37.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

Bihar Diwas 2022: जीविका ने बदल दी महिलाओं की जिंदगी, पटना में लगा कलाकारी का स्टॉल, जानकर रह जाएंगे दंग

बिहार दिवस पर जीविका पवेलियन में अलग-अलग जिलों से 12 स्टॉल लगाये गये. जीविका ने किस तरह महिलाओं की जिंदगी के पन्ने को पलटा और एक दिलचस्प राह पर आगे बढ़ाया.

जूही स्मिता,पटना: बिहार दिवस पर जीविका पवेलियन में कुल अलग-अलग जिलों से 12 स्टॉल लगाये गये. अधिकांश स्टॉल जल, जीवन, हरियाली के थीम पर आधारित है. जैविक खेती, दीदी की पौधशाला, जलपरी जीविका महिला मत्स्य उत्पादक समूह, सौर्य उर्जा से जलने वाले बल्ब, नीरा से बने उत्पाद, तकनीक से वीडियो बनाना, पशु पालन आदि शामिल हैं. पेश है कुछ स्टॉल की स्टोरी.

पति मानसिक स्थिति ठीक नहीं, जीविका से मिला सहारा

पटना जिला के संपतचक प्रखंड ग्राम कंडाप की रहने वाली आरती कुमारी की जिंदगी जीविका से जुड़ने के बाद काफी बदल गयी. पति की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है और उनकी दो बेटी और एक बेटा है. घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण वे साल 2017 में जीविका से जुड़ी है. खेती का अनुभव होने की वजह से उन्हें दीदी की पौधशाला को लेकर प्रशिक्षण दिया गया.

साल 2020-2021 में उन्होंने दस एकड़ की जमीन में 20000 पौधों को लगाया. पौधशाला के संचालन के लिए उन्हें 88000 रुपये की राशि मिली है. वहीं दूसरी बार उन्हें 20000 पौधों के लिए 2,11,280 रुपये की राशि मिली हैं. अभी उनकी नर्सरी में महागनी, अर्जुन, सागवान, सहजन, सीरीजा, ग्रीन सीमर, सीशम, जामुन आदि के पौधे हैं जो कि एक से डेढ़ फुट के हैं. पौधशाला से मिलने वाली राशि की मदद से आज उनके पति का इलाज चल रहा है और बच्चे स्कूल जा रहे हैं.

Also Read: बिहार में महिला से तालिबानी जुल्म, पंचायत में निर्वस्त्र कर गर्म रॉड से सरेआम पीटा, मुकदर्शक बना रहा समाज
कभी कैमरे से प्रोफेशनल फोटो नहीं लिया लेकिन आज जीविका दीदीयों की उपलब्धि पर बनाती हैं वीडियो

कटिहार जिले के समैली प्रखंड की रहने वाली कुमारी खुशबू बताती हैं कि उन्हें समाज से जुड़ा काम करना था. महिला होने के नाते वे महिलाओं की परेशानियों को दूर करना चाहती थी. यहीं वजह है कि उन्होंने साल 2014 में,कम्यूनिटी मोबिलाइजर के तौर पर कार्य करना शुरू किया गया. छह महीने पहले ही उन्हें तकनीकी ट्रेनिंग दी गयी जिसमें पहली बार उन्होंने डीएसएलआर कैमरे से जुड़ी जानकारी दी गयी.

सात दिनों के लिए उन्हें शॉट कैसे लेते हैं, कितने तरह के शॉट होते हैं, छोटे-छोटे वीडियो का एंगल और एडिटिंग आदि के बारे में प्रशिक्षित किया गया. पहली बार ऐसा हुआ कि उन्होंने अन्य जीविका दीदीयों के साथ मिल कर अलग-अलग प्रखंड और गांव की दीदीयों पर स्टोरी शूट किया. इन दो महीने में उन्होंने दरमाही गांव और खुशघटी गांव में उन महिलाओं का छोटा-छोटा वीडियो बनाया, जो शराब व्यापार छोड़ कर जीविका की योजनाओं से अपना जीवन बदल रही हैं. वे अब अन्य महिलाओं को कैमरे से जुड़ी ट्रेनिंग दे रही हैं.

जीविका समूह की 40 दीदीयां तैयार कर रही नीरा से जुड़े 39 खाद्य उत्पाद

मनेर ब्लॉक से आयी जीविका दीदीयों ने अपने स्टॉल पर नीरा और नीरा से बनी खाद्य सामग्री का स्टॉल लगाया है. उन्होंने बताया कि जीविका की ओर से 40 दीदीयों का एक समूह तैयार किया गया है. ये दीदीयां समूह में काम कर नीरा से जुड़े उत्पाद तैयार करती हैं और उन्हें इसके लिए जीविका की ओर से पैसे मिलते हैं. अगर एक दिन में दीदी 7 लिटर नीरा तैयार करती हैं तो उन्हें 700 रुपये मिलते हैं. अब तक दीदीयों के 39 तरह के खाद्य उत्पाद बाजार में आ चुके हैं. दीदीयों का कहना है कि जीविका से जुड़ने के बाद उनकी आर्थिक स्थिति में काफी बदलाव आया है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें