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Bihar Chunav 2025 : महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर क्या बन रहा है समीकरण, जानिए किसे मिल सकती है कितनी सीटें

Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे की गुत्थी ने सियासी तापमान बढ़ा दिया है. कांग्रेस और वाम दलों की बढ़ी हुई मांग ने आरजेडी की रणनीति को उलझा दिया है, जबकि वीआईपी की डिप्टी सीएम दावेदारी ने समीकरण और पेचीदा बना दिए हैं.

Bihar Chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले महागठबंधन (INDIA Bloc) के भीतर सीट बंटवारे को लेकर जारी खींचतान अब निर्णायक चरण में है. कांग्रेस और वाम दलों की बढ़ी हुई सीट मांगों ने आरजेडी की रणनीति को चुनौती दी है, जबकि वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी की डिप्टी सीएम दावेदारी ने सियासी समीकरण को और पेचीदा बना दिया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और पारस गुट की लोजपा की संभावित एंट्री ने इस गणित में नए वेरिएबल जोड़ दिए हैं. यह स्थिति केवल सीट बंटवारे का विवाद नहीं, बल्कि महागठबंधन के भीतर शक्ति संतुलन के पुनर्निर्धारण की प्रक्रिया भी है.

कांग्रेस और वाम की मांगें: पुराना प्रदर्शन बनाम नई वास्तविकता

कांग्रेस 2020 के चुनाव में 70 सीटों पर लड़ी थी और उसे 19 सीटों पर जीत मिली थी. बावजूद इसके, वह इस बार 70–75 सीटों की मांग पर अड़ी है. यह मांग उसके पिछले चुनावी प्रदर्शन की तुलना में कहीं अधिक है, लेकिन पार्टी अपनी सीट संख्या को घटाना नहीं चाहती. इसके पीछे दो प्रमुख कारण हैं। पहला — पार्टी बिहार में अपनी संगठनात्मक उपस्थिति बनाए रखना चाहती है ताकि राष्ट्रीय स्तर पर INDIA ब्लॉक में अपनी साख न घटे. दूसरा — कांग्रेस इस बार खुद को ‘निर्णायक सहयोगी’ के रूप में प्रोजेक्ट कर रही है, न कि ‘जूनियर पार्टनर’ के रूप में.

वाम दलों का मामला थोड़ा अलग है. 2020 में वाम दलों (सीपीआई, सीपीएम, सीपीआईएमएल) को सीमित सीटों पर लड़ने के बावजूद 16 सीटों पर सफलता मिली थी, जिसमें सीपीआईएमएल ने 12 सीटें जीती थीं. इसी प्रदर्शन को आधार बनाकर उन्होंने इस बार 60 से अधिक सीटों की मांग रख दी है. डी राजा ने सीपीआई के लिए 24 और दीपांकर भट्टाचार्य ने सीपीआईएमएल के लिए 35 सीटों की दावेदारी कर आरजेडी की रणनीति को असंतुलित कर दिया है. वाम दलों की यह मांग केवल चुनावी सीटों की नहीं, बल्कि महागठबंधन के वैचारिक एजेंडे में हिस्सेदारी बढ़ाने का संकेत भी है.

आरजेडी के सामने समस्या यह है कि यदि वह कांग्रेस और वाम दलों की मांग मानती है, तो उसके अपने हिस्से में सीटों की संख्या 120–125 से घटकर 100–105 तक सिमट सकती है. इससे न केवल उसका राजनीतिक वर्चस्व कमजोर होगा, बल्कि उम्मीदवार चयन में भी आंतरिक असंतोष बढ़ेगा.

वीआईपी की डिप्टी सीएम चाल: छोटे खिलाड़ी की बड़ी बाजी

वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने सीट मांग में लचीलापन दिखाते हुए 60 से घटाकर 20 सीटों पर आना यह संकेत है कि वे सीटों से ज्यादा सत्ता में हिस्सेदारी पर ध्यान दे रहे हैं. डिप्टी सीएम पद की दावेदारी इसका हिस्सा है. यह दांव कांग्रेस और वाम की मांगों के बीच एक नए दबाव बिंदु के रूप में उभरा है. यदि महागठबंधन वीआईपी को यह पद ऑफर करता है, तो कांग्रेस की असंतुष्टि बढ़ सकती है और अगर कांग्रेस को यह पद दिया जाता है, तो सहनी नाराज हो सकते हैं.
यह समीकरण इस चुनाव में छोटे दलों की bargaining power को भी दिखाता है—जहां सीट संख्या कम होने के बावजूद पद और सत्ता में हिस्सेदारी के जरिए अपना प्रभाव बढ़ाने की रणनीति अपनाई जा रही है.

JMM और पारस गुट: सीमित उपस्थिति, लेकिन रणनीतिक मायने

महागठबंधन में JMM और पारस गुट की संभावित भागीदारी का चुनावी असर भले सीटों के लिहाज से सीमित दिखे, लेकिन ये पार्टियां रणनीतिक रूप से अहम हैं. JMM की 12 सीटों की मांग और पारस गुट को 5–7 सीटें देने की चर्चा यह बताती है कि महागठबंधन गैर-परंपरागत सहयोगियों को भी साथ जोड़कर NDA के जातीय और क्षेत्रीय समीकरण को चुनौती देने की रणनीति पर काम कर रहा है. इन सहयोगियों को जगह देने का सीधा असर कांग्रेस-वाम और आरजेडी की हिस्सेदारी पर पड़ेगा, जिससे बातचीत और जटिल हो गई है.

आरजेडी की रणनीतिक मजबूरी और अंदरूनी फेरबदल

तेजस्वी यादव के नेतृत्व में आरजेडी इस चुनाव को एक ‘केंद्रीकृत रणनीति’ के तहत लड़ना चाहती है. पार्टी का लक्ष्य 125–130 सीटों पर लड़ने का है ताकि सरकार बनने की स्थिति में वह मुख्य निर्णायक बनी रहे. इसके लिए पार्टी अपने मौजूदा विधायकों में फेरबदल की तैयारी में है. टिकट कटने की चर्चाएं इसी रणनीति का हिस्सा हैं, ताकि कमजोर प्रदर्शन करने वाले चेहरों को हटाकर नए सामाजिक समीकरण साधे जा सकें. लेकिन यह आंतरिक असंतोष को भी जन्म दे सकता है, जो चुनाव से ठीक पहले चुनौती बन सकता है.

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Pratyush Prashant
Pratyush Prashant
कंटेंट एडिटर. लाड़ली मीडिया अवॉर्ड विजेता. जेंडर और मीडिया में पीएच.डी. . वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल के बिहार टीम में काम कर रहे हैं. साहित्य पढ़ने-लिखने में रुचि रखते हैं.

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