Bihar Politics: पटना. बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बिहार सरकार के फैसले की आलोचना की है. उन्होंने बोधगया महाबोधि मंदिर प्रबंधन कानून 1949 और हाल ही में संसद से पारित हुए वक्फ कानून में किए गए बदलावों पर कड़ी आपत्ति जताई है. मायावती ने दोनों मामलों में सरकार से तत्काल संशोधन की मांग की है.
महाबोधि मंदिर से प्रबंधन हिंदू हों बाहर
लखनऊ में पत्रकारों से बात करते हुए मायावती ने कहा कि बोधगया का महाबोधि मंदिर बौद्ध धर्म का सबसे पवित्र तीर्थ स्थल है, लेकिन वहां की देखरेख और पूजा-पाठ में गैर-बौद्धों की भागीदारी बौद्ध समुदाय की आस्था के साथ अन्याय है. उन्होंने कहा कि 1949 के कानून में मंदिर प्रबंधन समिति में चार हिन्दू और चार बौद्ध प्रतिनिधियों को शामिल किया गया था, जिसकी वजह से विवाद बढ़ा है. मायावती ने इस कानून को धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के खिलाफ बताया. उन्होंने मांग की कि मंदिर की पूरी ज़िम्मेदारी सिर्फ बौद्ध भिक्षुओं और अनुयायियों को दी जाए.
वक्फ पर भी बोलीं मायावती
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री ने हाल ही में पारित वक्फ कानून में गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड का सदस्य बनाने के प्रावधान को भी अनुचित करार दिया है. उन्होंने कहा कि इससे मुस्लिम समाज में भारी रोष है. बीएसपी प्रमुख ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वक्फ कानून को फिलहाल स्थगित कर उस पर पुनर्विचार किया जाए. उन्होंने यह भी याद दिलाया कि बाबा साहेब ने 14 अक्टूबर 1956 को बौद्ध धर्म ग्रहण किया था, जिसे अब कुछ लोग “सनातनी” बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जो चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि बाबा साहेब के सिद्धांतों पर चलकर ही 14 अप्रैल 1984 को बीएसपी की स्थापना की गई थी और पार्टी आज भी उनके अधूरे मिशन को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रही है.
Also Read: Bihar Land Survey: सरकारी कार्यालय से गायब हो रहा खतियान , बंदोबस्ती कैसे दिखाएं रैयत