेवी द्वारा यह बताया गया कि इस भौतिक स्वरूप में सभी सजीव की उत्पत्ति एक ही तत्व से हुई है. बस इसके स्वरूप अलग-अलग दिखाई व सुनाई देते है. आकृति बदलती है और आकार का स्वरूप भी बदलता है लेकिन जीवात्मा का एक ही माध्यम है. विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से श्रद्धालुओं को समझाते हुए गुरुसेवी ने कहा कि जीवन में सुख परमात्मा की भक्ति के माध्यम से मिलता है. उन्होंने कहा कि “राकापति षोड़स उअहिं तारा गन समुदाइ, सकल गिरिन्ह दव लाइय बिनु रवि राति न जाइ, ऐसेहि बिनु हरि भजन खगेसा मिटइ न जीवन्ह केर कलेसा ” उनकी यह पंक्ति को सुन सब शांत चित्त हो गए और परम परमात्मा की ध्यान को धारण कर लिया. मौके पर स्वामी प्रमोद बाबा ने सत्कर्म को ही सत्संग कहा. कहा भौतिकवादी युग में लोगों ने जीवन का स्वरूप बदल दिया है. लेकिन सत्संग में गुरु की प्राथमिकता रही है. कहा जब तक शरीर है तब तक भौतिकवादी सुख की अनुभूति कर सकते हैं. उसके बाद सत्कर्म और सत्य का आधार सत्संग को ही लोग तलाश करते हैं. मौके पर स्वामी स्वरूपानंद बाबा, स्वामी सत्यप्रकाश बाबा, स्वामी निर्मलानंद बाबा, स्वामी गणेशानंद बाबा आदि संतमत के दर्जनों साधु महात्मा का आशीर्वचन हुआ और श्रद्धालु इस प्रवचन को सुन आत्मीय शांति को प्राप्त किया. आयोजन कमेटी के प्रो कमल किशोर सिंह, वेदांत आश्रम के आचार्य गणेशानंद बाबा, तीर्थानंद साह, उमानंद साह, महेंद्र साह, मनोज दास, मनोज वर्णवाल, अरुण साह, अनूपलाल मंडल, भोला साह आदि स्थानीय सत्संग में तत्पर रहे.
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