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केंद्र प्रायोजित योजनाओं के कोष को लेकर नीतीश सरकार कर रही है सियासत : सुशील

पटना : भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने आज आरोप लगाया कि बिहार नीतीश कुमार सरकार केंद्र प्रायोजित योजनाओं के केंद्रांश में कटौती का भ्रामक प्रचार कर राजनीति कर रही है. बिहार विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता सुशील कुमार मोदी ने आज यहां एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आरोप लगाया कि केंद्र […]

पटना : भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने आज आरोप लगाया कि बिहार नीतीश कुमार सरकार केंद्र प्रायोजित योजनाओं के केंद्रांश में कटौती का भ्रामक प्रचार कर राजनीति कर रही है. बिहार विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता सुशील कुमार मोदी ने आज यहां एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर आरोप लगाया कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं के कोष को लेकर राज्य सरकार सियासत कर रही है जबकि हकीकत है कि 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के तौर पर आजादी के बाद पहली बार बिहार को पिछले वर्ष की तुलना में करीब 12 हजार करोड़ रुपये अधिक मिला है.

बिहार को केंद्र ने दिया दोगुना -बीजेपी

उन्होंने कहा कि इसी प्रकार पंचायतों व नगर निकायों के लिए भी पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष दुगुनी राशि मिली है. सुशील ने पूछा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बतायें कि क्या इससे पहले कभी पिछले वर्ष की तुलना में केंद्र से दो-तीन हजार करोड रुपये से अधिक बिहार को मिलता था. उन्होंने कहा कि केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी 32 से बढाकर 42 प्रतिशत कर दिया गया है. इसके तहत 2014-15 में बिहार को मिले 36,963 करोड रुपये की तुुलना में 2015-16 में 48,922 करोड़ रुपये यानी करीब 12 हजार करोड़ रुपये अधिक मिला.

सरकार नहीं कर रही इस्तेमाल

सुशील ने कहा कि गौरतलब है कि यह असम्बद्ध फंड है जिनका इस्तेमाल राज्य सरकार अपनी जरुरत के अनुसार किसी भी मद में कर सकती है. 2012-13 में बिहार को मात्र 31900 करोड रुपये, 2013-14 में 34829 करोड रुपये ही मिला था. उन्होंने कहा कि इसी प्रकार स्थानीय निकायों को पिछले वर्ष मिले 1392.71 करोड रुपये की तुलना में इस वर्ष 2524.19 करोड रुपये यानी दुगुनी राशि मिली है.

कोष में किया गया बदलाव

पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील ने कहा कि केंद्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी बढाने के बाद प्रधानमंत्री द्वारा गठित समिति की अनुशंसा पर केंद्र प्रायोजित योजनाओं के कोष में किया गया बदलाव केवल बिहार के लिए नहीं है. बदले हुये कोष आवंटन के तरीके के बाद यदि राज्यों को राज्यांश ज्यादा भी देना पड़ रहा है तो पहले की तुलना में उसे कई गुना अधिक राशि मिल रही है. उन्होंने कहा कि बिहार ने जहां केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए 2015-16 में 13,091 करोड रुपये के केंद्रांश का प्रावधान किया था। वहीं 2017-17 में यह बढकर 22,380 करोड रुपये हो गया है जो पिछली बार से करीब 9 हजार करोड रुपये अधिक है. सुशील ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार केंद्र प्रायोजित योजनाओं के केंद्रांश में कटौती का भ्रामक प्रचार कर राजनीति कर रही है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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