आनंद तिवारी, पटना : गर्भावस्था के दौरान हेपेटाइटिस का इन्फेक्शन मां और बच्चे दोनों को लिए खतरनाक साबित हो सकता है. खासकर हेपेटाइटिस इ का इन्फेक्शन गर्भवती महिलाओं के लिए जानलेवा साबित हो सकता है. हेपेटाइटिस एचआइवी से भी अधिक खतरनाक है.इससे बचाव के लिए समय से डॉक्टरी देखभाल आवश्यक है, जबकि पूरे बिहार में 17 लाख लोग हेपेटाइटिस से ग्रस्त हैं. आज विश्व हेपेटाइटिस दिवस है, बीमारी से बचाव और सरकारी स्तर पर शहर के अस्पतालों में क्या सुविधाएं मिल रही हैं, इसको लेकर पेश है एक रिपोर्ट.
यहां से लौट जाते हैं हेपेटाइटिस के मरीज
पीएमसीएच, आइजीआइएमएस और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में हेपेटाइटिस मरीजों के इलाज व ऑपरेशन की सुविधा है. अगर हेपेटाइटिस मरीजों की किडनी खराब है और उनको डायलिसिस की जरूरत पड़ेगी, तो यह सुविधा दोनों ही अस्पतालों में नहीं है.
क्योंकि मौजूदा समय में अलग से ऐसे मरीजों के डायलिसिस के लिए मशीन नहीं है. हेपेटाइटिस से जुड़े किडनी फेल्योर मरीजों के लिए तीनों ही अस्पतालों में संसाधन कम पड़ रहे हैं. ऐसे में ये मरीज कहां जाकर डायलिसिस कराएं, कोई पूछने वाला नहीं है.
बिहार में 30 से 45 साल के मरीज सबसे अधिक चपेट में : पटना सहित पूरे बिहार में हेपेटाइटिस-सी के शिकार सबसे ज्यादा 30 से 45 साल उम्र के लोग हो रहे हैं. यह खुलासा आइजीआइएमएस में किया जा चुका है. आइजीआइएमएस गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी के एचओडी डॉ मनीष मंडल ने कहा कि संस्थान में सबसे अधिक हेपेटाइटिस सी के मरीज आते हैं. हेपेटाइटिस के मरीजों में करीब 100 मरीजों में से 85 मरीज हेपेटाइटिस सी की बीमारी से ग्रस्त निकलते हैं. इनमें 30 से 45 साल के मरीज अधिक हैं. इनमें महिलाओं की संख्या भी शामिल है.
ऐसे फैलती है बीमारी
- संक्रमित सीरिंज का उपयोग करना
- पीड़ित गर्भवती महिला से बच्चे को होना
- संक्रमित रक्तदान या अंगदान
- संक्रमित इंजेक्शन से टैटू बनवाना
- संक्रमित इंजेक्शन से नशीली दवाओं का प्रयोग करना
बरतें सावधानी
- शराब न पीएं, लिवर में वसा के इकट्ठे होने को नियंत्रित करें
- पानी अधिक मात्रा में लें
- जांच नियमित कराते रहें
- आराम करें और नींद पूरी लें
- कच्चा या अधपका भोजन न करें
- अधिक शक्कर व नमक न खाएं