36.7 C
Ranchi

BREAKING NEWS

लेटेस्ट वीडियो

Patna News : पटना जीपीओ में हुए 4.50 करोड़ के घोटाले में दो डाक सहायकों को 10-10 लाख जमा करने का आदेश

पटना जीपीओ में हुए साढ़े चार करोड़ के घोटाले में लगभग सात साल चली विभागीय जांच के बाद दो डाक सहायकों को 10-10 लाख रुपये जमा करने का आदेश जारी हुआ है. इसके बाद डाक कर्मचारियों ने विशेष बैठक की.

Audio Book

ऑडियो सुनें

सुबोध कुमार नंदन, पटना : पटना जीपीओ में हुए 4.50 करोड़ रुपये के घोटाले के मामले में लगभग सात साल बाद दो डाक सहायक अब्दुल समद और राकेश कुमार से 10-10 लाख रुपये की रिकवरी करने का आदेश जारी किया गया है. साथ ही दोनों के प्रमोशन पर भी राेक लगा दी गयी है. इस संबंध में तीन दिन पहले पटना जीपीओ के डिप्टी चीफ पोस्टमास्ट मुकेश कुमार ने यह आदेश जारी किया है. इसके बाद एक बार पटना जीपीओ के कर्मचारियों में हड़कंप मचा हुआ है. आदेश जारी होने के बाद डाक कर्मचारियों ने एक विशेष बैठक की.

प्रभात खबर ने किया था घोटले का उजगार

मालूम हो कि प्रभात खबर ने चार अगस्त, 2019 को पटना जीपीओ में 50 लाख रुपये से अधिक के घोटाले को उजागर किया था. इसके बाद विभागीय जांच हुई, तो घोटाले की रकम 4.50 करोड़ तक पहुंच गयी. यह घोटाला फिक्सड डिपॉजिट और मंथली इनकम स्कीम से जुड़ा था. कर्मचारियों ने वैसे खातों में वर्षों से किसी तरह का ट्रांजेकशन नहीं हुआ था. सभी निकासी मैन्यूअल की गयी थी.

कई कर्मचारी हुए थे निलंबित

इस मामले में पटना जीपीओ के डाक सहायक मुन्ना कुमार, राजेश कुमार शर्मा, आदित्य कुमार सिंह, सुधीर कुमार सिंह, सुजय तिवारी का नाम मुख्य रूप से सामने आया था. घोटाले के मुख्य आरोपित डाक सहायक मुन्ना कुमार को पटना जीपीओ प्रशासन ने निलंबित कर दिया था. इसके बाद घोटाले की जांच सीबीआइ को सौंप दी गयी थी. डाक विभाग से मिली जानकारी के अनुसार मुन्ना कुमार ने 40 लाख और सुजय तिवारी ने 45 लाख रुपये विभाग के खाते में जमा किये थे. वहीं, आदित्य कुमार सिंह को इसी वर्ष रिटायरमेंट से पहले नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था.

लिखित शिकायत के बाद मामला प्रकाश में आया

अशोक नगर की निवासी रेखा कुमारी ने पटना जीपीओ प्रशासन को लिखित शिकायत में बताया था कि पटना जीपीओ के कुछ कर्मचारी गलत तरीके से ग्राहकों के बचत खातों से पैसा निकल रहे हैं. इसके बाद जीपीओ प्रशासन ने इसे गंभीरता से लेते हुए जांच की, तो पता चला कि कर्मचारियों ने मिलीभगत कर लगभग 4.50 करोड़ रुपये की निकासी की है. कोर बैंकिंग सॉल्यूशंस (सीबीएस) सिस्टम के कारण मामला जल्द प्रकाश में आया था, वरना यह घोटाला कभी उजगार नहीं हो पाता.

11 अक्तूबर, 2021 को मामले की जांच सीबीआइ को सौंपी गयी थी

मिली जानकारी के अनुसार इस मामले में जीपीओ प्रशासन ने अब तक एफआइआर दर्ज नहीं करायी है. घोटाले की जानकारी 25 जुलाई, 2019 के पत्र से हुई, लेकिन कार्रवाई दो अगस्त, 2019 को हुई. इतने समय में डाक सहायक मुन्ना कुमार ने लगभग एक करोड़ रुपये निकाले थे. घोटाले की जांच 11 अक्तूबर, 2021 को सीबीआइक को सौंपी गयी थी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel