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बंगाल में स्मैक बनवाकर बिहार में सप्लाई करता है ‘शक्ति दादा’, कोसी-सीमांचल में करोड़ों की होती है खपत

बिहार में स्मैक का जाल किस तरह फैलाया गया है इसका खुलासा दो तस्करों ने किया है. बंगाल से स्मैक की सप्लाई करने वाले शक्ति दादा के बारे में इन तस्करों ने पुलिस को बताया.

बिहार में सूखे नशे की लत ने कई लोगों को तबाह किया है. स्मैक का कारोबार लगातार पसर रहा है. पुलिस आए दिन कार्रवाई भी करती है लेकिन कई जिलों में गिरोह बनाकर इसका सप्लाई किया जाता है. पूर्णिया पुलिस ने पिछले दिनों दो तस्करों को 5 किलो से अधिक मात्रा में स्मैक के साथ गिरफ्तार किया तो उसने कई राज उगले. गिरफ्तार तस्करों ने पुलिस को बताया कि बंगाल का रहने वाला एक शख्स जिसे लोग ‘शक्ति दादा’ के नाम से जानते हैं वो किस तरह स्मैक उपलब्ध कराता है, जिसे बिहार में खपाया जाता है.

पूर्णिया में 5 किलो स्मैक के साथ धराए दो तस्कर

5.190 किलोग्राम स्मैक के साथ पिछले दिनों पूर्णिया पुलिस ने दो स्मैक तस्करों को धर दबोचा था. करीब एक करोड़ से अधिक इस खेप की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में आंकी गयी. पूर्णिया के पुलिस अधीक्षक कार्तिकेय शर्मा ने इसका खुलासा करते हुए बताया कि इस मामले में दो तस्कर को गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने बेलौरी स्थित एन एच-31 पर वाहन चैकिंग के दौरान एक स्विफ्ट कार से बरामद की है. वहीं इन दोनों तस्करों ने पुलिस को बताया है कि पैसा कमाने के लोभ में किस तरह नशे का यह कारोबार बिहार में पसारा जाता है और इसका मणिपुर और बंगाल से क्या कनेक्शन है.

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नवगछिया में स्टॉक प्वाइंट, कोसी-सीमांचल में ताबड़तोड़ सप्लाई

पूर्णिया पुलिस के हत्थे चढ़े दो स्मैक तस्कर रोनक कुमार और रिक्की सिंह ने पुलिस को बताया है कि कोशी-सीमांचल और नवगछिया में स्मैक को खपाया जाता था. नवगछिया में एक कमरा इन तस्करों ने लिया था और स्मैक लाकर वहीं रखते थे. उसके बाद ऑर्डर के हिसाब से माल वहां से निकलता था. 100 ग्राम के एक जीपर पर 30 से 40 हजार रुपए का मुनाफा ये कमाते थे. हर महीने करीब 300 से 400 जीपर पैकेट स्मैक कोशी और सीमांचल के इलाके में ये खपाते थे. इन तस्करों का नेटवर्क हर महीने करीब डेढ़ करोड़ रुपए कमाता था.

मणिपुर से आता है कच्चा माल, बंगाल का शक्ति दादा करता है स्मैक सप्लाई

गिरफ्तार तस्करों ने पुलिस को बताया है कि स्मैक की कच्ची सामग्री मणिपुर से आती थी. 20 लाख रुपए किलो के हिसाब से यह मिलता था. करीब 15 से 20 किलो का खेप एक ही बार में मणिपुर से आता था. एक किलो इस कच्ची सामग्री से तीन से साढ़े 3 किलो तक स्मैक बनता था. तस्करों ने पश्चिम बंगाल के एक शख्स का नाम उगला है जिसे सब शक्ति दादा कहते हैं. वो दालकोला का रहने वाला है और कलिया चक मालदह से स्मैक बनाने वाले विशेषज्ञ आकर स्मैक दालकोला में माल तैयार करते थे. स्मैक तैयार होने पर शक्ति दादा इन तस्करों को बुलाता था और 100-100 ग्राम के जीपर डिमांड के हिसाब से देता था. उधार पर भी स्मैक इन तस्करों को वो दे देता था.

जेल से निकलकर और पसारा धंधा

गिरफ्तार स्मैक तस्करों ने पुलिस को बताया कि वो अपनी आर्थिक जरूरतों को पूरा करने के लिए बंगाल से स्मैक लाकर पूर्णिया, कटिहार और नवगछिया में बेचना शुरू किए. पिछले साल जेल भी गए. चार महीने कटिहार जेल में रहने के बाद बाहर आए तो स्मैक का धंधा और जोर-शोर से शुरू कर दिया. अधिक कमाई के लालच में वो दालकोला के शक्ति दादा से स्मैक लाकर पूर्णिया, अररिया, मधेपुरा और आसपास के क्षेत्रों समेत नवगछिया में भी इसकी सप्लाई करने लगे. जिससे उनकी मोटी कमाई होती थी.

ThakurShaktilochan Sandilya
ThakurShaktilochan Sandilya
डिजिटल मीडिया का पत्रकार. प्रभात खबर डिजिटल की टीम में बिहार से जुड़ी खबरों पर काम करता हूं. प्रभात खबर में सफर की शुरुआत 2020 में हुई. कंटेंट राइटिंग और रिपोर्टिंग दोनों क्षेत्र में अपनी सेवा देता हूं.

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