दिव्यांगता की पहचान एवं उन्हें सरकारी योजनाओं से जुड़ाव विषय पर कार्यशाला पूर्णिया. दीपालय मानसिक स्वास्थ्य एवं विकलांग पुनर्वास संस्थान पूर्णिया द्वारा जिला प्रोग्राम कार्यालय एवं बाल विकास परियोजना पूर्णिया सदर के संयुक्त तत्वावधान में सेविकाओं के लिए ‘दिव्यांगता की पहचान एवं उन्हें सरकारी योजनाओं से जुड़ाव’ विषय पर एक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन प्रखंड संसाधन केन्द्र के लर्निंग सेंटर के प्रशाल में आयोजित किया गया. इस प्रशिक्षण कार्यशाला में दीपालय के निदेशक डॉ. ए. के. रमण ने दिव्यांगता के कारणों पर चर्चा करते हुए कहा कि इसके मुख्य कारणें में कम उम्र में मां बनना, समगोत्र में विवाह, मां का कुपोषित होना, गर्भवती मां की नियमित जांच में कमी ‘टार्च इन्फेकशन’इसमें भी रुबेला जो श्रवण विकलांगता का मुख्य कारण, जन्म के समय बच्चों का देर से रोना, गले में गर्भनाल लिपटा रहना, नियोनेटल जॉण्डिश, गुणसूत्र की गड़बड़ी तथा गर्भावस्था के दौरान मां की मनोवैज्ञानिक स्थिति ठीक नही रहना शामिल है. दिव्यांगता की रोकथाम में सर्वोत्तम उपाय संस्थागत प्रसव है, जहां सुरक्षित प्रसव के साथ-साथ टीकाकरण तथा विशेषज्ञ की सुविधा सरकार द्वारा उपलब्ध करवायी गयी है. डॉ रमण ने बताया कि समाज में आमतौर पर शारिरिक /अस्थि दिव्यांग, अंध दिव्यांग, श्रवण दिव्यांग अथवा बौद्विक दिव्यांग, काही दिव्यांगता की श्रेणी में रखा जाता है जबकि दिव्यांग जन अधिनियम 2016 के अनुसार कुल इक्कीस प्रकार की दिव्यांगता का वर्णन है. दिव्यांगों की पहचान, उपचार एवं विभिन्न सरकारी योजनाओं में सहभागिता सुनिश्चित करते हुए जिला स्तर पर जिला दिव्यांग सशक्तिकरण कोषांग तथा राज्य के सभी जिला पदाधिकारियों को अपर आयुक्त (निःशक्तजन)के रुप में नामित किया गया है. साथ ही अनुमंडल स्तर पर सेवा हेतु बुनियाद केंद्र की भी स्थापना सरकार द्वारा की गयी है. गैर सरकारी स्तर पर जिले में दीपालय संस्थान दिव्यांगजनों की सेवा में पिछले तीस वर्षो से कार्यरत है. उल्लेखनीय है कि दिव्यांगजनों को विद्यालय में स्टाइपेंन्ड, रोजगार हेतु ॠण, पेंशन, इन्दिरा आवास योजना में प्राथमिकता, सरकारी नौकारी में 3% का आरक्षण सहित दिव्यांगों के उत्थान हेतु बहुत सी योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है. राष्ट्रीय मुक्त विद्यालीय संस्थान (एनआइओएस) की ओर विभिन्न शैक्षणिक कार्यक्रमों का संचालन हो रहा है. आवश्यकता इस बात की है, कि सामाजिक स्तर पर इसका प्रचार -प्रसार अतिआवश्यक है ताकि सभी इक्कीस प्रकार के दिव्यांग योजनाओं का लाभ उठा सकें. इसके लिए निःशक्तता प्रमाण पत्र एवं यूडीआइडी कार्ड बनवाना भी जरूरी है. इस कार्यक्रम में पूर्णिया सदर परियोजना की केन्द्र सं. 01 से 60 तक की सभी सेविका, महिला पर्यवेक्षिका एवं दीपालय संस्थान के क्षितीज रमण, रश्मि कुमारी, मनीष कुमार, मोनू कुमार, उदय शंकर सिंह ने भाग लिया.
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