Bihar News: पटना. बिहार के सात जिलों में नया अस्पताल बनेगा. बिहार सरकार ने स्वास्थ्य सेवा को मजबूत करने के लिए बड़ा प्लान बनाया है. राज्य सरकार वित्तीय वर्ष 2025-26 में सात जिलों में 50-बेड वाले एकीकृत आयुष अस्पताल स्थापित करने जा रही है. इस योजना के तहत आयुर्वेद, होमियोपैथी और यूनानी चिकित्सा पद्धतियों को समाहित किया जाएगा. सात जिलों में गोपालगंज, सीवान, मधुबनी, दरभंगा, बेगूसराय, गया और मोतिहारी शामिल है.
विश्वसनीयता बढ़ाने की कवायत
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने ‘आयुष्मान भारत’ योजना के अंतर्गत ‘आयुष्मान आरोग्य मंदिर’ के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ करने के बाद यह बात कही है. यह कार्यक्रम 1 मई 2025 तक चलेगा. यह प्रशिक्षण आयुष चिकित्सा पदाधिकारियों को नवीनतम चिकित्सा पद्धतियों और रोग प्रबंधन के आधुनिक तरीकों से अवगत कराने के उद्देश्य से आयोजित किया गया है. स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि राज्य आयुष समिति के माध्यम से इन अस्पतालों में पैथोलॉजी जांच सुविधाएं भी शुरू की जाएंगी. इससे आयुष चिकित्सा पद्धतियों की सटीकता और विश्वसनीयता बढ़ेगी. साथ ही, ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में आयुष सेवाओं को मजबूती मिलेगी.
बड़े निवेश से बनेंगे आयुष मेडिकल कॉलेज
सरकार ने दरभंगा और बेगूसराय में स्थित राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेजों तथा राजकीय आरबीटीएस होमियोपैथिक कॉलेज अस्पताल के निर्माण के लिए 834 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की है. इन संस्थानों को आधुनिक आयुष शिक्षा और अनुसंधान केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा. मंत्री ने यह भी घोषणा की कि दक्षिण बिहार में एक नया होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेज अस्पताल की स्थापना की जाएगी, जिससे राज्य के दक्षिणी जिलों में आयुष चिकित्सा की उपलब्धता और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा.
भर्ती प्रक्रिया में तेजी, 35,000 से अधिक होगी नियुक्तियां
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि विभाग में रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है. अभी तक 35,383 पदों के लिए विज्ञापन प्रकाशित किए जा चुके हैं और आने वाले 3-4 महीनों में इन पर नियुक्तियाँ पूरी हो जाएंगी. इसके अतिरिक्त 9,000 से अधिक रिक्त पदों के लिए भी जल्द विज्ञापन जारी किया जाएगा. स्वास्थ्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने पब्लिक मैनेजमेंट कैडर के अंतर्गत 20,016 नए पदों को मंजूरी दी है. साथ ही, आयुर्वेद, होमियोपैथी और यूनानी चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए संसाधनों की कोई कमी नहीं रखी जा रही है.