पूर्णिया. पूर्णिया विवि में बड़े पैमाने पर डिग्री घोटाला उजागर हुआ है. यूजी, पीजी और पीएचडी प्रवेश परीक्षा के आयोजन, मूल्यांकन, टैबुलेशन और अंकपत्र व प्रोविजनल जारी करने में अनियमितताओं का खुलासा जांच कमेटी ने किया है. इस मामले में जांच कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद कुलपति प्रो. विवेकानंद सिंह ने पूर्व परीक्षा नियंत्रक प्रो. अजय कुमार पांडेय को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है. निलंबन अवधि में मारवाड़ी कॉलेज किशनगंज में उनका मुख्यालय निर्धारित किया गया है. करीब 15 दिन पहले ही उन्हें परीक्षा नियंत्रक के दायित्व से मुक्त किया गया था. वर्तमान में प्रो. पांडेय विवि भौतिकी विभागाध्यक्ष के रूप में कार्यरत थे.
बिहार राज्य विवि अधिनियम 1976 और स्टैटयूट के आर्टिकल 102 के अनुसार प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए कुलपति प्रो. विवेकानंद सिंह ने निलंबन की यह कार्रवाई की है. पूर्व परीक्षा नियंत्रक पर आरोप है कि परीक्षा नियंत्रक की जिम्मेवारी निर्वहन करने के दौरान व्यापक कदाचार किया जिससे परीक्षा व्यवस्था और विवि की प्रतिष्ठा पर आंच आयी. गौरतलब है कि पूर्णिया विवि ने 17.2.2025 को फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित की. 18.2.2025 से कमेटी ने अपनी जांच शुरू की. 9 मार्च व 21 मार्च को कमेटी ने अंतरिम रिपोर्ट में गड़बड़ियों की ओर स्पष्ट इशारा किया. इसके बाद ही प्रो. अजय कुमार पांडेय को परीक्षा नियंत्रक के दायित्व से मुक्त कर दिया. अंतिम रिपोर्ट आते ही विवि ने निलंबन की कार्रवाई कर दी. इस आशय की सूचना राजभवन को भी दी गयी है. इधर, निलंबित किये गये पूर्व परीक्षा नियंत्रक प्रो. एके पांडेय ने बताया कि नयी जवाबदेही मिलने की प्रत्याशा में वे थे. मगर विवि प्रशासन ने उन्हें देर रात ईमेल पर निलंबन का पत्र दिया है.बिना शिक्षक के परीक्षाओं की कॉपियों की हो गयी जांच
जांच कमेटी ने पाया है कि शिक्षकों के बिना ही परीक्षा विभाग ने विवि की परीक्षाओं की कॉपियों की जांच करा ली. जांच रिपोर्ट के अनुसार डिग्री पार्ट टू 2024, डीपी थ्री 2024, सीबीसीएस सेमेस्टर वन, सेमेस्टर टू, सेमेस्टर थ्री 2023-27 की परीक्षाएं लगभग एक साथ ली गयीं. ऐसे में कॉलेजों के शिक्षक वीक्षण कार्य में व्यस्त थे. आरोप है कि जब जांच कमेटी ने यह सवाल किया कि ऐसी स्थिति में मूल्यांकन कैसे हो गया तो उसे परीक्षा विभाग से कोई जवाब नहीं मिला. परीक्षकों की सूची भी उपलब्ध नहीं करायी गयी.टैबुलेशन पंजी में हुई छेड़छाड़
जांच रिपोर्ट में टैबुलेशन पंजी में छेड़छाड़ को खासतौर से इंगित किया गया. पीजी टू जून 2024, पीजी फोर्थ जून 2024, पीजी थर्ड दिसंबर 2024, पीजी वन दिसंबर 2023 के टैबुलेशन रजिस्टर में कई बदलाव किये जाने के बाद भी टैबुलेटर या सक्षम पदाधिकारी का काउंटर साइन नदारद पाये जाने का आरोप पूर्व परीक्षा नियंत्रक पर लगाया गया है.परीक्षा बोर्ड की अनुमति के बगैर हुए कार्य
जांच कमेटी ने पाया है कि परीक्षाओं से संबंधित कार्य परीक्षा बोर्ड की अनुमति के बगैर किये गये. जबकि नियम के अनुसार, परीक्षा विभाग को परीक्षा बोर्ड का मार्गदर्शन और अनुमति लेकर ही परीक्षा संबंधित कार्य निबटाने होते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है