Bihar News: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को पटना स्थित बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय से पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की 839 करोड़ रुपये की योजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया. इन योजनाओं के तहत राज्य में डेयरी और दही प्लांट, दूध पाउडर संयंत्र, गुणवत्तापरीक्षण कमांड सेंटर और मत्स्य बाजार स्थापित किए जाएंगे.
सरकार का दावा है कि इन पहलों से राज्य में डेयरी और मत्स्य उद्योग को नई दिशा मिलेगी और लोगों को पौष्टिक खाद्य पदार्थ आसानी से मिलेंगे.
दूध और दही से भरेगा हर घर
मुख्यमंत्री ने कहा कि इन योजनाओं से बिहार के हर कोने में दूध और दही की आपूर्ति बढ़ेगी. दूध पाउडर प्लांट और गुणवत्ता निगरानी कमांड सेंटर के निर्माण से उत्पादन और वितरण दोनों ही स्तरों पर पारदर्शिता आएगी. यह पहल न केवल उपभोक्ताओं को शुद्ध उत्पाद उपलब्ध कराएगी, बल्कि स्थानीय किसानों और दुग्ध उत्पादकों के लिए भी नए अवसर खोलेगी.
इन योजनाओं में मत्स्य क्षेत्र पर भी खास जोर दिया गया है. मुख्यमंत्री ने किशनगंज, बोका और पूर्णिया जिले में बने मत्स्य बाजारों का उद्घाटन किया. उनका कहना था कि मछली बाजारों की स्थापना से उत्पादन और बिक्री का दायरा बढ़ेगा. इससे मछली पालन करने वाले छोटे किसानों को बड़ा फायदा होगा और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे.
विश्वविद्यालय में नई ऊर्जा
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर संजय गांधी डेयरी प्रौद्योगिकी संस्थान के नवनिर्मित भवन का भी निरीक्षण किया. यहां कार्यशालाओं, लैब्स और सम्मेलन कक्ष जैसी सुविधाओं का जायजा लेते हुए उन्होंने इसे विद्यार्थियों और शोधकर्ताओं के लिए उपयोगी बताया. उन्होंने सोलर पैनल लगाने और अधिक पौधारोपण कराने का निर्देश दिया ताकि परिसर ऊर्जा और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बने.
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने पुरुष और महिला छात्रावास का उद्घाटन भी किया. पुरुष छात्रावास में 350 स्नातक छात्रों के लिए डबल सीटर बेड, 210 स्नातकोत्तर छात्रों और 140 पीएचडी छात्रों के लिए सिंगल सीटर बेड की सुविधा दी गई है. वहीं, महिला छात्रावास में भी स्नातक से लेकर पीएचडी स्तर तक के विद्यार्थियों के लिए आधुनिक व्यवस्था उपलब्ध कराई गई है.

ग्रामीण इलाकों तक पहुंचेगी योजना
कार्यक्रम में उद्घाटन और शिलान्यास की गई योजनाओं का फोकस केवल शहरी इलाकों तक सीमित नहीं है. सरकार चाहती है कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी दूध, दही और मछली की उपलब्धता आसान हो. इसके लिए पंचायत और प्रखंड स्तर पर मत्स्य बाजारों की स्थापना की गई है. कॉम्फेड के तहत पूर्णिया में कृत्रिम गर्भाधान प्रशिक्षण केंद्र और दुग्ध उत्पाद निर्माण संयंत्र का भी विस्तार किया गया है.
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि यह योजनाएं बिहार को डेयरी और मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में अहम साबित होंगी. 839 करोड़ की इन परियोजनाओं से राज्य के किसानों और उपभोक्ताओं दोनों को लाभ मिलेगा. बिहार का सपना है कि दूध, दही और मछली के मामले में वह खुद पर निर्भर हो और बाहर से आयात की जरूरत न पड़े.
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