गर्मी के दस्तक देते ही पटना और आसपास के क्षेत्रों में लोगों का रुझान पारंपरिक और आरामदायक खादी वस्त्रों की ओर तेजी से बढ़ा है. खास बात यह है कि युवा पीढ़ी भी खादी को न केवल एक पारंपरिक परिधान मान रही है, बल्कि इसे अपने आधुनिक फैशन और जीवनशैली के रूप अभिन्न हिस्सा बना रही है. यही वजह है कि एक अप्रैल से 20 अप्रैल तक के बीच करीब 75 लाख रुपये की बिक्री हुई.
मॉल के प्रबंधक रमेश चौधरी ने कहा कि हाथ से कताई और बुनाई की प्रक्रिया से तैयार होने के कारण खादी में प्राकृतिक रूप से हवा का संचार बना रहता है, जो गर्मियों में शरीर को ठंडक प्रदान करता है. उन्होंने इस बढ़ती मांग पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि पिछले कुछ वर्षों में गर्मियों के दौरान खादी परिधानों की बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. उन्होंने बताया कि अब लोग गर्मी में खादी कपड़ों को अधिक पसंद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारे यहां वस्त्रों के अलावा गर्मी से राहत देने वाले मटका दही, जाता का पीसा हुआ सत्तू और ताजा मैंगो व लीची जूस भी उपलब्ध है.
बता दें कि खादी बोर्ड का लक्ष्य इस बढ़ती लोकप्रियता को प्रधानमंत्री के ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान से जोड़ना है, ताकि अधिक से अधिक स्थानीय कारीगरों को रोजगार मिल सके. साथ ही, खादी को राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक सम्मानजनक पहचान मिल सके. खादी मॉल में इन दिनों गर्मियों के लिए विशेष संग्रह उपलब्ध हैं, जिनमें आकर्षक कुर्ता-कुर्ती सेट, आरामदायक कॉटन और खादी कॉटन साड़ियां, बहुपयोगी गमछा, फैशनेबल ड्रेस, स्टाइलिश काफ्तान, ट्रेंडी को-ऑर्ड सेट्स, क्लासी शर्ट और इंडो-वेस्टर्न परिधान शामिल हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है