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नावी खर्च पर आयोग की पैनी नजर, हर विधानसभा क्षेत्र में एक्सपेंडिचर ऑब्जर्वर तैनात

चुनावी खर्च पर आयोग की पैनी नजर, हर विधानसभा क्षेत्र में एक्सपेंडिचर ऑब्जर्वर तैनात संवाददाता,पटना भारत निर्वाचन आयोग ने लोकतंत्र की परीक्षा को खर्च की ईमानदारी से तौलने में जुटा है. आयोग ने विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी के अधिकतम खर्च की सीमा लगभग 40 लाख रुपये तय की है. राज्य में इस चुनाव में कुल 2616 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं. चुनाव मैदान में उतरने वाले इन उम्मीदवारों के लिए 40 लाख का आंकड़ा कागजों तक सीमित न रह जाये, इसको लेकर सख्ती बरती जा रही है. शुक्रवार से राज्य भर में दोनों चरणों का चुनाव प्रचार आरंभ हो चुका है. चुनाव में रैली से लेकर रोड शो, कार्यकर्ताओं का खर्च, सोशल मीडिया प्रचार और वोटर तक पहुंचने की हर कोशिश में लाखों रुपये बहाये जाते हैं. कई बार ये रकम ‘कैश फॉर वोट’ के रूप में सीधे मतदाताओं तक पहुंचती है. यही कारण है कि इस बार आयोग ने न केवल चेतावनी दी है बल्कि तकनीकी और मानवीय निगरानी दोनों को मजबूत किया है. भारत निर्वाचन आयोग ने चुनावी खर्च पर निगरानी और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए राज्य के सभी विधानसभा क्षेत्रों में एक्सपेंडिचर ऑब्जर्वर की नियुक्ति कर दी है. खर्च का सही हिसाब नहीं देने पर तीन साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध आयोग ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि कोई भी उम्मीदवार अपने खर्च का सटीक और वैध हिसाब नहीं देगा तो उस पर तीन साल तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध (बैन) लगाया जा सकता है. आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार, हर प्रत्याशी को नामांकन दाखिल करने के बाद से लेकर परिणाम आने तक के बीच किये गये प्रत्येक खर्च का ब्योरा रखना अनिवार्य होगा. एक्सपेंडिचर ऑब्जर्वर का काम इन खर्चों की जांच, सत्यापन और निगरानी करना होगा. इसके लिए वे स्थानीय प्रशासन, पुलिस और आयकर विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर फ्लाइंग स्क्वॉड और वीडियो सर्विलांस टीमों की सहायता ले रहे हैं. हर जिले में एक कंट्रोल रूम बनाया गया है जहां आम जनता भी संदिग्ध खर्च या पैसे के वितरण की सूचना दे सकेगी. आयोग ने यह भी कहा है कि उम्मीदवारों को अपने खर्च की डायरी और बिल-वाउचर के साथ प्रमाण प्रस्तुत करने होंगे. यदि किसी उम्मीदवार के खर्च में गड़बड़ी पायी गयी तो उसे पहले नोटिस दिया जायेगा और जवाब असंतोषजनक होने पर कठोर कार्रवाई की जायेगी. इसमें चुनाव रद्द करना, एफआईआर दर्ज करना और तीन साल तक निर्वाचन में अयोग्यता जैसी कार्रवाई शामिल होगी.

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