राज्य सरकार ने इस वर्ष अप्रैल में तेली और तमोली जातियों को अत्यंत पिछड़ा वर्ग में शामिल होने का नीतिगत फैसला लिया था. इसके लिए राज्य पिछड़ा आयोग ने सरकार को सिफारिश भेजी, जिसमें तर्क दिया गया कि तेली जाति को अशुभ माना जाता है. इस नाम से सांप को भी चिह्न्ति किया जाता है. इसलिए इनके उत्थान के लिए दोनों जातियों को अत्यंत पिछड़ी जातियों की सूची में रखा जाना चाहिए. आयोग की अनुशंसा को आधार मान कर सरकार ने 24 अप्रैल, 2015 को इस संबंध में अधिसूचना जारी की.
उस समय आयोग का तर्क था कि तेली और तमोली जातियों के लोग साधन संपन्न हैं और ये पिछड़ी जातियों की सूची में सबसे ऊपर हैं. याचिकाकर्ता के वकील वसंत कुमार चौधरी ने कोर्ट से कहा कि अचानक दो साल में क्या परिवर्तन हो गया कि आयोग ने इसे अत्यंत पिछड़ी जातियों की सूची में शामिल करने की सिफारिश कर दी. वकील ने कहा कि सरकार के इस फैसले से छोटी-छोटी अत्यंत पिछड़ी जातियों की हकमारी होगी और आरक्षण का पूरा फायदा तेली और तमोली जातियों तक सिमट जायेगा. याचिका में कहा गया है कि पिछड़ी जातियों की श्रेणी में शामिल एक खास जाति को लाभ पहुंचाने के लिए पिछड़ी जातियों की सूची कम की जा रही है. याचिका में 1950 और 1978 में तैयार पिछड़ी जाति और अत्यंत पिछड़ी जातियों की श्रेणी का हवाला दिया गया है. दोनों ही वर्ष तेली और तमोली जातियों को पिछड़ी जातियों की सूची में रखा गया है.

