शिक्षकों का ट्रांसफर में टाल-मटोल पर कांग्रेस नेता ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र पूर्णिया. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य इन्तेखाब आलम ने बिहार के शिक्षकों की लटकती स्थानांतरण प्रक्रिया और उसमें बरती जा रही अनदेखी को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विस्तृत पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने ट्रांसफर प्रक्रिया की धीमी गति, पारदर्शिता की कमी और शिक्षकों की उपेक्षित स्थिति पर गहरी चिंता जतायी है. आलम ने कहा कि बिहार सरकार द्वारा शुरू की गई ई-शिक्षाकोष प्रणाली से शिक्षकों को न्याय और पारिवारिक संतुलन की उम्मीद थी, परंतु 7 जून 2025 को जारी की गयी रिपोर्ट ने उन्हें और अधिक हताश कर दिया है. कुल 1.90 लाख आवेदनों में से केवल 26,507 शिक्षकों को ही नयी तैनाती मिली है, यानी केवल 23%. शेष 77% शिक्षक अब भी असमंजस और उपेक्षा के शिकार हैं. पत्र में इन्तेखाब आलम ने पांच ठोस मांगें मुख्यमंत्री के समक्ष रखीं. इनमें शिक्षकों को उनके गृह पंचायत, गृह प्रखंड अथवा गृह ज़िले में प्राथमिकता के आधार पर स्थानांतरित करने, स्थानांतरण प्रक्रिया को 20 जून तक समयबद्ध रूप से पूर्ण कराने,.प्रक्रिया की पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु शिक्षक संगठनों की भागीदारी के साथ एक उच्चस्तरीय जांच समिति गठित करने, सभी स्थानांतरण आदेशों को पोर्टल पर सार्वजनिक करने एवं शिक्षकों की शिकायतों के त्वरित निवारण हेतु अलग हेल्पलाइन और व्यवस्था बनाने की मांग शामिल है. इन्तेखाब आलम ने पत्र में स्पष्ट किया कि शिक्षकों को असमंजस में डालना, पोर्टल को बार-बार लॉग-इन करने के लिए बाध्य करना और निर्णय प्रक्रिया को अस्पष्ट रखना शिक्षा व्यवस्था और शिक्षक सम्मान, दोनों के साथ खिलवाड़ है. उन्होंने चेतावनी भी दी कि यदि सरकार शीघ्र कार्रवाई नहीं करती, तो कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे को लेकर प्रदेशव्यापी आंदोलन शुरू करने पर विवश होगी.
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