शुद्ध पेयजल संकट
पूर्णिया. एक कहावत है कि जल ही जीवन है अथवा जल है तो जीवन है और यह हकीकत भी है. इस धरा पर पानी की उपलब्धता कई रूपों में हैं. नदी, वर्षा और भूगर्भीय जल. लेकिन पीने के पानी की अगर बात की जाय तो मुख्य रूप से भूगर्भीय जल ही एक ऐसा श्रोत है जो सभी जगह उपलब्ध है और जिसका लम्बे समय से दोहन किया जा रहा है. हाल के दिनों में विभिन्न नदियों के जलस्तर में बढ़ोतरी की वजह से जिले के कई इलाकों में कटाव और बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं. पूर्वी भाग में अवस्थित अमौर प्रखंड में कनकई नदी से कटाव की भयानक स्थिति बन गयी है तो दूसरी ओर जिले के पश्चिमी भाग में कोसी में जल वृद्धि से रुपौली प्रखंड के दर्जनों गांव बाढ़ से घिर गये हैं. कई पंचायतों में बाढ़ की स्थिति खतरनाक बनी हुई है. जिले में अगर बाढ़ की बात की जाय तो अगस्त एवं सितम्बर तक इसकी संभावना बनी रहती है. इन हालातों में सबसे ज्यादा परेशानी पेय जल संकट के रूप में सामने आती है. शुद्ध पेयजल की अनुपलब्धता अपने साथ अनेक स्वास्थ्य समस्याएं लेकर आती हैं. समस्याओं के बाद समाधान की व्यवस्था तो स्वास्थ्य विभाग ने कर ली है लेकिन समस्या न हो इस दिशा में विभाग के हाथ खाली हैं. जी हां बाढ़ पूर्व प्रशासनिक तैयारियों में स्वास्थ्य विभाग के दवा भंडार में पानी शुद्ध करने वाली टेबलेट हेलोजन उपलब्ध ही नहीं है.बाढ़ पूर्व तैयारी में सुरक्षा और स्वास्थ्य पर दिया गया था विशेष जोर
जिले में संभावित बाढ़ को लेकर जिला प्रशासन द्वारा लोगों की सुरक्षा एवं स्वास्थ्य को लेकर पूर्व से ही तमाम तैयारियां रखने का निर्देश संबंधित विभागों को दिया गया था. जिलाधिकारी कुंदन कुमार ने इस बाबत कई समीक्षात्मक बैठकें भी की और सभी को अलर्ट रहने का निदेश दिया. दूसरी ओर स्वास्थ्य विभाग ने भी जलजनित संभावित बीमारियों को देखते हुए पूर्व में ही सभी स्वास्थ्य केन्दों में डायरिया की दवा उपलब्ध कराते हुए घर घर जिंक की गोली एवं ओआरएस के पैकेट्स बंटवा दिए थे लेकिन पेयजल को शुद्ध करने वाली गोली अनुपलब्ध ही रही.
…….हर साल जिले को एक लाख हेलोजन टेबलेट की होती है आपूर्ति
बाढ़ को लेकर पेयजल की शुद्धता बनाए रखने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली गोली हेलोजन की आपूर्ति हर वर्ष जिले को की जाती है. स्टोर कीपर अमरेद्र कुमार ने बताया कि प्रति वर्ष जिले को 01 लाख हेलोजन टेबलेट्स की आपूर्ति की जाती है. इसी क्रम में उन्होंने बाढ़ पूर्व तैयारियों के मद्देनजर प्राप्त आदेश के आलोक में इस वर्ष भी अप्रैल एवं मई माह में रिमाइंडर के साथ मांगपत्र प्रेषित किया था लेकिन अभी तक उसकी आपूर्ति नहीं हुई है. मिली जानकारी के अनुसार हेलोजन टेबलेट्स की एक्सपाइरी अवधि मात्र एक वर्ष की ही होती है जिस वजह से उसे प्रति वर्ष मंगाना स्वास्थ्य विभाग की मजबूरी है. बताते चलें कि डायरिया से होने वाली मौत से छोटे बच्चों की हिफाजत के लिए स्वास्थ्य विभाग विगत 23 जुलाई से लेकर 22 सितम्बर तक विशेष दस्त रोकथाम अभियान चला रहा है जिसके तहत उनके त्वरित उपचार की व्यवस्था के साथ साथ शरीर के निर्जलीकरण को रोकने के लिए एहतियात के तौर पर स्वास्थ्यकर्मियों की मदद से जिंक एवं ओआरएस पैकेट्स घर घर बंटवाये गये हैं.बोले अधिकारी
अमूमन पीने के पानी के लिए लोग हैण्डपम्प का इस्तेमाल करते हैं. जिन स्थानों पर जलजमाव हो जाता है तो इनके दूषित होने की पूरी संभावना बन जाती है. इसके लिए ट्यूबबेल में हेलोजन टैबलेट को डालकर 12 से 24 घंटे तक छोड़ दिया जाता है उसके बाद ही उसके पानी को पीने की सलाह दी जाती है. या नहीं तो पानी को कुछ देर तक चूल्हे पर उबालने पर उपस्थित जर्म्स खत्म हो जाते हैं.फोटो -13 पूर्णिया 6- मुकेश प्रसाद विश्वास, कार्यपालक अभियंता, लोक स्वास्थ्य अभियन्त्रण
बोले सीएस
स्वास्थ्य विभाग द्वारा डायरिया की स्थिति से निबटने के लिए लोगों के बीच जिंक दवा तथा ओआरएस के पैकेट्स पहले से ही वितरित किये गये हैं. सम्बंधित स्वास्थ्य केन्द्रों एवं अस्पतालों में भी दवाइयां उपलब्ध हैं. इस दफा मांगपत्र भेजने के बाद भी हेलोजन टेबलेट की आपूर्ति अबतक नहीं हो पायी है जिस वजह से वह दवा अनुपलब्ध है. फोटो – 13 पूर्णिया 7- डॉ. प्रमोद कुमार कनौजिया, सिविल सर्जनफोटो. 13 पूर्णिया 8- अस्पताल के चापाकल से पानी लेती महिला
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