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केंद्र की मोदी सरकार में जदयू आगे भी नहीं होगा शामिल – नीतीश कुमार

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जदयू पीएम नरेंद्र मोदी सरकार की मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं हुआ है. आने वाले समय में भी जदयू मंत्रिपरिषद का हिस्सा नहीं होगा, जिससे लोगों को यह नहीं लगे कि इतनी सीटों के लिए रूठे थे और इतनी संख्या में सीटें मिलने के बाद मान गये हैं. […]

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जदयू पीएम नरेंद्र मोदी सरकार की मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं हुआ है. आने वाले समय में भी जदयू मंत्रिपरिषद का हिस्सा नहीं होगा, जिससे लोगों को यह नहीं लगे कि इतनी सीटों के लिए रूठे थे और इतनी संख्या में सीटें मिलने के बाद मान गये हैं.

मुख्यमंत्री शुक्रवार को नयी दिल्ली से लौटने के बाद पटना एयरपोर्ट के स्टेट हैंगर में पत्रकारों से बात कर रहे थे. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हमारी किसी से कोई शिकवा शिकायत नहीं है. न किसी तरह का कोई गम है और न ही हमारी पार्टी का कोई नेता या कार्यकर्ता या समर्थक मायूस है. उन्होंने कहा कि सरकार में शामिल होना ही सरकार में रहने का कोई प्रमाण नहीं है. बाहर से समर्थन हमेशा जारी रहेगा. भाजपा व उसके किसी नेता से कोई मतभेद नहीं है.
अगले साल होने वाले विस चुनाव में इसका एनडीए के मौजूदा गठबंधन पर कोई असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि पार्टी में भी आंतरिक रूप से बात की गयी, लेकिन किसी स्तर का कोई भी नेता इस तरह की सांकेतिक भागीदारी के पक्ष में नहीं था. इस मामले को लेकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से भी बात हुई. लेकिन लगा कि वह सांकेतिक भागीदारी देने के पक्ष में ही हैं. जदयू की तरफ से सीटों को लेकर कभी किसी तरह की कोई मांग नहीं की गयी थी.
सांसदों की संख्या के अनुपात में मिलना चाहिए था मंत्री पद
मुख्यमंत्री ने कहा कि एनडीए का मौजूदा गठबंधन बिहार के हित में है. पिछड़ेपन को दूर करने के लिए अहम कदम उठाने की जरूरत है. नारी सशक्तीकरण पर भी काम करने की जरूरत है. बिहार को पूरी उम्मीद है कि उसे आर्थिक समेत तमाम तरह की सहायता मिल सकेगी.
वाजपेयी के समय शुरू में ही घटक दलों के साथ मंत्रिपरिषद तक पर विमर्श हो जाता था
सीएम ने कहा कि जदयू की लोकसभा में 16 और राज्यसभा में छह सीटें हैं. इस तरह से 22 सीटें जदयू के पास हैं. इस आधार पर अगर भागीदारी होती है, तो मंत्रिपरिषद में समानुपातिक प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए था. इस तरह के मुद्दों पर शुरू में ही बात तय होती है. अब इन बातों का कोई मतलब नहीं है. शुरू में जो बातें होती हैं, वही फाइनल होती हैं. नीतीश कुमार ने कहा कि वाजपेयी के कार्यकाल में तो घटक दलों के साथ मंत्रिपरिषद तक पर डिस्कस हो जाता था.

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