प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को बेगूसराय जिले के सिमरिया धाम स्थित गंगा नदी पर औंटा (मोकामा) – सिमरिया (बेगूसराय) के बीच नए बने सिक्सलेन गंगा पुल का उद्घाटन किया. इस प्रोजेक्ट की कुल लंबाई 8.150 किलोमीटर है, जिसमें गंगा पुल की लंबाई 1.865 किलोमीटर है. पुल के उद्घाटन कार्यक्रम में लोगों का हुजूम दिखा. बड़ी संख्या में लोग पीएम मोदी के हाथों पुल का उद्घाटन देखने आए.
#बिहार:: #बेगूसराय के सिमरिया धाम का दृश्य। लोगों ने गंगा नदी पर छह लेन के उद्घाटन का जश्न मनाया।
— आकाशवाणी समाचार, पटना (@airnews_patna) August 22, 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस ऐतिहासिक क्षण के गवाह बने। @narendramodi
रिपोर्ट # विजय कुमार झा pic.twitter.com/Eb0wdfaW3x
पीएम मोदी का हुआ गर्मजोशी से स्वागत
उद्घाटन के बाद प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री ने नवनिर्मित इस गंगा पुल का भ्रमण कर जायजा लिया. साथ ही इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोड शो भी किया. रोड शो के क्रम में सड़क किनारे बड़ी संख्या में उपस्थित लोगों ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के समर्थन में नारेबाजी की. इस अवसर पर प्रधानमंत्री के स्वागत में भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. औंटा (मोकामा)- सिमरिया (बेगूसराय) सिक्सलेन पुल के समीप बड़ी संख्या में उपस्थित लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गर्मजोशी से स्वागत किया. प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री ने हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन स्वीकार किया.
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बिहार में इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े एक ऐतिहासिक अध्याय का साक्षी बनने का सौभाग्य मिला। इस दौरान लोगों में औंटा-सिमरिया पुल के लोकार्पण को लेकर जो जोश और उत्साह दिखा, वो अद्भुत था। मुझे विश्वास है कि यह पुल यहां के लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव लेकर आएगा। pic.twitter.com/HRxftWMjbW
— Narendra Modi (@narendramodi) August 22, 2025
क्या होगा इस पुल का फायदा
1871 करोड़ रुपये की लागत से गंगा नदी पर इस सिक्सलेन पुल का निर्माण राजेंद्र सेतु के समानांतर किया गया है. इस वर्ल्ड क्लास गंगा ब्रिज के निर्माण से उत्तरी और दक्षिणी बिहार को आधुनिक रोड कनेक्टिविटी मिली है. पुराने जर्जर राजेंद्र सेतु से भारी वाहनों की आवाजाही बंद होने के कारण वाहनों को 100 किमी अधिक दूरी तय करनी पड़ती थी, अब वह सफर केवल आठ किमी में संभव हो गया है. इससे समय एवं ईंधन की काफी बचत होगी. साथ ही लॉजिस्टिक लागत में भी कमी आयेगी.

