पटना / नयी दिल्ली : बिहार सरकार शराबबंदी के कानून में लागू कठोर प्रावधानों पर विचार कर उसमें सुधार कर सकती है. इसके संकेत उस वक्त मिले जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजधानी दिल्ली में कानून विशेषज्ञ गोपाल सुब्रमण्यम से मुलाकात की. बताया जा रहा है कि यह मुलाकात राज्य सरकार के वर्तमान शराबबंदी के प्रावधानों में कुछ संशोधन पर विचार के लिये हुई थी. बिहार सरकार कठोर प्रावधानों पर दोबारा विचार करने के लिये तैयार है. जानकारी के मुताबिक घर में शराब मिलने पर परिवार के सभी बालिग सदस्यों के जेल भेजे जाने जैसे प्रावधानों को रद्द किये जाने पर राय बन गयी है. गोपाल सुब्रमण्यम ने ही बिहार सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में सफाई पेश की थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गोपाल बिहार सरकार को कानून के कुछ कड़े प्रावधानों को सुधारने और उन्हें हटाने पर अपनी राय सरकार को देंगे. बिहार सरकार अपना पक्ष सुप्रीम कोर्ट में रखने वाली है और उससे पहले कानून में संशोधन कर कोर्ट को बताने वाली है.
कानून में हो सकता है बदलाव
जानकारी के मुताबिक बिहार सरकार संशोधित कानून को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश कर सकती है. नीतीश कुमार के साथ बिहार के वरीय अधिकारियों ने भी गोपाल सुब्रह्मण्यम से मुलाकात की. बताया जा रहा है कि अनुमान यह लगाया जा रहा है कि वर्तमान कानून में बदलाव पर विचार किया जा सकता है. जैसे- शराब की बिक्री, पीने और रखने के लिये जो सजा का प्रावधान है वह काफी कठोर है. उसमें भी बदलाव हो सकता है. घर में शराब मिलने पर सभी बालिग को जेल के कानून में भी बदलाव हो सकता है. इतना ही नहीं सरकार गुजरात की पैटर्न पर शराब पीने के लिये परमिट व्यवस्था लागू करने पर विचार कर सकती है. साथ ही दवाओं के लिये अल्कोहल के उपयोग पर छूट दी जा सकती है. राजस्व के हिसाब से सरकार ज्यादातर आर्थिक दंड पर विचार कर सकती है. शराब मिलने पर घर को जब्त करने का प्रावधान भी खत्म हो सकता है.
लोगों से मांगे सरकार ने सुझाव
जानकारी के मुताबिक बिहार सरकार ने आम लोगों से वर्तमान कानून में संशोधन के लिये राय मांगी है. इसके लिये विशेष मेल आइडी और मोबाइल नंबर भी जारी किये गये हैं. जानकारी के मुताबिक कोई भी व्यक्ति feedbackprobibitionbihar@gmail.com पर सुझाव दे सकते हैं. साथ ही 0612220587 पर अपना सुझाव लिखकर फैक्स कर सकते हैं. सरकार इन सुझाओं के बाद आगामी शीतकालीन सत्र में बिल लाकर उसे पास करा सकती है. उत्पाद विभाग के मुताबिक राज्य में शराबबंदी की तारीफ हो रही है वहीं कानूनों को लेकर कुछ शिकायतें भी है. कई मामलों में बेकसूरों को फंसाने का भी काम किया जा रहा है. इसलिए राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट में यह गारंटी देनी है कि इस कानून का दुरुपयोग नहीं होगा.