लोकतंत्र के इस महापर्व की रौनक तो खूब होगी पर इसके हर खर्च भी स्पष्टता से करना होगा. इसको लेकर जिलों को स्पष्ट निर्देश दिया गया है. राज्य में लोकसभा चुनाव 2024 को संपन्न कराने में 793.54 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. यह आंकड़ा पिछली बार के लोकसभा चुनाव 2019 से करीब 244.58 करोड़ रुपये अधिक था. इस बार चुनाव को लेकर तैयारी शुरू हो गयी है. निर्वाचन विभाग का स्पष्ट निर्देश है कि खर्च पर किसी प्रकार की रोक नहीं हैं. पर टेंट से लेकर कुर्सी, सीसीटीवी कैमरा सहित अन्य सामग्रियों की खरीद के आदेश स्पष्ट दिये जाने चाहिए. कोई भी आदेश अस्पष्ट नहीं हो जिसका ऑडिट के समय परेशानी हो.
चुनाव के दौरान बूथों के प्रबंधन में जिलों द्वारा कई प्रकार की सेवाएं ली जाती है. उन सभी सेवाओं में स्पष्टता रहनी आवश्यक है. अगर टेंट लेना है तो उसकी संख्या कितनी है, उसका साइज क्या है और उसे कितने जगह पर लगाया जाना है. इसी तरह से अन्य वस्तुओं की खरीद पर भी उसकी संख्या या मात्रा निर्धारित की जानी चाहिए. यह माना जा रहा है कि राज्य के 243 विधानसभा क्षेत्रों में औसतन प्रति क्षेत्र 2.92 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान हैं. हालांकि कोविड के समय 2020 के विधानसभा चुनाव में 810 करोड़ रुपये खर्च किये गये थे. तब के विधानसभा चुनाव में कुल बूथों की संख्या एक लाख छह 526 थी. चुनाव भी तीन चरणों में कराया गया था. चुनाव में सबसे अधिक खर्च सुरक्षा बलों की प्रतिनियुक्ति और वाहनों के ईंधन पर किया जाता है. विधानसभा चुनाव 2020 में सुरक्षा बलों पर करीब 157 करोड़ खर्च हुआ था जबकि उस समय ईंधन और रखरखाव पर 57.92 करोड़ खर्च किये गये थे. चुनाव में मतदान कर्मियों के मानदेय, गाड़ियों का किराया भी भाड़ा, मुआवजा, वेबकास्टिंग, हर मतगणना स्थल और चेकपोस्ट पर सीसीटीवी की तीसरी आंख की तैनाती पर खर्च किया जाता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है