34.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

लेटेस्ट वीडियो

बिहार के बाहुबली विधायक रीतलाल यादव की पूरी कहानी, चलती ट्रेन में कॉन्ट्रैक्टर की हत्या का लगा था आरोप

Ritlal Yadav: दानापुर के बाहुबली आरजेडी विधायक रीतलाल यादव ने गुरुवार सुबह कोर्ट में सरेंडर कर दिया. उन पर बिल्डर से रंगदारी मांगने और जान से मारने की धमकी देने का आरोप है. रीतलाल की गिनती राज्य के सबसे विवादित नेताओं में होती है. जिनका अतीत अपराध, जमीन विवाद और सियासी दांवपेंचों से भरा रहा है. पढ़िए उनकी पूरी कहानी...

Audio Book

ऑडियो सुनें

Ritlal Yadav: एक बार फिर बिहार की राजनीति के चर्चित चेहरे और दानापुर के बाहुबली विधायक रीतलाल यादव सुर्खियों में हैं. गुरुवार की सुबह उन्होंने दानापुर कोर्ट में सरेंडर किया, जहां उन पर एक बिल्डर से रंगदारी मांगने और जान से मारने की धमकी देने के गंभीर आरोप हैं. कोर्ट ने उन्हें सीधे बेऊर जेल भेज दिया है. चौंकाने वाली बात यह है कि अब तक उनकी ओर से जमानत की कोई अपील दाखिल नहीं की गई है.

सड़कों से सत्ता के गलियारों तक का सफर

रीतलाल यादव का नाम पहली बार लोगों की जुबान पर तब आया, जब 90 के दशक में वे दानापुर स्टेशन रोड पर राहगीरों से छीना-झपटी और मोटरसाइकिल चोरी के आरोपों में घिरे. कोथावां गांव के रहने वाले रीतलाल, उस समय क्षेत्र के सामाजिक समीकरणों और जातिगत दबदबे के बीच पले-बढ़े. कुर्मी बहुल इस इलाके में यादवों के उदय के दौर में उन्होंने खुद को एक दबंग के रूप में स्थापित किया.

धीरे-धीरे, रीतलाल का नाम स्थानीय जमीन विवादों और जबरन वसूली में आने लगा. अगर किसी को बाउंड्री बनानी हो या मकान खड़ा करना हो तो पहले रीतलाल यादव से मुलाकात करनी पड़ती थी.

आरपी शर्मा के साथ सौदों ने बदली किस्मत

दानापुर में आरपीएस कॉलेज के मालिक आरपी शर्मा के साथ उनका गठजोड़ रीतलाल के जीवन का टर्निंग पॉइंट साबित हुआ. रीतलाल ने किसानों पर दबाव बनाकर जमीन दिलवाई, बदले में उन्हें अच्छी-खासी रकम मिली. यही वो मोड़ था, जहां उन्होंने ‘सिस्टम’ को अपने मुताबिक चलाना शुरू किया.

राजनीति में इंट्री और लालू यादव से नजदीकी

2000 के बाद रीतलाल की पहचान सिर्फ एक दबंग तक सीमित नहीं रही. लालू यादव से नजदीकियां बढ़ीं, खासकर तब जब मीसा भारती के चुनावी अभियान में रीतलाल का पूरा कुनबा कूद पड़ा. 2016 में निर्दलीय एमएलसी बने, फिर 2020 में आरजेडी के टिकट पर विधायक भी बन गए.

तेजस्वी यादव के करीबी और आरजेडी के चुनावी अभियानों में फाइनेंसर की भूमिका निभाते हुए वे संगठन में एक शक्तिशाली चेहरे के तौर पर उभरे. बताया जाता है कि रैली से लेकर मंच, पोस्टर से लेकर प्रचार वाहन तक कई बार रीतलाल ने खुद फंडिंग की है.

रेलवे ठेके और बाहरी राज्यों तक फैलती पकड़

सिर्फ पटना ही नहीं, समस्तीपुर से लेकर गोरखपुर और गुवाहाटी तक रेलवे ठेकेदारी में रीतलाल का नेटवर्क फैल चुका था. सूरजभान सिंह और हुलास पांडेय जैसे चर्चित नामों के साथ नजदीकी ने उनके रसूख को और मजबूत कर दिया.

आज भी बिना ‘सहमति’ ठेका असंभव

दानापुर में जमीन विवाद हो या नाला निर्माण रीतलाल के लोगों की ‘मौजूदगी’ के बिना कुछ भी संभव नहीं है. चाहे बेली रोड हो या शिवाला इलाका हर छोटे-बड़े ठेके में उनकी छाया बनी रहती है.

विवादों से नाता नहीं टूटा

हालांकि, विवाद भी उनका साथ नहीं छोड़ते. कभी चलती ट्रेन में कॉन्ट्रैक्टर की हत्या का मामला, कभी घाट पर विरोधी की मौत. रीतलाल का नाम हर बार सामने आता है. ताजा मामला एक फेमस बिल्डर से रंगदारी मांगने का है, जिसने एक बार फिर उनके ‘पुराने रंग’ को सबके सामने ला दिया है.

क्या चुनावी समीकरणों पर पड़ेगा असर?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला राजद के लिए भारी पड़ सकता है. ऐसे समय में जब पार्टी छवि सुधारने की कोशिश कर रही है, रीतलाल जैसे चेहरों के पुराने कारनामे ‘जंगलराज’ की याद दिला सकते हैं. अगर सामाजिक समीकरण उलटे तो इसका सीधा नुकसान आगामी चुनावों में आरजेडी को झेलना पड़ सकता है.

दानापुर की गलियों से बेऊर जेल तक पहुंचा यह सफर सिर्फ एक व्यक्ति की कहानी नहीं है, बल्कि बिहार की राजनीति की उस परछाईं का हिस्सा है, जहां बाहुबल, राजनीति और पूंजी एक त्रिकोण बनाकर सत्ता की धुरी घुमा देते हैं.

Also Read: समर्थकों के लिए मसीहा विरोधियों के लिए आतंक! राजनीति, अपराध और सत्ता के बेताज बादशाह की कहानी 

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel