– बदलाव के लिए 2030 तक मिलेगा समय
अनुराग प्रधान, पटनाअब बीएड की पढ़ाई केवल बहुविषयक कॉलेजों में ही होगी. इस संबंध में राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (एनसीटीइ) ने सभी राज्यों को पत्र लिख कर दिशा निर्देश जारी किया है. एनसीटीइ ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनइपी) 2020 के तहत राज्यों को पहले एकल तकनीकी शिक्षा संस्थानों को बहुविषयक उच्च शिक्षा संस्थानों में बदलने के निर्देश जारी किये हैं. देशभर के सभी राज्यों को दिशा-निर्देश जारी करते हुए स्पष्ट किया है कि 2030 के बाद किसी भी एकल बीएड कॉलेज को मान्यता नहीं दी जायेगी. इससे बिहार समेत अन्य राज्यों में चल रहे हजारों निजी और सरकारी बीएड कॉलेजों के सामने अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है. बिहार में बड़ी संख्या में ऐसे निजी कॉलेज हैं जो केवल बीएड पाठ्यक्रम चला रहे हैं. अब इन सभी को या तो किसी बहुविषयक कॉलेज में विलय करना होगा या खुद को बहुविषयक संस्थान के रूप में विकसित करना होगा. इसका मतलब है कि जहां केवल बीएड की पढ़ाई होती है, वहां अब स्नातक स्तर पर अन्य विषयों की पढ़ाई भी अनिवार्य होगी. बिहार में एकल बीएड कॉलेजों की संख्या 337 के करीब है.
संस्थानों को बदलाव के लिए 2030 तक मिलेगा समय
एनसीटीइ ने राज्यों को 2030 तक का समय दिया है ताकि वे अपने बीएड कॉलेजों को बहुविषयक संस्थानों में बदल सकें. इसके तहत एक ही परिसर में बीएड के साथ-साथ कला, विज्ञान और वाणिज्य जैसे अन्य विषयों की पढ़ाई अनिवार्य कर दी जायेगी. इसका उद्देश्य यह है कि शिक्षा महाविद्यालयों में विविधता हो और शिक्षक बनने वाले छात्रों को व्यापक दृष्टिकोण मिले.
एक ही संस्थान के कॉलेज तीन किलोमीटर के अंदर हैं, तो हो जायेंगे मर्ज
दिशा-निर्देश में कहा गया है कि एक ही संस्थान के एक से अधिक बीएड कॉलेज या डिग्री कॉलेज अगर तीन किलोमीटर के अंदर हैं, तो सभी एकल बीएड कॉलेज अब डिग्री कॉलेजों में मर्ज हो जायेंगे. वहीं, 10 किलोमीटर के दायरे में आने वाले एकल बीएड कॉलेजों को अन्य डिग्री कॉलेज के साथ मिलकर बीएड की पढ़ाई करवानी होगी. प्रति कोर्स में 50 स्टूडेंट्स का एडमिशन होगा. बीएड कॉलेजों को मल्टीडिसिप्लिनरी में बदलाव करने के लिए 2030 तक का समय दिया है.
राज्य के कॉलेजों पर पड़ेगा सीधा असर
राज्य में चल रहे कई निजी बीएड कॉलेज इस समय केवल शिक्षाशास्त्र की पढ़ाई पर केंद्रित हैं. ऐसे कॉलेजों को अब या तो अन्य कोर्स शुरू करने होंगे या किसी बहुविषयक संस्थान से जुड़ना होगा. कई कॉलेज प्रबंधन इस दिशा में विचार कर रहे हैं लेकिन संसाधनों की कमी एक बड़ी चुनौती है.
इस व्यवस्था में नहीं बदले तो बंद करना होगा
संस्थान
एनसीटीइ ने स्पष्ट किया है कि जो कॉलेज इस व्यवस्था में नहीं आयेंगे, उन्हें बंद करना होगा. हालांकि ऐसे संस्थानों को समय दिया गया है कि वे खुद को बहुविषयक बनाएं या नजदीकी कॉलेजों से मर्ज होकर संचालन करें. पीपीयू के प्रतिकुलपति प्रो गणेश कुमार महतो ने कहा कि इस कदम से शिक्षकों की गुणवत्ता में सुधार होगा. जब शिक्षक बनने वाले विद्यार्थी अन्य विषयों की पढ़ाई भी करेंगे, तो उनका दृष्टिकोण व्यापक होगा. साथ ही बहुविषयक कैंपस में अध्ययन करने से समग्र विकास होगा. यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत किया जा रहा है, जिसमें बहुविषयक शिक्षा को बढ़ावा देने की बात कही गयी है. अब इस दिशा में तेजी से काम करना होगा, ताकि समय रहते कॉलेजों को रूपांतरित किया जा सके.
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