13.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Bihar News: मुजफ्फरपुर सदर अस्पताल बनेगा रिसर्च सेंटर, एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस पर होगा बड़ा अध्ययन

Bihar News: मरीजों की जान बचाने वाली एंटीबायोटिक दवाएं ही अब स्वास्थ्य जगत के लिए गंभीर खतरा बनती जा रही हैं. अनियंत्रित और बार-बार के उपयोग ने बैक्टीरिया को इन दवाओं के प्रति प्रतिरोधक बना दिया है. इसी चुनौती को देखते हुए मुजफ्फरपुर का सदर अस्पताल अब एक ऐतिहासिक कदम उठाने जा रहा है.

Bihar News: मुजफ्फरपुर सदर अस्पताल में बिहार का पहला वैज्ञानिक शोध एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस पर शुरू होने जा रहा है. यह पहल न सिर्फ राज्य के स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण साबित होगी, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी इसे एक मिसाल के रूप में देखा जाएगा.

अस्पताल प्रशासन का मानना है कि यह अध्ययन भविष्य में मरीजों के बेहतर इलाज और दवाओं के विवेकपूर्ण उपयोग की दिशा तय करेगा.

मुजफ्फरपुर से शुरू होगी नई पहल

सदर अस्पताल अधीक्षक डॉ. बी.एस. झा ने बताया कि यह बिहार का पहला जिला अस्पताल होगा, जहां इस विषय पर वैज्ञानिक स्तर पर शोध होगा. उन्होंने कहा कि एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस एक ऐसी चुनौती है, जो अगर अनदेखी की गई, तो आने वाले वर्षों में साधारण संक्रमण भी जानलेवा साबित हो सकता है.

एंटीबायोटिक दवाएं लंबे समय से जीवन रक्षक मानी जाती रही हैं. टीबी, निमोनिया या सेप्सिस जैसी बीमारियों के इलाज में इनका अहम योगदान रहा है. लेकिन पिछले वर्षों में इनका अंधाधुंध इस्तेमाल और बिना डॉक्टर की सलाह पर बार-बार सेवन ने स्थिति को चिंताजनक बना दिया है. बैक्टीरिया धीरे-धीरे इन दवाओं के प्रति प्रतिरोधक होते जा रहे हैं. नतीजा यह है कि वही दवा, जो कभी तुरंत असर करती थी, अब उतनी प्रभावी नहीं रह गई है.

मरीजों की पर्चियों से मिलेगा सुराग

अस्पताल प्रशासन की योजना है कि शोध के दौरान प्रत्येक मरीज की पर्ची का गहन विश्लेषण किया जाएगा. इसमें देखा जाएगा कि किस बीमारी के लिए कौन-सी एंटीबायोटिक दी गई, उसकी खुराक कितनी थी और क्या मरीज को दवा जरूरत से ज्यादा या कम मात्रा में मिली. इस प्रक्रिया से यह स्पष्ट होगा कि अनावश्यक उपयोग कहां हो रहा है और उसके क्या नतीजे सामने आ रहे हैं.

डॉ. झा ने कहा कि यह पहल न केवल मरीजों के हित में होगी, बल्कि पूरे स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए मील का पत्थर साबित होगी. रिसर्च के जरिए चिकित्सकों को यह समझने में मदद मिलेगी कि कब और किस परिस्थिति में एंटीबायोटिक का प्रयोग वाजिब है. वहीं, मरीजों को भी यह जागरूकता होगी कि बिना आवश्यकता और बिना सलाह के इन दवाओं का सेवन कितना खतरनाक साबित हो सकता है.

बढ़ती चुनौतियां और भविष्य की चिंता

डॉ. झा ने चेतावनी दी कि यदि समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो भविष्य में हालात और बिगड़ सकते हैं. एंटीबायोटिक रेसिस्टेंस के कारण पहले से ही कई बीमारियों का इलाज जटिल हो गया है. टीबी और निमोनिया जैसे रोग लगातार चुनौती पेश कर रहे हैं. अगर बैक्टीरिया का प्रतिरोध इसी तरह बढ़ता रहा, तो साधारण बुखार और संक्रमण भी गंभीर बीमारी में बदल सकते हैं.

मुजफ्फरपुर सदर अस्पताल की यह पहल बिहार ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक संदेश है. यह बताता है कि जिला स्तर पर भी वैज्ञानिक शोध संभव है और वहां से बड़े बदलाव की शुरुआत हो सकती है. यदि यह मॉडल सफल होता है, तो अन्य राज्यों और अस्पतालों को भी प्रेरणा मिलेगी.

Also Read: Bihar News: सारण को मिलेगा सबसे बड़ा आंख अस्पताल, हर साल होगा तीन लाख मरीजों का मुफ्त ऑपरेशन

Pratyush Prashant
Pratyush Prashant
कंटेंट एडिटर और तीन बार लाड़ली मीडिया अवॉर्ड विजेता. जेंडर और मीडिया विषय में पीएच.डी. वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल की बिहार टीम में कार्यरत. डेवलपमेंट, ओरिजनल और राजनीतिक खबरों पर लेखन में विशेष रुचि. सामाजिक सरोकारों, मीडिया विमर्श और समकालीन राजनीति पर पैनी नजर. किताबें पढ़ना और वायलीन बजाना पसंद.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel