Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट संशोधन का मुद्दा गरमा गया है. संसद के मानसून सत्र में इस पर हमलावर रहे विपक्षी दल अब सड़क पर उतर आए हैं. इसी कड़ी में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव “वोटर अधिकार यात्रा” के जरिए जनता के बीच पहुंचकर इस मुद्दे को उठा रहे हैं. यह यात्रा अब अपने अंतिम चरण की ओर बढ़ रही है. इसी दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव भी बिहार पहुंचे हैं और पटना से सीवान रवाना होकर राहुल और तेजस्वी के साथ कदमताल कर रहे हैं. अखिलेश आरा तक इस यात्रा में शामिल रहेंगे.
MY को PDA समीकरण में बदलना चाहता है महागठबंधन
अखिलेश यादव की मौजूदगी को महागठबंधन के MY समीकरण को PDA (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) में बदलने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है. हालांकि, सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या यह सिर्फ समीकरण साधने की कवायद है या इसके पीछे कोई और बड़ी रणनीति है? खासकर भोजपुरी बेल्ट में अखिलेश को उतारना राहुल और तेजस्वी की सोची-समझी चाल मानी जा रही है.
गोपालगंज से ही शामिल होने वाले थे अखिलेश
शुरुआती चर्चा थी कि अखिलेश गोपालगंज से यात्रा में शामिल होंगे, लेकिन उन्होंने 30 अगस्त को सीवान से यात्रा की शुरुआत की. यह पूरा इलाका उत्तर प्रदेश की सीमा से जुड़ा है. गोपालगंज यूपी के देवरिया से सटा है, जबकि सीवान, सारण और भोजपुर का इलाका बलिया से लगता है. इन सीमावर्ती इलाकों में न केवल भाषा और संस्कृति समान है, बल्कि सामाजिक रिश्ते भी गहरे हैं. यही कारण है कि यहां की सियासत में यूपी का असर साफ झलकता है.
सवर्ण वोटों पर भी महागठबंधन की नजर
पिछले लोकसभा चुनाव में यूपी की बलिया और सलेमपुर (देवरिया) जैसी सीमावर्ती सीटें समाजवादी पार्टी ने जीती थीं. यही वजह है कि सपा की पकड़ का फायदा महागठबंधन बिहार के इन जिलों में उठाना चाहता है. MY और PDA समीकरण के साथ-साथ महागठबंधन की नजर सवर्ण वोट, खासकर ब्राह्मणों पर भी है. इसी रणनीति के तहत अखिलेश को उतारा गया है. बलिया के बैरिया क्षेत्र में जनेश्वर मिश्रा का गांव है, जो ब्राह्मण राजनीति में अहम चेहरा रहे हैं. इस इलाके की सीमा सीधे सीवान, सारण और भोजपुर से लगती है.
2020 विस चुनाव जैसा जन समर्थन पाने की कोशिश

महागठबंधन की कोशिश है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में मिले समर्थन को दोहराया जाए. पिछली बार सीवान की आठ में से छह, सारण की दस में से सात और भोजपुर की सात में से पांच सीटें महागठबंधन ने जीती थीं. हालांकि गोपालगंज, जो लालू प्रसाद यादव का गृह जिला है, वहां महागठबंधन का प्रदर्शन कमजोर रहा था और छह में से चार सीटें हारनी पड़ी थीं. इस बार लक्ष्य वहां बेहतर नतीजे हासिल करना है.
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