Muzafferpur News: बिहार का मुजफ्फरपुर जिला एक बार फिर राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में है. इस बार वजह है यहां के बच्चों की रचनात्मक सोच और नवाचार की ललक. भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की महत्वाकांक्षी इंस्पायर अवार्ड-मानक योजना की ताजा राष्ट्रीय रैंकिंग में मुजफ्फरपुर ने पूरे देश में पहला स्थान हासिल किया है.
7403 विद्यार्थियों ने अपने इनोवेशन आइडिया भेजकर इतिहास रचा और देश के बड़े शहरों—बेंगलुरु, जयपुर और लखनऊ को भी पीछे छोड़ दिया. यह उपलब्धि न केवल जिले, बल्कि पूरे बिहार के लिए गर्व का विषय है.
बच्चों ने लिखी नई सफलता की कहानी
मुजफ्फरपुर के सरकारी और निजी विद्यालयों के बच्चों ने इस बार नवाचार के क्षेत्र में एक नया रिकॉर्ड बनाया. कुल 7403 बच्चों ने अपने विचार प्रस्तुत किए. इनमें कई आइडिया ऐसे रहे, जिन्होंने यह साबित कर दिया कि छोटे-छोटे शहरों के बच्चों के पास भी समाज बदलने की ताकत है. पर्यावरण संरक्षण, दिव्यांगों के लिए उपकरण, ऊर्जा बचत, प्रदूषण नियंत्रण और ग्रामीण जीवन को आसान बनाने वाली तकनीकों पर बच्चों ने कल्पना की उड़ान भरी.
इंस्पायर अवार्ड योजना की ताजा रैंकिंग में मुजफ्फरपुर देशभर में नंबर वन पर पहुंचा. बेंगलुरु अर्बन 7306 आइडिया के साथ दूसरे और कर्नाटक का बागलकोट 6826 आइडिया के साथ तीसरे स्थान पर रहा. राजस्थान का जयपुर 6311 आइडिया के साथ चौथे और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ 6182 आइडिया के साथ पांचवें स्थान पर रहा. गौरतलब है कि बिहार का वैशाली जिला भी इस सूची में शामिल होकर छठे स्थान पर पहुंचा, जिसने 5805 आइडिया दिए. यह बिहार के लिए डबल उपलब्धि है.
जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) कुमार अरविंद सिन्हा ने इस उपलब्धि पर खुशी जताते हुए कहा कि यह पूरे जिले के लिए गर्व की बात है. उन्होंने कहा, “हमारे विद्यार्थी देशभर में नवाचार के मामले में पहले स्थान पर आए हैं. इंस्पायर अवार्ड योजना बच्चों को अपने रचनात्मक और मौलिक विचारों को सामने लाने का मंच देती है. शिक्षकों और स्कूलों की सक्रिय भागीदारी से ही यह संभव हो पाया है. डीईओ ने आगे कहा कि आने वाले समय में और भी ज्यादा बच्चों को इस योजना से जोड़ा जाएगा, ताकि मुजफ्फरपुर की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर और मजबूत हो.
इंस्पायर अवार्ड योजना: बच्चों के लिए बड़ा मंच
भारत सरकार का यह कार्यक्रम कक्षा 6 से 10 तक के विद्यार्थियों के लिए है. इसका मकसद बच्चों की कल्पनाशक्ति को निखारना और उन्हें नवाचार की ओर प्रेरित करना है. चयनित छात्रों को अपने विचार को मॉडल में बदलने के लिए ₹10,000 की आर्थिक सहायता मिलती है. जिला स्तर पर प्रदर्शनी के बाद सर्वश्रेष्ठ मॉडल राज्य स्तर पर और फिर राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचते हैं.
इस योजना के तहत राष्ट्रीय स्तर पर चुने गए मॉडल राष्ट्रपति भवन में प्रदर्शित किए जाते हैं. वहां से शीर्ष 60 आइडिया का चयन होता है, जिन्हें खुद राष्ट्रपति सम्मानित करते हैं. यह बच्चों के लिए न केवल गर्व की बात होती है, बल्कि उनके जीवन का बड़ा प्रेरक क्षण भी साबित होता है.
मुजफ्फरपुर की पहचान
मुजफ्फरपुर को अब केवल लीची के शहर या उत्तर बिहार के सांस्कृतिक केंद्र के रूप में ही नहीं देखा जा रहा, बल्कि यह बच्चों की नवाचार शक्ति के कारण देश में अलग पहचान बना रहा है. बच्चों की सोच ने यह दिखा दिया है कि छोटे जिलों की क्षमता भी बड़े महानगरों से किसी भी तरह कम नहीं है.
इस उपलब्धि को और खास बनाता है वैशाली जिले का योगदान. वैशाली ने 5805 आइडिया भेजकर देश में छठा स्थान पाया. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह सफलता इस बात का संकेत है कि बिहार में बच्चों की रचनात्मक सोच तेजी से आगे बढ़ रही है. आने वाले वर्षों में यह सोच शिक्षा और समाज दोनों को नई दिशा दे सकती है.
बच्चों की कल्पनाशक्ति, भविष्य की पूंजी
बच्चों के विचारों में जो मौलिकता और रचनात्मकता है, वह भविष्य में बड़े बदलावों की नींव रख सकती है. कृषि से लेकर स्वास्थ्य, पर्यावरण से लेकर तकनीक तक, बच्चों ने ऐसे विचार प्रस्तुत किए हैं, जिनमें समाज की कई समस्याओं का हल छिपा है.यही कारण है कि मुजफ्फरपुर को आज पूरे देश में नवाचार का केंद्र माना जा रहा है.
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