Hindi Divas: भारत में हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है, लेकिन इस बार का आयोजन ऐतिहासिक है. हिंदी को वैश्विक परिप्रेक्ष्य में नई ऊंचाई देने और नई पीढ़ी को भाषा से गहराई से जोड़ने के लिए पहली बार विश्व रंग अंतरराष्ट्रीय हिंदी ओलंपियाड 2025 आयोजित किया जा रहा है.
14 से 30 सितंबर तक चलने वाला यह उत्सव भारत सहित 65 देशों में मनाया जाएगा. इसे विश्व रंग फाउंडेशन (भारत), रवींद्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय भोपाल और वनमाली सृजन पीठ मिलकर आयोजित कर रहे हैं.
हिंदी दिवस की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भारत की आज़ादी के बाद सबसे बड़ा सवाल यही था कि देश की राष्ट्रभाषा कौन होगी. संविधान सभा ने 14 सितंबर, 1949 को अनुच्छेद 343 के तहत हिंदी को देवनागरी लिपि में राजभाषा का दर्जा दिया. इसके बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने 1953 से हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाने की घोषणा की. यही वजह है कि यह दिन हिंदी प्रेमियों और भाषा की अस्मिता के लिए बेहद महत्वपूर्ण बन गया.
ओलंपियाड से जुड़ेगा पूरा भारत और दुनिया
यह प्रतियोगिता अब तक का सबसे बड़ा सांस्कृतिक-शैक्षणिक अभियान बताई जा रही है. भारत में कक्षा एक से लेकर स्नातकोत्तर तक और विदेशों में लेवल एक से लेवल छह तक के विद्यार्थी इसमें भाग ले सकेंगे. ओलंपियाड का मकसद सिर्फ प्रतियोगिता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हिंदी बोलने, पढ़ने और लिखने वाले समुदाय को एक साझा मंच पर लाने का प्रयास है. विजेताओं को आकर्षक पुरस्कार और सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र दिए जाएंगे.
भोपाल से होगा औपचारिक उद्घाटन
यह सिर्फ हिंदी दिवस का आयोजन नहीं होगा, बल्कि हिंदी को विश्व मंच पर लाने वाला एक सांस्कृतिक अभियान बनेगा.
इस वैश्विक उत्सव का एक बड़ा हिस्सा दो अक्टूबर से शुरू होने वाली भव्य पुस्तक यात्रा होगी. यह यात्रा मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखंड के विश्वविद्यालयों और आइसेक्ट केंद्रों के सहयोग से निकलेगी. 125 जिलों, 250 विकासखंडों और 700 ग्राम पंचायतों तक पहुंचने वाली इस यात्रा में पुस्तक प्रदर्शनियां, स्वतंत्रता सेनानियों पर कार्यक्रम, वैज्ञानिकों की उपलब्धियों पर प्रदर्शनी, कविता-लेखन, वाद-विवाद और लघु फिल्म निर्माण जैसी गतिविधियां होंगी.
उद्देश्य है—समाज के हर वर्ग तक किताबों की संस्कृति को पहुंचाना, चाहे वह बच्चे हों, युवा हों, बुजुर्ग हों, दिव्यांग हों या फिर थर्ड जेंडर समुदाय.
हिंदी का वैश्विक परिप्रेक्ष्य
आज हिंदी दुनिया की तीसरी सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा है. अमेरिका, कनाडा, मॉरीशस, फिजी, नेपाल, सूरीनाम से लेकर गल्फ देशों तक करोड़ों लोग हिंदी बोलते और समझते हैं. ऐसे में 65 देशों में हिंदी ओलंपियाड का आयोजन यह साबित करता है कि हिंदी अब सिर्फ भारतीय भाषाओं की धुरी नहीं रही, बल्कि एक वैश्विक पहचान बन चुकी है.
इस आयोजन की सबसे बड़ी ताकत यह है कि यह सीधे बच्चों और युवाओं से जुड़ रहा है. प्रतियोगिताओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए यह प्रयास किया जा रहा है कि नई पीढ़ी हिंदी से सिर्फ औपचारिक जुड़ाव न रखे, बल्कि इसे गर्व और अभिव्यक्ति की भाषा माने. आयोजन समिति का मानना है कि यही हिंदी को आने वाले समय में नई ऊर्जा देगा.
भाषा से संस्कृति तक का सफर
हिंदी दिवस और उससे जुड़ा यह ओलंपियाड हमें यह याद दिलाता है कि भाषा सिर्फ संवाद का माध्यम नहीं होती, बल्कि संस्कृति और पहचान की वाहक होती है. जब 65 देशों के मंच से हिंदी गूंजेगी, तो यह सिर्फ भाषा का उत्सव नहीं होगा, बल्कि भारतीय सभ्यता, साहित्य और मूल्यों का भी उत्सव होगा.
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