मक्का की कीमतों में गिरावट जारी, बाजार में खरीदार नहीं
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तीन सदस्यीय टीम ने आधारभूत संरचनाओं का किया निरीक्षण
मक्का की कीमतों में गिरावट जारी, बाजार में खरीदार नहीं पूर्णिया : मक्का की कीमतों में गिरावट जारी है. बाजार में खरीदार नहीं हैं. स्टॉक करनेवाले चुप हैं तो किसान बेहाल हैं. स्थिति यह है कि मंडी में मक्का के खरीदार कुछ बोलने की स्थिति में नहीं हैं. कोई बता नहीं पा रहा कि यह […]
पूर्णिया : मक्का की कीमतों में गिरावट जारी है. बाजार में खरीदार नहीं हैं. स्टॉक करनेवाले चुप हैं तो किसान बेहाल हैं. स्थिति यह है कि मंडी में मक्का के खरीदार कुछ बोलने की स्थिति में नहीं हैं. कोई बता नहीं पा रहा कि यह स्थिति कब तक रहेगी. हाल यह है कि किसान मंडी का चक्कर लगा रहे हैं और खोजने पर भी खरीदार नहीं मिल रहे हैं. जैसे-जैसे दिन गुजर रहा है, बेचैनी बढ़ती जा रही है. मक्का स्टॉक करनेवालों और किसानों की बाजार के अभाव में सांस अटकी हुई है.
वहीं दूसरी तरफ मक्का से खाद्य पदार्थ बनानेवाली कंपनियों ने इसका फायदा उठाना शुरू कर दिया है. मक्का कारोबारियों के अनुसार उत्पादक कंपनियों ने मक्का का भाव अब 1200 रुपये से भी नीचे तोड़ दिया है. एफओआर यानी पहुंच मक्का का दाम 1250 रुपये खोला है. इसमें 100 रुपये ट्रांसपोर्टिंग और अन्य खर्च करीब 125 रुपये बताये जा रहे हैं. इस दाम में बिकवाली पर प्रति क्विंटल 1125 रुपये का दाम हाथ आयेगा. जिसके बाद घाटे का आंकड़ा एक अरब से अधिक होने की संभावना है.
दूसरे राज्यों में बेहतर उपज से हुए ऐसे हालात : दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात का अहमदाबाद मक्का के बिकवाली का मुख्य केंद्र था. लेकिन इस बार यहां मक्का की बेहतर खेती और उपज ने व्यापार पर ब्रेक लगा दिया है. असम और बंगाल के इलाकों में भी मक्का फसल की बेहतर उपज व नये फसल का महज एक महीने में ही बाजार में आने को लेकर खरीदारों ने हाथ खड़े कर लिए हैं. इसके कारण बाजार में बिकवाली थम गयी है और मक्का का
मक्का की कीमतों…
बाजार टूटने लगा है. जिसकी वजह से घाटे का दायरा और ज्यादा बढ़ने की आशंका सबको सताने लगी है. बहरहाल मक्का का बाजार सुस्त पड़ा है और उत्पादक कंपनियां अपनी मनमानी पर उतारू हैं. हालात यह है कि बंगाल से लेकर दक्षिण भारत, गुजरात महाराष्ट्र कर्नाटक, केरला, आदि में मक्का आधारित उद्योग चलाने वाली कंपनियां अब अपनी स्टॉक को देखते हुए भूसे के दाम में मक्का खरीदने की शर्त पर खरीदारी की हामी भर रही है.
अगले सीजन में दिखेगा इसका असर : अच्छी खेती और उन्नत पैदावार से किसानों के चेहरों पर छलकती खुशी अब ओझल होने लगी है. हालांकि दो तिहाई से अधिक किसानों ने अपने उत्पाद को ट्रेडरों को बेच दिया है. लेकिन जो हाल मक्का का है उसका असर आने वाले दिनों में किसानों को परेशान करने वाला है. कारोबारी बताते हैं कि मक्का में होने वाले घाटे की वजह से अगले सीजन में स्टॉक करने वाली मल्टीनेशनल कंपनिया हाथ खड़ी कर लेंगी. छोटे और मंझोले ट्रेडरों का पूंजी लगभग खत्म होने के आसार हैं. इसका असर मक्का के सीजन में खरीदारी पर पड़ेगा. यही नहीं जिस तरह उत्पादन बढ़ा है खेतों में लगा मक्का इस बार बाजार में लिवाली के अभाव में किसानों के लिए मुसीबत की वजह बनेगा. इसका मुख्य कारण मक्का आधारित बाजार का नहीं होना होगा.
निर्यातक प्रदेशों में बेहतर खेती बना है बाधक : मक्का कारोबार से जुड़े कारोबारियों की मानें तो जिन प्रदेशो में मक्का का निर्यात होता था वहां इस वर्ष मक्का की जबरदस्त उपज हुई है. इन प्रदेशों में मक्का की सरकारी खरीद के साथ साथ यहां मक्का आधारित फूड प्रोसेसिंग कंपनियां भी हैं. अलबत्ता डिमांड था और खरीदार भी, यही वजह थी कि बिकवाली के कारण मक्का की खेती ने सूबे में रफ्तार पकड़ ली थी. लेकिन बीते 3-4 वर्षों से वहां मक्का की खेती होने लगी और इस बार उपज बेहतर होने से उन प्रदेश के खरीदारों ने खरीदारी से मुंह मोड़ लिया.
उत्पादन पर इंडस्ट्रियों की थी पैनी नजर, नहीं किया स्टॉक : मक्का कारोबार से जुड़े कारोबारी विश्लेषण करनेवालो की मानें तो मक्का का बाजार बीते एक दशक से वहीं का वहीं है. कृषि पर सरकारी जोर के कारण कृषि क्षेत्र में उन्नत पैदावार ने उपज में इजाफा किया है. बीते चार-पांच सालों में दक्षिण भारत और एमपी, यूपी, बंगाल, असम, गुजरात इत्यादि प्रदेशों में मक्का की खेती बढ़ी है. जानकारों की मानें तो मक्का की बेहतर खेती पर मक्का आधारित उत्पाद बनाने वाले कंपनियों की पैनी निगाह उत्पादन पर थी. अलबत्ता उत्पादक कंपनियों ने इस बार स्टॉक से खुद को दूर रखा है. वर्तमान में उनके द्वारा स्टॉकिस्टों, किसानों और व्यापारियों के स्टॉक के मक्के को औने-पौने दामो में खरीद मोटी रकम की कमाई में जुटे हैं. खरीद की गई मक्के की क्वालिटी जांच के नाम पर रिजेक्ट करने और बट्टा काटने की नई प्रथा भी शुरु हो चुकी है जिसका सीधा असर मक्का के बाजार में किसानों पर पड़ रहा है.
बाजार में बिकवाली नहीं, रद्द हो रहा है साैदा
दूसरे राज्यों में बेहतर उपज भी है दाम गिरने का कारण
उपज बढ़ी, बाजार नहीं
मक्का कारोबारी कन्हैया रस्तोगी, पप्पू यादव, मुकेश जायसवाल, मनोज पुगलिया, वीरेंद्र जैन के मुताबिक कृषि के क्षेत्र में उन्नत और बेहतर उपज की स्थिति तो बनी है लेकिन कृषि जीन्स का बाजार विकसित नहीं होने से ऐसे हालत बने हुए हैं. उनका मानना है कि बीते चार-पांच सालों में कृषि के क्षेत्र में विकास हुआ है. इसका परिणाम है कि उत्पादन बढ़ा है, लेकिन मक्का आधारित इंडस्ट्रीज और बाजार नहीं बढ़ने से किसान बेहतर पैदावार के बावजूद कृषि उपज का लाभ नहीं ले पा रहे हैं.
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