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सिकुड़ती सौरा को है किसी रहनुमा की तलाश

पूर्णिया : सिकुड़ती सिमटती शहर की सौरा नदी को अब किसी रहनुमा की तलाश है. प्रदूषण और अतिक्रमण के बीच छटपटाती सौरा चाहती है कि उसकी स्वच्छ और निर्मल जलधाराएं अविरल बहती रहें और उसे भरोसा है कि इसके लिए सरकार की जल संरक्षण योजना से शीघ्र जोड़ा जायेगा. दम तोड़ती सौरा की पीड़ा से […]

पूर्णिया : सिकुड़ती सिमटती शहर की सौरा नदी को अब किसी रहनुमा की तलाश है. प्रदूषण और अतिक्रमण के बीच छटपटाती सौरा चाहती है कि उसकी स्वच्छ और निर्मल जलधाराएं अविरल बहती रहें और उसे भरोसा है कि इसके लिए सरकार की जल संरक्षण योजना से शीघ्र जोड़ा जायेगा. दम तोड़ती सौरा की पीड़ा से शहर का आम अवाम भी पीड़ित है पर इसके संवर्द्धन की कोई मंजिल मिलती नजर नहीं आ रही है. अलबत्ता सौरा अपने नेता और अफसरान की ओर निगाहें गड़ाए बैठी है, इस आस से कि निकलेगा सूरज कभी कोहरों के बीच से.

गौरतलब है कि शहर के बीच से गुजरी सौरा नदी के संरक्षण, संवर्द्धन और सौंदर्यीकरण का मुद्दा पटना और दिल्ली तक गूंजता रहा है और राज्य सरकार के नगर विकास मंत्री ने भी इसके लिए भरोसा दिलाया. इधर, जल संसाधन मंत्री ने भी इसे अतिक्रमण से मुक्त कराने का निर्देश जारी किया पर इतना कुछ के बावजूद सौरा से जुड़े सवाल जस के तस खड़े हैं.
खबर है कि अतिक्रमण की जांच पूरी हो गयी है पर फिलहाल ठंडे बस्ते में है. इधर, आम अवाम भी हैरान है कि सौरा के संरक्षण और सौन्दर्यीकरण के मामले में नगर निगम की ओर से भी कोई पहल नहीं हो रही है जबकि जल संजय योजना के तहत पहल की जा रही है.
यहां उल्लेख्य है कि विभागीय मंत्री के निर्देश के बाद सौरा नदी के सर्वे के लिए पटना से सर्वेयर बुलाए जाने की योजना बनायी गयी थी और मापी कर नदी की जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराए जाने का निर्देश जारी किया गया था. कहते हैं, इस दिशा में पहल भी शुरू की गयी थी पर काम आगे नहीं बढ़ सका.
अगर हो नजर-ए इनायत तो बन सकता है मरीन ड्राइव : शहरवासियों का मानना है कि प्रशासन के अधिकारी यदि जरा सी नजर-ए इनायत कर दें तो सौरा नदी का किनारा मरीन ड्राइव के रूप में विकसित हो सकता है. पूर्णिया के युवाओं का कहना है कि आये दिन शहर के सौंन्दर्यीकरण की योजनाएं बनायी जाती हैं और इस मद में राशि भी आवंटित होती है.
सौंदर्यीकरण योजना के तहत ही शहर में राजेन्द्र बाल उद्यान समेत कई पार्क विकसित किये गये और गुलाबबाग में एक पार्क निर्माण की योजना आयी है. युवाओं का कहना है कि सौरा के तट अगर मरीन ड्राइव की तर्ज पर इसकी सफाई और इसके सौन्दर्यीकरण की पहल हो जाये तो शहर की खूबसूरती बढ़ जायेगी.
नदी किनारे स्टोन पिचिंग, फुटपाथ और घाटों का निर्माण, बैठक की व्यवस्था, डेक निर्माण और आस पास बागवानी हो जाये तो यह न केवल पिकनिक स्पॉट बन जायेगा बल्कि पूर्ण अरण्य से बने पूर्णिया की सार्थकता भी काफी हद तक सिद्ध होगी.
गंगा, यमुना और सरस्वती है सौरा नदी: पूर्णियावासियों के लिए सौरा नदी ही गंगा, यमुना और सरस्वती है जहां माघी पूर्णिमा, कार्तिक पूर्णिमा, छठ और मकर संक्रांति के अवसर पर लोग श्रद्धा की डुबकी लगाते हैं. अपने इलाके में यही यह नदी है जिसकी पवित्र जलधाराओं की असीम आस्था के साथ महाआरती उतारी जाती रही है जिसका साक्षी पूरा शहर बना है.
शहर के बीच से गुजरने वाली सौरा नदी के प्रति पूर्णियावासियों की हमेशा से आस्था रही है. खास तौर पर पूर्णिया सिटी में कालीबाड़ी के ठीक सामने से यह नदी बह रही है जहां लोग स्नान कर पूजा-अर्चना करते हैं. विष्णु पुराण में सौरा का जिक्र सकृन्नदी के रुप में आया है.
मगर विडम्बना है कि यही नदी काली बाड़ी से आगे बढ़ने के बाद मैली और संकरी हो गई है. यहां से कप्तान पुल की ओर जैसे-जैसे बढ़ते हैं नदी का आकार छोटा होता चला गया है. कप्तान पाड़ा यहां का एक मोहल्ला है और इसके पीछे देखा जाए तो नदी पूरी तरह संकरी हो चली है जबकि पहले इसकी काफी चौड़ाई हुआ करती थी.

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