7.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

अब पानी में तैरेगी ईंट, बिहार के बेटे ने कर दिखाया ये कमाल

जूही स्मिताभागलपुर के गोपाल को मिल चुका है यंगेस्ट साइंटिस्ट ऑफ इंडिया का खिताबपटना : क्या आपने कभी सोचा कि केले के थंब(तना) और उसके पत्ते से नेचुरल हेयर कलर बनाया जा सकता है. ऐसी ईंट जो कभी पानी में डूबेगी नहीं. अगर नहीं तो मिलिए नवगछिया, ध्रुवगंज, भागलपुर के गोपाल से जिन्होंने ऐसा कमाल […]

जूही स्मिता
भागलपुर के गोपाल को मिल चुका है यंगेस्ट साइंटिस्ट ऑफ इंडिया का खिताब
पटना :
क्या आपने कभी सोचा कि केले के थंब(तना) और उसके पत्ते से नेचुरल हेयर कलर बनाया जा सकता है. ऐसी ईंट जो कभी पानी में डूबेगी नहीं. अगर नहीं तो मिलिए नवगछिया, ध्रुवगंज, भागलपुर के गोपाल से जिन्होंने ऐसा कमाल कर दिखाया है. महज 19 साल के गोपाल को 14 साल की उम्र में यंगेस्ट साइंटिस्ट ऑफ इंडिया के खिताब से नवाजा जा चुका है. इनका सपना भारत को अपने आविष्कारों से नोबल प्राइज दिलाना है. उन्हें अपने द्वारा बनाये गये गोपनिम एलॉय के लिए नासा(नेशनल एरोनाॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) की ओर से दो बार चिट्ठी भी भेजी गयी. नासा ने 23 मई को भी गोपाल के साथ काम करने के लिए चिट्ठी भेजी लेकिन उन्होंने यह कह कर मना कर दिया कि उन्हें सिर्फ अपने देश के लिए काम करना है. गोपाल बताते हैं कि उन्होंने कुल दस आ‌विष्कार किये हैं, जिसमें चार पेटेंट के लिए भेजे गये हैं. इनमें पेपर बेस्ड इलेक्ट्रिसिटी(पेटेंट), बनाना बायो सेल(पेटेंट), गोपनियम एलॉय, जी-स्टार पाउडर, हाइड्रोइलेक्ट्रिक बायो सेल, सोलर माइल, गोपा-अलासका, सूडो प्लास्टिक, लीची वाइन आदि हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनके आविष्कार को न सिर्फ सराहा बल्कि गोपाल को 2017 में अहमदाबाद स्थित नेशनल इनोवेटिव फाउंडेशन में भेजा, जहां पर उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर के सबसे युवा रिसर्च स्कॉलर के तौर पर काम किया.

नैनो फाइबर से बनाया फ्लोटिंग ब्रिक्स व हेयर कलर : फिलहाल गोपाल बनाना(केला) नैनो क्रिस्टल और फाइबर पर काम कर रहे हैं. केले के तने से नैनो फाइबर और फाइबर पहले बनाया गया. ये नैनो फाइबर तरल पदार्थ को सोखने का काम करते हैं. यही वजह है कि इससे ईंट तैयार की जा रही है. ईंट कभी पानी में डूबेगी नहीं, जिसे फ्लोटिंग ब्रिक्स का नाम दिया गया है. इन ईंटों से बनने वाले घर आम घरों से ज्यादा ठंडे होंगे. इसके अलावा नैनो फाइबर का इस्तेमाल बच्चों के डायपर, सेनेटरी नैपकिन, बैंडएड आदि बनाने के प्रयोग में लाया जायेगा. वहीं नैनो फाइबर के इस्तेमाल के बाद जो फाइबर रह जाता उससे बुलेट शीट बनाया जा रहा है. केले के पत्तों से फाइबर शीट बनाया जा रहा है जिसकी मदद से फाइल कवर, टिशू पेपर और बुक कवर आदि बनेगा. वहीं केले से पत्तों से निकलने वाले रस को फरमेंटेशन कर इथनॉल बनाया जा रहा है. जिसे वेपेराइज कर हेयर कलर बनाया जाया रहा है. इन सभी का लैब में काम किया जा चुका है.

मिले कई इनाम

गोपाल की झोली में ढेरों इनाम हैं. विज्ञान और तकनीकी मंत्रालय के द्वारा नेशनल इंस्पायर अवार्ड, बिहार सरकार द्वारा स्टेट लेवल पर इंस्पायर अवार्ड, प्राइड ऑफ भागलपुर अवार्ड, कैरियर टुडे संस्था की ओर से ब्रेन ऑफ बिहार अवार्ड मिले. इसके अलावा अक्तूबर में दिल्ली में इन्हें नेशनल यूथ आइकॉन अवार्ड दिया जायेगा.

ऐसे हुआ आविष्कार
गोपाल के पिता किसान हैं और वह केले की खेती करते थे. गोपाल अपने पिता के साथ खेत जाते थे. 2008 में बाढ़ में केले की खेती को काफी नुकसान हुआ. नुकसान की वजह से गोपाल के घर की आर्थिक स्थिति काफी तंग हो गयी. जिसके बाद गोपाल ने ठान लिया कि केले के सभी बर्बाद होने वाले थंब(तना) से वह जरूर कुछ बनायेंगे, जिससे बाढ़ के कारण होने वाले नुकसान को पूरा किया जा सके. उन्होंने देखा कि केले के थंब से रस लग जाने से दाग लग जाता है. उसने सोचा कि केले के थंब में भी एसिड का गुण है. इसी दौरान उन्होंने पढ़ा कि एसिड का एलेक्ट्रोलाइसिस कर चार्ज पैदा किया जाता है. वह स्कूल से वोल्ट मीटर और इलेक्ट्रोड लाये और केले के थंब पर यह प्रयोग किया तो उससे चार्ज बना जो बिजली पैदा कर सकती थी. उनके इस प्रयोग को राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता पर पुरस्कृत किया गया. उन्हें 2014 में इंस्पायर अवार्ड भी मिला.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें