पटना सिटी़ : परदा पोशाने वतन तुमसे तो यह भी न हुआ एक चादर को तरसती रही तुरबत मेरी, …करो वो काम, जो काम है कर गुरजने के, समझ लो शाद के दिन आ गए हैं. खान बहादुर नवाब सैयद मोहम्मद शाद अजीमाबादी की यह शायरी उनकी मजार पर एक बार फिर याद की गयी. मौका था उनके 90 वें स्मृति
पर्व पर सामाजिक व सांस्कृतिक संस्था नवशक्ति निकेतन की ओर शनिवार को आयोजित चादरपोशी के समारोह का. हाजीगंज लंगूर गली स्थित मजार पर आयोजित समारोह में विधान पार्षद रामचंद्र भारती ने कहा कि अजीमाबादी की स्मृति को संरक्षित व सुरक्षित रखने का हर संभव प्रयास सरकार के स्तर पर होगा. कार्यक्रम का संचालन कमल नयन श्रीवास्तव ने किया. संस्था के अध्यक्ष व पूर्व विधान पार्षद विजय शंकर मिश्र ने अतिथियों का स्वागत किया. कार्यक्रम की शुरुआत फूलमाला, चादरपोशी व फातिहा के साथ हुई. वक्तओं ने कहा कि शाद की नज्मों से मुल्क का दिल धड़कता है.