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खौफ, अपहरण और सत्ता के खेल का अंत! जब्त हुई चुन्नू ठाकुर की संपत्ति, कैसे बना बिहार का माफिया?

Bihar Chunnu Thakur: बिहार का कुख्यात माफिया चुन्नू ठाकुर, जिसने सालों तक दहशत और अपराध का साम्राज्य खड़ा किया, अब कानून के शिकंजे में है. 2005 के किसलय अपहरण कांड से बदनाम यह नाम अब अवैध संपत्तियों की जब्ती के साथ अपने अंजाम की ओर बढ़ रहा है. 

Chunnu Thakur Property Seized: बिहार की सियासत और अपराध की दुनिया में कुछ नाम ऐसे हैं, जिनका जिक्र होते ही डर और दहशत की तस्वीर उभर आती है. उन्हीं नामों में एक है चुन्नू ठाकुर. सालों से कानून को चुनौती देने वाला यह कुख्यात माफिया अब खुद कानून के शिकंजे में कसता नजर आ रहा है. अवैध कमाई से खड़ी की गई उसकी साम्राज्यनुमा संपत्तियों पर अब प्रशासन का बुलडोजर चलने की तैयारी है. कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने साफ कर दिया है कि अब कोई माफिया कानून से ऊपर नहीं है. 

कैसे माफिया बना चुन्नू ठाकुर ? 

चुन्नू ठाकुर ने अपराध की दुनिया में कदम रखते ही अपना खौफनाक हस्ताक्षर छोड़ दिया था. जमीन पर कब्जा, रंगदारी की वसूली, ठेकेदारी में दखल और अन्य कई ऑर्गनाइज़्ड क्राइम के जरिए अवैध कारोबार, हर गली, हर इलाके में उसका नाम दहशत की तरह गूंजता था. पुलिस की फाइलों में उसके खिलाफ हत्या, अपहरण, हत्या के प्रयास, आर्म्स एक्ट और जबरन वसूली जैसे संगीन अपराधों की लंबी फेहरिस्त दर्ज है. 

कई बार चढ़ा पुलिस के हत्थे 

कहा जाता है कि चुन्नू ने अपराध को सिर्फ जरिया नहीं बल्कि एक पूरा सिस्टम बना लिया था. उसका नेटवर्क इतना मजबूत था कि जमीन के सौदे से लेकर सरकारी ठेकों तक उसकी परछाईं दिखती थी. स्थानीय लोग उसके नाम से कांप उठते थे शिकायत करना तो दूर, नाम लेने से भी डरते थे. कई बार पुलिस ने उसे जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया लेकिन हर बार जमानत पर बाहर आकर वह फिर उसी अंदाज में लौट आता था.

जब अटल बिहारी वाजपेयी ने पूछा सवाल 

लेकिन चुन्नू ठाकुर का नाम जिस घटना से हमेशा के लिए देश की यादों में दर्ज हो गया, वह थी साल 2005 की सनसनीखेज वारदात. पटना के दिल्ली पब्लिक स्कूल के छात्र किसलय कौशल का अपहरण हो गया था. पूरा बिहार सन्न था. उसी दौरान बिहार दौरे पर आए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पटना के गांधी मैदान पहुंचे और भीड़ के सामने भावुक होकर बोले, “मेरा किसलय कहां है? मेरे किसलय को कोई लौटा दो.” यह एक सवाल नहीं बल्कि पूरे देश की बेचैनी थी. उसी अपहरण कांड में चुन्नू ठाकुर का नाम उछला और उस पर तीन लाख रुपये का इनाम रखा गया गया. 

अब प्रशासन ने कसा शिकंजा 

सालों तक पुलिस को चकमा देने वाला यह माफिया आखिरकार इसी साल अप्रैल में बिहार-नेपाल बॉर्डर पर दबोच लिया गया. गिरफ्तारी के बाद अब उसकी अवैध संपत्तियों पर कार्रवाई शुरू हो चुकी है. संदेश साफ है जो कभी कानून को आंख दिखाता था, आज वही कानून के सामने बेबस खड़ा है. बिहार में माफिया राज के खिलाफ यह सिर्फ एक कार्रवाई नहीं बल्कि एक सख्त चेतावनी है. 

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Nishant Kumar
Nishant Kumar
Nishant Kumar: निशांत कुमार पिछले तीन सालों से डिजिटल पत्रकारिता कर रहे हैं. दैनिक भास्कर (बक्सर ब्यूरो) के बाद राजस्थान पत्रिका के यूपी डिजिटल टीम का हिस्सा रहें. वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल के बिहार टीम में काम कर रहे हैं. देश-विदेश की कहानियों पर नजर रखते हैं और साहित्य पढ़ने-लिखने में रुचि रखते हैं.

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