Bihar News: मार्च 2027 तक पूरी होने वाले इस एक हजार बेड वाले अस्पताल में हर साल तीन लाख नि:शुल्क ऑपरेशन किए जाएंगे. इसमें 19 आधुनिक ऑपरेशन थिएटर और 50 जांच कमरे होंगे. यह केवल एक मेडिकल संस्थान नहीं बल्कि समाज और स्वास्थ्य क्षेत्र में बदलाव लाने वाला मिशन होगा.
नए अस्पताल के निर्माण से बिहार में आंखों की देखभाल की गुणवत्ता और पहुंच में अभूतपूर्व सुधार की उम्मीद है.
दुनिया के सबसे बड़े आंख अस्पताल का विस्तार
सारण के मस्तीचक में बन रहे इस अस्पताल का उद्देश्य केवल आंखों की बीमारियों का इलाज करना नहीं है. अस्पताल महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण बच्चों के लिए खेल प्रशिक्षण जैसी सामाजिक गतिविधियों में भी योगदान देगा. केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत योजना के तहत गरीबों को विश्वस्तरीय आंख का इलाज प्रदान करने की योजना को यहां धरातल पर उतारा जाएगा.
शंकरा आई फाउंडेशन, यूएसए के सहयोग से इस अस्पताल का निर्माण किया जा रहा है. यह अस्पताल अपने आकार और क्षमता में विश्व स्तर पर अद्वितीय होगा। वर्तमान में अखंड ज्योति अस्पताल की एक इकाई 2005 से काम कर रही है और अब तक 12 लाख से अधिक ऑपरेशन कर चुकी है, जिनमें 80 प्रतिशत नि:शुल्क रहे हैं. नए अस्पताल से यह संख्या और भी बढ़ेगी.
ऑपरेशन थिएटर और जांच कमरे
अस्पताल में 19 ऑपरेशन थिएटर होंगे और 50 आंखों की जांच के कमरे स्थापित किए जाएंगे. इन आधुनिक सुविधाओं के जरिए प्रतिदिन हजारों मरीजों को इलाज उपलब्ध कराया जाएगा. वर्ष 2030 तक सर्जरी की संख्या को पांच लाख तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है. बिहार में सालाना लगभग दस लाख मोतियाबिंद और अन्य आंखों की बीमारियों के ऑपरेशन की जरूरत है.
अस्पताल में अत्याधुनिक तकनीक और विशेषज्ञ डॉक्टर मरीजों को विश्वस्तरीय सेवाएं देंगे. इससे न केवल गंभीर बीमारियों का इलाज संभव होगा बल्कि प्रतिदिन 1200 मरीजों की ओपीडी सुविधा भी सुनिश्चित होगी.
महिला सशक्तिकरण और बच्चों के लिए पहल
अस्पताल केवल स्वास्थ्य सेवा तक सीमित नहीं रहेगा. सह-संस्थापक मृत्युंजय तिवारी ने बताया कि महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण बच्चों के लिए भी योजनाएं बनाई जा रही हैं. खासतौर पर लड़कियों को फुटबॉल प्रशिक्षण देने और खेल के माध्यम से शिक्षा तथा स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है. इस पहल से ग्रामीण बच्चों की मानसिक और शारीरिक क्षमता का विकास होगा.
केंद्र सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अनंथा नागेश्वरन ने इस अस्पताल के विस्तार को विकसित भारत के लिए आवश्यक बताया. उनका कहना है कि स्वास्थ्य और सामाजिक विकास एक-दूसरे से जुड़े हैं और इस तरह के प्रोजेक्ट्स ग्रामीण समुदायों के लिए प्रेरक साबित होंगे.
बिहार में स्वास्थ्य सेवा का नया युग
यह अस्पताल सिर्फ आंखों की देखभाल का केंद्र नहीं होगा, बल्कि सामाजिक, शैक्षिक और खेल गतिविधियों के जरिए ग्रामीण समुदाय के लिए विकास का प्रतीक बनेगा. महिला सशक्तिकरण, बच्चों की शिक्षा और खेल प्रशिक्षण जैसी पहलें इसे एक सामुदायिक केंद्र भी बनाएंगी.
मार्च 2027 तक पूरा होने वाले इस अस्पताल के साथ बिहार में स्वास्थ्य सेवा की पहुंच और गुणवत्ता में बड़ा बदलाव आएगा. स्थानीय और ग्रामीण लोग इस सुविधा का लाभ सीधे महसूस करेंगे.
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