Patna AIIMS: पटना एम्स में फर्जी सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी लेने का बड़ा मामला सामने आया है. सीबीआई ने पटना एम्स के दो डॉक्टरों पर धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप में एफआईआर दर्ज की है. आरोप है कि दोनों डॉक्टरों ने ओबीसी नॉन क्रीमी लेयर के जाली प्रमाण पत्र का इस्तेमाल कर पद हासिल किया.
सत्येंद्र कुमार ने की थी लिखित शिकायत
लिखित शिकायत 23 दिसंबर 2024 को सत्येंद्र कुमार की तरफ से की गई थी. सत्येंद्र कुमार नॉर्थ राजनगर, दानापुर के रहने वाले हैं. शिकायत पर सीबीआई एसीबी पटना के इंस्पेक्टर संजीव कुमार ने प्रारंभिक जांच की. जांच में पाया गया कि आरोपी डॉ. कुमार सिद्धार्थ ने एसडीओ पटना सदर द्वारा जारी तीन जाली ओबीसी नॉन क्रीमी लेयर प्रमाण पत्र (संख्या BOBCDM/2023/89504 दिनांक 09.09.2023, BOBCSDO/2023/148247 दिनांक 30.08.2023 और BOBCCO/2023/364518 दिनांक 28.08.2023) का उपयोग कर एम्स पटना के फिजियोलॉजी विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर का पद हासिल किया. उनका चयन पहले एसोसिएट प्रोफेसर के लिए हुआ था, लेकिन पद घटाकर असिस्टेंट प्रोफेसर कर दिया गया. आरोप है कि उस समय उनके पिता डॉ. प्रेम कुमार एम्स पटना में रेडियोलॉजी विभागाध्यक्ष और डीन थे.
कुमार हर्षित राज ने भी ली फर्जी तरीके से नौकरी
इसी तरह, कुमार हर्षित राज का चयन एम्स पटना में ट्यूटर/डेमॉन्स्ट्रेटर के पद पर सामान्य श्रेणी (ईडब्ल्यूएस की सीट को यूआर में बदलकर) में हुआ, लेकिन उन्होंने भी एसडीओ अदार, पटना द्वारा जारी दो जाली ओबीसी नॉन क्रीमी लेयर प्रमाण पत्र (संख्या BOBCCO/2023/09542 दिनांक 10.01.2023 और BOBCSDO/2023/07228 दिनांक 19.01.2023) के आधार पर पद हासिल करने की कोशिश की. उनके पिता डॉ. बिंदेय कुमार उस समय एम्स पटना में बाल चिकित्सा सर्जरी विभागाध्यक्ष और आईजीआईएमएस के निदेशक थे.
सुरेंद्र देपावत को सौंपी गई जांच की कमान
सीबीआई ने डॉ. कुमार सिद्धार्थ और कुमार हर्षित राज के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467, 468 और 471 के तहत मामला दर्ज किया है. केस की जांच सीबीआई एसीबी पटना के उप पुलिस अधीक्षक सुरेंद्र देपावत को सौंपी गई है. पुलिस अधीक्षक (सीबीआई) प्रांजल रुंडला, आईपीएस ने इस संबंध में रिपोर्ट विशेष न्यायिक दंडाधिकारी, सीबीआई, पटना को भेज दी है.
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