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सेहरी व इफ्तारी की खरीददारी से बाजारों की बढ़ी रौनक

माह-ए-रमजान

माह-ए-रमजान:

रोजा पर इस बार पड़ रही महंगाई की मार, बढ़ीं रोजेदारों की मुश्किलें

महंगाई ने फीका किया चीनी-सेवई का स्वाद, काजू- किशमिश के भाव चढ़े

पूर्णिया. रमजान उल मुबारक जश्न ए कुरान का महीना है. इस महीने में नेकी करने वालों पर रहमत बरसती है. बीते रविवार से यह महीना शुरू हो गया है और लोग रोजा भी रख रहे हैं. शहर में रमजान के बाजार भी सज गये हैं जहां लोग सेहरी आड़े आ रही है. फिर भी लोग पीछे नहीं हट रहे हैं. आलम यह है कि रमजान के लेकर मार्केट में हर रोज भीड़ नजर आ रही है जिससे बाजारों की रौनक बढ़ी हुई है. अगर महंगाई की बात करें तो चीनी और सेवई का स्वाद फीका हो गया है तो खजुर की मिठास भी कम हो गई है. सेव, नारंगी, काजू-किशमिश सभी के भाव चढ़े हुए हैं.

रोजेदार कहते हैं कि दर्द किसी एक जगह हो तो बयां करें, यहां तो चहुंओर दर्द ही दर्द है. एक तरफ सेवई के लच्छों में उछाल है तो दूसरी ओर तेल, बेसन और मूढ़ी-कचड़ी भी महंगाई की चपेट में है. पूर्णिया सिटी के साकिब रजा और गुलाबबाग के रुस्तम खान कहते हैं कि महंगाई ने पसीना उतार रखा है. लाइन बाजार के दवा दुकानदार तनवीर मुस्तफा कहते हैं कि फल से लेकर चना दाल तक महंगे हो गये हैं. रोजेदारों का कहना है कि हर बाजार में महंगाई का जलवा है. फिलहाल वे सेहरी और इफ्तार की तैयारी कर रहे हैं पर उनकी यह कोशिश रहती है कि रमजान के दौरान ही धीरे-धीरे ईद की थोड़ी-थोड़ी खरीददारी कर लें ताकि एकबारगी खर्च का बोझ महसूस न हो.

हैदराबादी सेवई व सउदी का खजूर बना खास

लाइन बाजार चौक से रजनी चौक के बीच सजे सेवई और काजू-किशमिश के बाजारों में गरमाहट दिखने लगी है. इस बार बड़ी कंपनियों ने सेवई के लच्छे बाजार में उतारे हैं. सेवई के बाजार में हैदराबादी सेवई उतरा है जो महंगा भी है. वैसे इस बाजार में बनारस, कोलकाता, पटना के अलावा लोकल सेवई भी बाजार में है पर दाम में उछाल है. दुकानदार जाकीर कहते हैं कि दाम जो भी हो, बिक्री तो होनी ही है. कई दुकानदारों ने बताया कि रमजान में इस बार बाजार अच्छा रहने की उम्मीद है. दुकानदारों ने बताया कि हैदराबादी सेवई और सउदी का खजूर पूर्णिया के बाजारों का खास आइटम माना जा रहा है.

महंगाई पर भारी पड़ रही परंपरा

रमजान के बाजार में इस साल अमूमन सभी आइटम महंगे हैं पर खरीदारी पर इसका कोई असर नहीं दिख रहा है. रोजेदार कहते हैं कि काफी इंतजार के बाद माहे रमजान आता है और इसमें तो रहमतों की बारिश होती है फिर वे कंजूसी या कटौती क्यों करें. पूरे उत्साह के साथ वे अपनी परम्परा का निर्वाह करते हैं. इधर, दुकानदारों का कहना है कि रमजान के पर्व में वे खुद भी मुनाफाखोरी से परहेज करते हैं. यहां अपनी ओर से वे कोई दाम नहीं बढ़ाते बल्कि थोक भाव में खरीदे गय सामान पर सिर्फ परिवहन व्यय जुटता है. निर्माण सामग्रियों के महंगा होने के कारण बाहर से ही सामान महंगा आ रहा है.

कारोबारियों को बेहतर बिकवाली की उम्मीद

रमजान को लेकर इस साल बाजारों में खासी चहल-पहल है और दुकानदारों को बेहतर बिकवाली की भी उम्मीद है. थाना चौक पर सेवई कारोबार चलाने वाले मो. जाकीर बताते हैं कि त्योहार पिछले साल भी मनाया गया था और लोकल स्तर पर खरीददारी भी हुई थी पर इसका आंकड़ा अपेक्षाकृत कम था. मनोज बताते हैं कि पूर्णिया में तैयार की जाने वाली सेवई सहरसा, मधेपुरा, सुपौल, अररिया और किशनगंज तक भेजी जाती है पर पिछले साल आवागमन प्रभावित होने के कारण इसकी बिक्री सिमट कर रह गई थी. मगर, इस साल पहले दिन से ही अपेक्षाकृत बिक्री तेज है.

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कीमत प्रति किलो

काजू- 800 से 1000

बेदाना 150 से 200

किशमिश 350 से 450

सेव 120 से 150

खजूर 300 से 600

खीरा 30 से40

सेवई 120 से 300

चूड़ा 60 से 80

मूढ़ी 65 से 70

पपीता 50 से 60

अंगूर 120 से 150

अमरुद 100 से 150

केला 50 से 60 रू. दर्जन

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