Bihar Rail Project Approval: रेलवे सिर्फ परिवहन का जरिया नहीं, बल्कि आर्थिक-सामाजिक विकास की धुरी भी है. बिहार, जो हमेशा से रेल नेटवर्क का अहम हिस्सा रहा है, अब बुनियादी ढांचे के विस्तार की ओर एक बड़ा कदम बढ़ा रहा है.
पूर्व मध्य रेलवे (ECR) की 12 परियोजनाओं के लिए फाइनल लोकेशन सर्वे को स्वीकृति मिलना इस बात का संकेत है कि आने वाले वर्षों में राज्य के रेल नक्शे में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा.
12 परियोजनाओं को मिली हरी झंडी
पूर्व मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सरस्वती चंद्र ने जानकारी दी कि रेल मंत्रालय ने कुल 10.51 करोड़ रुपये की लागत से इन सर्वेक्षणों की मंजूरी दी है. इन परियोजनाओं के तहत अलग-अलग तरह की योजनाएं हैं, जिनमें बड़ी रेल लाइनों का दोहरीकरण, सीमावर्ती क्षेत्रों तक नई रेल लाइनें बिछाना, व्यस्त जंक्शनों पर बाइपास बनाना और फ्लाइओवर तैयार करना शामिल है.
सबसे बड़ी परियोजनाओं में सकरी–फारबिसगंज लाइन और समस्तीपुर–हसनपुर–खगड़िया लाइन का दोहरीकरण है. इन दोनों परियोजनाओं पर ही लगभग पांच करोड़ रुपये से अधिक की लागत से सर्वे कराया जाएगा. इसके अलावा आरा–सासाराम लाइन को भी दोहरीकृत करने और डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से जोड़ने की योजना है, जो माल परिवहन की गति बढ़ाने में अहम साबित होगी.
नेपाल सीमा तक पहुंचेगी रेल लाइन
परियोजनाओं में एक खास पहल ललितग्राम–बीरपुर नई रेल लाइन का निर्माण है. यह लाइन नेपाल सीमा के पास तक जाएगी. यह न केवल दोनों देशों के बीच लोगों की आवाजाही को आसान बनाएगी, बल्कि व्यापारिक गतिविधियों के लिए भी एक नया मार्ग खोलेगी. सीमा क्षेत्र में रेल पहुंचना सामरिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
फतुहा–बिदुपुर नई रेल लाइन भी इस सूची में शामिल है. खास बात यह है कि इस लाइन के तहत गंगा नदी पर एक नया रेल पुल बनाया जाएगा. इससे पटना और आसपास के जिलों की कनेक्टिविटी में क्रांतिकारी बदलाव आएगा. राजधानी पटना के पास ही एक और परियोजना प्रस्तावित है—फतुहा में 6 किलोमीटर लंबा रेल फ्लाइओवर. यह फ्लाइओवर व्यस्त रूटों पर जाम की समस्या को दूर करने और ट्रेन संचालन को सुगम बनाने में सहायक होगा.
बाइपास परियोजनाएं बनाएंगी सफर सुगम
कई बाइपास परियोजनाएं भी शामिल हैं. इनमें सिलौत–जुब्बा सहनी बाइपास, डीडीयू बाइपास, नेऊरा बाइपास, बिहारशरीफ बाइपास और दनियावां बाइपास प्रमुख हैं. इन बाइपासों का मकसद व्यस्त जंक्शनों से ट्रेनों को डायवर्ट करना है ताकि यात्रियों को विलंब का सामना न करना पड़े. यह कदम न केवल ट्रेन संचालन की दक्षता बढ़ाएगा, बल्कि रेल नेटवर्क को और लचीला भी बनाएगा.
पाटलिपुत्र स्टेशन से फुलवारीशरीफ और दानापुर के बीच दोहरीकरण का सर्वे भी इन 12 परियोजनाओं का हिस्सा है. यह कदम राजधानी पटना के यात्रियों के लिए राहत लेकर आएगा. इसी तरह समस्तीपुर–हसनपुर–खगड़िया लाइन के दोहरीकरण से कोसी और उत्तर बिहार के लोगों की कनेक्टिविटी सुधरेगी.
फाइनल लोकेशन सर्वे किसी भी रेल परियोजना का पहला और सबसे महत्वपूर्ण चरण होता है. इसमें न केवल रूट का निर्धारण होता है, बल्कि भू-तकनीकी अध्ययन, निर्माण लागत का आकलन, डिजाइन और लेआउट की भी तैयारी की जाती है. रेलवे अधिकारियों का कहना है कि इस प्रक्रिया के पूरा होने के बाद ही निर्माण कार्य को आगे बढ़ाया जा सकेगा.
विकास की नई पटरी पर बिहार
विशेषज्ञों का मानना है कि इन परियोजनाओं से बिहार और झारखंड के कई हिस्सों में रेल नेटवर्क मजबूत होगा. माल और यात्री परिवहन को नई गति मिलेगी, औद्योगिक क्षेत्रों को कनेक्टिविटी का फायदा होगा और सीमावर्ती इलाकों तक रेल पहुंचने से रणनीतिक महत्व भी बढ़ेगा. बिहार लंबे समय से बुनियादी ढांचे की चुनौतियों से जूझता रहा है. अब रेल परियोजनाओं के इस विस्तार से राज्य के सामाजिक-आर्थिक विकास की रफ्तार बढ़ने की उम्मीद की जा रही है.
पूर्व मध्य रेलवे की इन 12 परियोजनाओं का फाइनल लोकेशन सर्वे सिर्फ एक तकनीकी औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह बिहार के विकास की नई पटरी बिछाने की दिशा में पहला ठोस कदम है. रेल मंत्रालय की यह मंजूरी इस बात का संकेत है कि आने वाले वर्षों में राज्य की रेल कनेक्टिविटी न सिर्फ बेहतर होगी, बल्कि इससे रोजगार, व्यापार और यात्रियों की सुविधा भी कई गुना बढ़ जाएगी.
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