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Bihar News: सड़क, रोजगार और आत्मनिर्भर महिलाएं—गांव में दिखा नीतीश मॉडल का असर

Bihar News: एक समय था जब बिहार के गांवों तक पहुंचने के लिए कच्ची पगडंडियों और उबड़-खाबड़ रास्तों का सहारा लेना पड़ता था. अब वही गांव पक्की सड़कों, पुल-पुलियों और रोजगार के नए अवसरों से जुड़कर बदलती कहानी कह रहे हैं.

Bihar News: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार सरकार ने ग्रामीण इलाकों के विकास पर लगातार ध्यान केंद्रित किया है. वर्ष 2005 से शुरू हुई यह पहल अब अपने असर दिखाने लगी है. सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका से जुड़े प्रयासों ने गांवों की तस्वीर और तकदीर दोनों बदल दी है.

राज्य में अब तक 1.3 लाख किलोमीटर से अधिक ग्रामीण सड़कें और 1,153 बड़े पुल बन चुके हैं. इससे न केवल कनेक्टिविटी बढ़ी, बल्कि 20 लाख से अधिक लोगों को रोजगार भी मिला है.

सड़कें बनीं तरक्की की राह

ग्रामीण कनेक्टिविटी को सरकार ने विकास की रीढ़ माना. मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना और ग्रामीण संपर्क योजना के जरिए गांव-गांव तक पक्की सड़कें बिछाई गईं. 2005 तक जहां स्थिति दयनीय थी, वहीं अब 53,419 किलोमीटर से अधिक नई सड़कें और हजार से अधिक पुल तैयार हो चुके हैं. इस साल ही 68,591 किलोमीटर सड़कें बन गईं और 60,882 किलोमीटर निर्माणाधीन हैं. इन योजनाओं पर अब तक 28,000 करोड़ से अधिक खर्च हो चुका है.

सड़कों और बुनियादी ढांचे के विकास ने गांवों में आर्थिक गतिविधियां तेज कीं. पहले जहां भूमिहीन और मजदूर वर्ग पलायन को मजबूर थे, अब उनकी आमदनी में स्थायी इजाफा हो रहा है. 20 लाख से ज्यादा लोगों को सड़क निर्माण और उससे जुड़े क्षेत्रों में रोजगार मिला है. परिवारों की औसत आय बढ़ी है और पलायन की दर 38 प्रतिशत से घटकर 16 प्रतिशत तक आ चुकी है.

जीविका बना महिलाओं की पहचान

ग्रामीण विकास की सबसे सफल कहानी जीविका योजना से जुड़ी है. 11 लाख से ज्यादा स्वयं सहायता समूहों में अब एक करोड़ से अधिक महिलाएं सक्रिय हैं. ये महिलाएं छोटे कारोबार से लेकर उद्यमिता तक में कदम बढ़ा रही हैं. लगभग 30 प्रतिशत महिलाओं की मासिक आय पांच हजार रुपये से अधिक हो चुकी है.

राज्य के 35 प्रतिशत से ज्यादा गांवों में महिला नेतृत्व वाले लघु उद्यम चल रहे हैं. सितंबर 2025 तक जीविका के डिजिटल प्लेटफॉर्म से 20 लाख से अधिक महिलाएं जुड़ चुकी हैं.

पानी, कृषि और आत्मनिर्भरता

नल-जल योजना ने 1.57 करोड़ घरों तक शुद्ध जल पहुंचाया है. इससे ग्रामीण परिवारों की सेहत और जीवनशैली दोनों सुधरे हैं. कृषि क्षेत्र में भी बदलाव दिख रहा है. 73 लाख से अधिक किसान प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना से लाभान्वित हो चुके हैं. खाद्य व्यय अब ग्रामीण परिवारों की आय का आधे से भी कम हिस्सा लेता है, जिससे बचत और निवेश की संभावनाएं बढ़ी हैं.

बिहार की ग्रामीण नीतियों ने गरीबी दर को भी बड़ी तेजी से घटाया है. 2005 में गरीबी दर 55 प्रतिशत से अधिक थी, जो अब 34 प्रतिशत पर आ गई है. बिहार इकोनॉमिक सर्वे 2024-25 के अनुसार राज्य की अर्थव्यवस्था की वार्षिक वृद्धि दर 9.2 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है. यह वृद्धि ग्रामीण ढांचे के विस्तार और महिलाओं के स्वावलंबन की वजह से संभव हुई है.

नई दिशा की ओर बढ़ता बिहार

ग्रामीण कार्य विभाग का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में और 11,000 से ज्यादा सड़कें और 730 पुल बनाए जाएं. इसके लिए 21,406 करोड़ की परियोजनाएं स्वीकृत की गई हैं. मुख्यमंत्री का कहना है कि यह सिर्फ सड़कें नहीं हैं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक बदलाव की राहें हैं.

बिहार का गांव अब वही नहीं रहा, जिसे कभी पिछड़ेपन और पलायन से पहचाना जाता था. सड़कें, रोजगार, पानी और महिलाओं का नेतृत्व आज इसे नई पहचान दे रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का दावा है कि यह बदलाव शुरुआत भर है, आने वाले वर्षों में ग्रामीण बिहार विकास का सबसे सफल मॉडल बनकर देश के सामने खड़ा होगा.

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Pratyush Prashant
Pratyush Prashant
कंटेंट एडिटर और तीन बार लाड़ली मीडिया अवॉर्ड विजेता. जेंडर और मीडिया विषय में पीएच.डी. वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल की बिहार टीम में कार्यरत. डेवलपमेंट, ओरिजनल और राजनीतिक खबरों पर लेखन में विशेष रुचि. सामाजिक सरोकारों, मीडिया विमर्श और समकालीन राजनीति पर पैनी नजर. किताबें पढ़ना और वायलीन बजाना पसंद.

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